महदवीयतः जो क़ौम इमाम महदी के ज़ाहिर होने का अक़ीदा रखती है वह कभी घुटने नहीं टेकती

महदवीयतः जो क़ौम इमाम महदी के ज़ाहिर होने का अक़ीदा रखती है वह कभी घुटने नहीं टेकती

जो क़ौम अल्लाह पर ईमान और भरोसा रखती है, भविष्य के प्रति उम्मीद से भरी रहती है और ग़ैब के पर्दे में मौजूद हस्तियों से संपर्क में है, वह क़ौम जिसके मन में भविष्य, ज़िन्दगी, अल्लाह की मदद की उम्मीद जगमगा रही है, वह कभी घुटने नहीं टेकेगी, कभी किसी से प्रभावित नहीं होगी और इस तरह की बातों से मैदान नहीं ...
इमाम महदी के ज़ुहूर का अक़ीदा रखने वाले कभी मायूस नहीं होते

इमाम महदी के ज़ुहूर का अक़ीदा रखने वाले कभी मायूस नहीं होते

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम - हमारी जानें उन पर क़ुरबान हों - के ज़ाहिर होने और उनके वजूद का अक़ीदा रखने वाले कभी मायूसी व नाउम्मीदी का शिकार नहीं होते। वे जानते हैं कि यह सूरज निश्चित तौर पर निकलेगा और इन अंधेरों को मिटा देगा। इमाम ख़ामेनेई 12/5/2017
हे इमामे ज़माना! यह क़ौम आग़ाज़ से ही आपके नाम की आदी है

हे इमामे ज़माना! यह क़ौम आग़ाज़ से ही आपके नाम की आदी है

हे इमाम महदी! यह हमारे लिए बहुत सख़्त है कि हम इस दुनिया में और इस की असीम प्रकृति में, जिसका ताल्लुक़ अल्लाह के बंदों से है, अल्लाह के दुश्मनों को तो देखें, अल्लाह के दुश्मन के कामों को तो देखें लेकिन आपको न देखें और क़रीब से आपकी ज़ियारत का गौरव हासिल न कर पाएं।
महदवीयतः इमाम महदी के जन्म दिवस की ईद में, भविष्य पर केन्द्रित दो चीज़ें मिलती हैं

महदवीयतः इमाम महदी के जन्म दिवस की ईद में, भविष्य पर केन्द्रित दो चीज़ें मिलती हैं

1- उम्मीद इमामों और पैग़म्बरे इस्लाम के जन्म दिवस और पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत (पैग़म्बरी के एलान) की ईद और बाक़ी ईदें, इस ईद से बुनियादी फ़र्क़ रखती हैं। उन ईदों में सारी निगाहें अतीत की ओर हैं, इस ईद में सारी निगाहें भविष्य की ओर हैं। इमामों के जन्म दिवस और पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत की ईदों में, ...
महदवीयतः दुनिया को इंसाफ़ की नेमत से मालामाल करना, इमाम महदी अलैहिस्सालम से मख़सूस फ़ज़ीलत

महदवीयतः दुनिया को इंसाफ़ की नेमत से मालामाल करना, इमाम महदी अलैहिस्सालम से मख़सूस फ़ज़ीलत

ज़माने की उम्मीद इमामे ज़माना के बारे में ऐसी बातें कही गयीं जो किसी भी पैग़म्बर, औलिया और इमामों के बारे में नहीं कही गयीं और वह यह है कि ʺज़मीन को उसी तरह अद्ल व इंसाफ़ से भर देगा जिस तरह वह ज़ुल्म व जौर से भरी होगी।ʺ किसी भी पैग़म्बरे के बारे में ऐसी बात नहीं कही गयी, यहाँ तक कि आख़िरी पैग़म्बर क...
महदवीयतः ज़मीन के रिसोर्सेज़ का बिना नुक़सान के इस्तेमाल

महदवीयतः ज़मीन के रिसोर्सेज़ का बिना नुक़सान के इस्तेमाल

इमाम महदी अलैहिस्सलाम का दौर (उन पर हमारी जानें क़ुर्बान) इंसानी ज़िन्दगी के अंत का नहीं, बल्कि आग़ाज़ का दौर है। उस वक़्त से इंसान की हक़ीक़ी ज़िन्दगी, इंसानियत की इस विशाल फ़ैमिली की सच्ची ख़ुशक़िस्मती शुरू होगी। इस धरती के संसाधनों, क्षमताओं और स्पेस में छिपी ऊर्जाओं का, बिना नुक़सान, बिना क्षति,...
महदवीयतः इमाम ज़माना हमारी इल्तेजा को सुनते भी हैं और क़ुबूल भी करते हैं

महदवीयतः इमाम ज़माना हमारी इल्तेजा को सुनते भी हैं और क़ुबूल भी करते हैं

मुख़तलिफ़ ज़ियारतों में हम जो इल्तेजा का अंदाज़ देखते हैं जिनमें कुछ की सनद भी बहुत मोतबर है, उनकी बहुत अहमियत है। इमाम महदी अलैहिस्सलाम से इल्तेजा, आपकी ओर ध्यान, आपसे लगाव। इस, लगाव से मुराद यह नहीं है कि कोई यह कहे कि मैं तो इमाम को देखता हूं, आपकी मुबारक आवाज़ को सुनता हूं। हरगिज़ नहीं, ऐसा नह...
महदवीयतः महदवीयत का अक़ीदा और ज़ुहूर की निशानियों की बातें

महदवीयतः महदवीयत का अक़ीदा और ज़ुहूर की निशानियों की बातें

तारीख़ में बहुत से दावेदार पैदा हुए हैं। ये दावेदार ज़ुहूर की किसी एक निशानी को अपने ऊपर या किसी और पर मैच कर लेते थे। यह सरासर ग़लत है। कुछ बातें जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर की निशानियों के तौर पर बयां की जाती हैं, वह यक़ीनी नहीं हैं। यह ऐसी बातें हैं जिनका मोतबर रिवायतों में ज़िक्र नहीं ह...
महदवीयतः इंतेज़ार के मसले में आमियाना और जाहेलाना बातों से परहेज़ किया जाए

महदवीयतः इंतेज़ार के मसले में आमियाना और जाहेलाना बातों से परहेज़ किया जाए

अल्लाह का शुक्र है कि इस वक़्त इंतेज़ार के विषय पर इल्मी अंदाज़ में काम किया जा रहा है। इंतेज़ार के मसले में बड़े ध्यान से इल्मी अंदाज़ में काम करने की ज़रूरत है। इस सिलसिले में आमियाना और जाहेलाना बातों से बहुत सख़्ती से परहेज़ करना चाहिए। जो चीज़ें ख़तरनाक हो सकती हैं उनमें यही आमियाना, जाहेलाना, ...
महदवीयतः अगर वाक़ई इंतेज़ार कर रहे हैं तो ...

महदवीयतः अगर वाक़ई इंतेज़ार कर रहे हैं तो ...

इंसान को इंतेज़ार की ज़रूरत है और इस्लामी जगत को इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। ये इंतेज़ार इंसान के कांधे पर कुछ ज़िम्मेदारियाँ डाल देता है। जब इंसान को पूरी तरह यक़ीन है कि इस तरह का भविष्य आने वाला है, जैसा कि क़ुरआन मजीद की आयतों में भी इसका ज़िक्र हैः व लक़द कतबना फ़िज़्ज़बूरे मिम बादिज़ ज़िक्रे ...