हमारा और आने वाली नस्लों का इस ओर ध्यान रहना चाहिए कि इस इस्लाम की हिफ़ाज़त करें, इस्लाम के झंडे के नीचे इकट्ठा हों। इस्लाम में सब कुछ है। इस्लाम में दुनिया भी है, आख़ेरत भी है, इस्लाम की हर पहलू पर नज़र है। इस्लामी हुकूमत दूसरी हुकूमतों की तरह नहीं है कि जिनकी सिर्फ़ एक पहलू पर नज़र होती हैं। इस्लाम को अगर ज़िन्दा रखना चाहते हैं, तो यक़ीनी तौर पर इसके लिए क़ुरबानी देनी होगी, बिना क़ुरबानी के इंसान इस्लाम को ज़िन्दा नहीं रख सकता। यही क़ुरबानी थी जिसे इस्लाम के आग़ाज़ में ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम और इस्लाम के मानने वालों ने पेश किया।
इमाम ख़ुमैनी
23/10/1980