आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हज को अल्लाह का बड़ा तर्कपूर्ण प्रोग्राम बताया जो बाक़ी धार्मिक प्रोग्रामों से अलग होने के साथ ही विस्तृत व विभिन्न आयामों से संपन्न है। उन्होंने कहा कि पवित्र क़ुरआन में हज के सबब को एक छोटे से जुमले में इंसानी ज़िन्दगी का स्तंभ बताया गया है। हज में ऐसी शिक्षाएं और अभ्यास हैं जो इंसान और आने वाली नस्लों को बताते हैं कि अपनी ज़िन्दगी के हिस्सों को किस तरह चुनें। 

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने ʺमिल-जुल कर रहने की शिक्षाʺ, ʺसादा जीवनʺ और ʺगुनाहों तथा एहतियात वाले मामलों से बचनेʺ को हज के अहम पाठ बताया और कुछ सिफ़ारिशें करते हुए कहाः ʺसभी हाजी और हज के मामलों के ज़िम्मेदार इस बड़ी नेमत की क़द्र को समझें और इसकी क़द्रदानी अल्लाह की निकटता हासिल करने की नीयत, संस्कारों को पुख़्तगी और रचनात्मकता से अंजाम देना है।ʺ

उन्होंने हाजियों से इस आध्यात्मिक सफ़र की दिल से तैयारी करने को बहुत अहम बताया और बाज़ार में घूमने फिरने जैसे नापसंदीदा कामों से बचने पर ताकीद की। सुप्रीम लीडर ने कहा कि हज की वास्तविक सौग़ात मस्जिदुल हराम में क़ुरआन का पढ़ना, नमाज़ और तवाफ़ है और वक़्त को बेकार के कामों में बर्बाद करने से बचना चाहिए।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हज के इस्लामी जगत के बीच एकता के प्रतीक होने का ज़िक्र करते हुए कहाः मुसलमानों के बीच एकता को नुक़सान पहुंचाने वाले हर कारण को रोकने की पूरी कोशिश होनी चाहिए क्योंकि मतभेद पैदा करना ख़ास तौर पर शिया-सुन्नी के बीच फूट डालना अंग्रेज़ों के हथकंडे हैं।

उन्होंने दूसरे देशों के हाजियों के साथ अच्छे व जाकरुकता पैदा करने वाले संपर्क और अच्छे क़ारियों की मदद से क़ुरआन की तिलावत को एकता बढ़ाने में सहायक तरीक़े बताया और ज़ायोनियों को इस्लामी जगत की वर्तमान दौर की बड़ी मुसीबत बताया। सुप्रीम लीडर ने कहाः ज़ायोनियों की साज़िशों का पर्दाफ़ाश करना हज में ज़रूरी हैं और अपने राष्ट्र की इच्छा के विपरीत अमरीकियों के इशारे पर ज़ायोनी शासन से संबंध सामान्य करने वाली अरब व ग़ैर अरब सरकारें जान लें कि इस मेल-जोल का नतीजा, ज़ायोनी शासन के हाथों उनकी लूट के अलावा कुछ और नहीं निकलेगा।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मेज़बान सरकार की भारी ज़िम्मेदारियों और इस्लामी जगत के हित की बुनियाद पर काम करने की इस सरकार की ज़िम्मेदारी का हवाला देते हुए कहाः सभी हाजियों ख़ास तौर पर ईरानी हाजियों की सुरक्षा और विगत जैसी त्रासदियों को घटने से रोकना तथा हज का ख़र्च बढ़ाने के फ़ैसले पर पुनरविचार, इस्लामी गणराज्य की संजीदा मांगों है।

उन्होंने अंत में हज के अधिकारियों से अपील की कि हज के सफ़र के दिनों को कम करने के विषय पर ध्यान दें और इसका कोई हल निकालें।

इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में, हज व ज़ियारत के मामलों में सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन नव्वाब और हज विभाग के प्रमुख जनाब हुसैनी ने इस साल हज से संबंधित तैयारियों व प्रोग्रामों पर आधारित रिपोर्ट पेश की।