इमाम महदी अलैहिस्सलाम का दौर (उन पर हमारी जानें क़ुर्बान) इंसानी ज़िन्दगी के अंत का नहीं, बल्कि आग़ाज़ का दौर है। उस वक़्त से इंसान की हक़ीक़ी ज़िन्दगी, इंसानियत की इस विशाल फ़ैमिली की सच्ची ख़ुशक़िस्मती शुरू होगी। इस धरती के संसाधनों, क्षमताओं और स्पेस में छिपी ऊर्जाओं का, बिना नुक़सान, बिना क्षति, बिना विनाश व बर्बादी के इंसान के लिए इस्तेमाल, मुमकिन होगा।
इमाम ख़ामेनेई
14/3/2001