महदवीयत: इमाम महदी अलैहिस्सलाम की मौजूदगी के जलवे

महदवीयत: इमाम महदी अलैहिस्सलाम की मौजूदगी के जलवे

बहुत से बुज़ुर्गों ने इसी ग़ैबत के दौर में आशिक़ों के दिलों के महबूब उस अज़ीज़ को क़रीब से देखा और दर्शन किया है। बहुत से लोगों ने उनकी बैअत की है। बहुस से लोगों ने उनसे मन को ख़ुश करने वाली बातें सुनी हैं और बहुत से हैं जिन्होंने उनकी मेहरबानी देखी है और बहुत से दूसरे लोग हैं जिन्होंने बग़ैर इसके कि उन्हें पहचानें उनकी मोहब्बत, लुत्फ़ व मेहरबानी देखी मगर पहचान नहीं सकें हैं। इमाम ख़ामेनेई 24/11/1991
महदवीयतः जो क़ौम इमाम महदी के ज़ाहिर होने का अक़ीदा रखती है वह कभी घुटने नहीं टेकती

महदवीयतः जो क़ौम इमाम महदी के ज़ाहिर होने का अक़ीदा रखती है वह कभी घुटने नहीं टेकती

जो क़ौम अल्लाह पर ईमान और भरोसा रखती है, भविष्य के प्रति उम्मीद से भरी रहती है और ग़ैब के पर्दे में मौजूद हस्तियों से संपर्क में है, वह क़ौम जिसके मन में भविष्य, ज़िन्दगी, अल्लाह की मदद की उम्मीद जगमगा रही है, वह कभी घुटने नहीं टेकेगी। यह इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर ईमान रखने की ख़ुसूसियत है।(उन पर हमारा हज़ारों सलाम हो)। इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर ईमान, इंसान के मन पर भी, उसकी सामाजिक गतिविधियों पर भी, उसके वर्तमान और भविष्य पर भी इस तरह का अज़ीम असर डालती है। इसकी क़द्र व क़ीमत को समझना चाहिए। इमाम ख़ामेनेई 07/01/1996
इमाम महदी ज़ुल्म के महल को ढा देंगे

इमाम महदी ज़ुल्म के महल को ढा देंगे

इमाम महदी जिन पर हमारी जानें क़ुर्बान, दुनिया के ज़ालिमों का गरेबान पकड़ेंगे और ज़ुल्म के महलों को ढा देंगे।
इमाम महदी की मेहरबानी भरी निगाह

इमाम महदी की मेहरबानी भरी निगाह

क़ौम पर हज़रत इमाम महदी (उन पर हमारी जानें क़ुर्बान) की मेहरबान नज़र हमारी ज़िंदगी पर और हमारे अमल पर बड़ा असर रखती है
इमाम महदी के जन्म दिवस की ईद में, भविष्य पर केन्द्रित दो चीज़ें मिलती हैं

इमाम महदी के जन्म दिवस की ईद में, भविष्य पर केन्द्रित दो चीज़ें मिलती हैं

इस ईद में सारा ध्यान भविष्य पर है, भविष्य पर निगाह से क्या मतलब है? यानी इस निगाह में दो चीज़ें हैं: एक उम्मीद और दूसरे कोशिश। जब इंसान की निगाह भविष्य पर हो, तो इस निगाह के नतीजे में मिलने वाली पहली चीज़ उम्मीद है। दूसरी चीज़ कोशिश है, कोशिश। कोई भी निश्चित भविष्य, कोशिश पर निर्भर है। आप किसी ऐसे ...
इमाम महदी अलैहिस्सालम से मख़सूस फ़ज़ीलत

इमाम महदी अलैहिस्सालम से मख़सूस फ़ज़ीलत

ज़माने की उम्मीद, इमाम महदी के बारे में ऐसी बातें कही गयीं जो किसी भी पैग़म्बर, औलिया और इमामों के बारे में नहीं कही गयीं और वह यह है कि ʺज़मीन को उसी तरह अद्ल व इंसाफ़ से भर देंगे जिस तरह वह ज़ुल्म व जौर से भरी होगी।ʺ किसी भी पैग़म्बरे के बारे में ऐसी बात नहीं कही गयी है। अल्लाह ने यह बड़ी फ़ज़ीलत उन्हीं से मख़सूस की है, यह उपमा सिर्फ़ उन्हीं के लिए है। इमाम ख़ामेनेई 02/06/2015
इंसानी सलाहियतों के निखरने का ज़माना

इंसानी सलाहियतों के निखरने का ज़माना

दुनिया की धारा हक़ के अधिकार और सुधार की ओर बढ़ रही है। इसमें शक की गुंजाइश नहीं है। सभी पैग़म्बर और महापुरुष इसलिए आए ताकि इंसान को उसी असली रास्ते की ओर ले जाएं कि जब वह उसमें पहुंच गया तो बिना किसी रुकावट के इंसान की सभी सलाहियतें सामने आ सकती हैं। यह चीज़ इमाम महदी अलैहिस्सलाम के दौर में कि उन पर हमारी जानें क़ुर्बान हों, अमली होगी। इमाम ख़ामेनेई 02/12/2000
दुनिया में न्याय व इंसाफ़ का क़ायम होना

दुनिया में न्याय व इंसाफ़ का क़ायम होना

इमाम महदी की हुकूमत का सबसे अहम नारा है, न्याय व इंसाफ़। इमाम महदी पूरी दुनिया को, किसी एक जगह को नहीं, न्याय से भर देंगे और हर जगह न्याय व इंसाफ़ क़ायम कर देंगे। इमाम महदी के बारे में जो रवायतें हैं, उनमें भी यही बात मिलती है। इसलिए इमाम महदी के ज़ाहिर होने का इंतेज़ार करने वालों की पहली अपेक्षा, पहले चरण में न्याय व इंसाफ़ क़ायम होना है। इमाम ख़ामेनेई 22/10/2002
इमाम महदी अलैहिस्सलाम हमारी इलतेजा  को सुनते भी हैं और क़ुबूल भी करते हैं

इमाम महदी अलैहिस्सलाम हमारी इलतेजा  को सुनते भी हैं और क़ुबूल भी करते हैं

इमाम महदी अलैहिस्सलाम हमारी इलतेजा और अल्लाह की बारगाह में उन्हें सिफ़ारिश का वसीला क़रार दिए जाने की गुज़ारिश को सुनते हैं और हमारी इलतेजा को क़ुबूल भी करते हैं। हम अपने सुनने वाले से जो हमसे दूर है, अपने दिल का हाल बयान करते हैं तो इसमें कोई हरज नहीं है। अल्लाह सलाम करने वालों और पैग़ाम देने वालों का पैग़ाम और सलाम इमाम महदी तक पहुंचाता है। यह वसीला क़रार देना और यह आध्यात्मिक लगाव अच्छा और ज़रूरी काम है। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011
इमाम महदी पर अक़ीदा और उनके ज़ाहिर होने की निशानियां

इमाम महदी पर अक़ीदा और उनके ज़ाहिर होने की निशानियां

इतिहास में बहुत से दावेदार पैदा हुए हैं। ये दावेदार किसी एक निशानी को अपने ऊपर या किसी और पर मैच कर लेते थे। यह पूरी तरह ग़लत है। कुछ बातें जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने की निशानी के तौर पर बयान की जाती हैं, निश्चित नहीं हैं। यह ऐसी बातें हैं जिनका भरोसेमंद रवायतों में ज़िक्र नहीं मिलता। कमज़ोर रवायतों में ज़िक्र ज़रूर मिलता है इसलिए उनको माना नहीं जा सकता। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011