इराक़ की दुष्ट बास पार्टी अपने शैतानी जज़्बे के साथ पतन की ओर बढ़ रही और अल्लाह के दर्दनाक अज़ाब में मुब्तला है लेकिन ईरानी क़ौम, फ़ौज, आईआरजीसी, रज़ाकार फ़ोर्स बसीज बाक़ी सशस्त्र फ़ोर्सेज़ व पुलिस फ़ोर्स और अवाम दो अच्छाइयों में से एक जीत या शहादत और अल्लाह से मुलाक़ात के साथ कामयाबी की चोटी को तय कर रहे हैं। उस क़ौम को किस बात का ग़म जो अल्लाह की ओर बढ़ रही है या इस्लामी लक्ष्यों और दुनिया में उसे फैलाने की कोशिश कर रही है और इस इंक़ेलाबी क़ौम को किस बात का ग़म जिसे हफ़्तों जंग का सामना करना पड़े, पैग़म्बरे इस्लाम और उनकी पाक नस्ल की पैरवी करते हुए इस्लाम के मक़सद को हासिल करने के लिए शराफ़त व शान के साथ मुक़द्दस जेहाद को जारी रखे और इस्लाम के दुश्मन सद्दाम के बाद, दुष्ट इस्राईल की तरफ़ बढ़े जो इंसानियत का दुश्मन है...मैं फिर दोहरा रहा हूं कि जब तक मुसलमान क़ौमें और दुनिया के पीड़ित लोग विश्व साम्राज्य और उसके पिल्लों ख़ास तौर पर क़ाबिज़ इस्राईल के ख़िलाफ़ नहीं उठेंगे, उनके अपराधी हाथ इस्लामी मुल्कों को लूटने से बाज़ नहीं आएंगे।
इमाम ख़ुमैनी
28-09-1981