04/09/2025
हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाह अलैहा के ज़िक्र के बिना इस्लाम के उदय के बारे में बात करना एक अधूरी बात है क्योंकि वे इस महान धर्म की संस्थापकों में से हैं। हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाह अलैहा सिर्फ़ पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही वसल्लम की बीवी या पहली मुसलमान महिला नहीं थीं बल्कि वे इस्लाम की पहली मददगार, उसकी सबसे बड़ी सपोर्टर, पैग़म्बरे इस्लाम का भावनात्मक सहारा और अल्लाह के पैग़म्बर की आत्मिक व आध्यात्मिक साथी थीं। इन सबके बावजूद जैसा कि इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बल देकर कहा है कि इतिहास में उनकी महान शख़्सियत के संबंध में लापरवाही बरती गयी है और उसे नज़रअंदाज़ किया गया है।(1)
22/03/2024
हज़रत ख़दीजा शुरू से इस्लाम पर ईमान लाईं। उन्होंने अपनी सारी दौलत दावते इस्लाम और इस्लाम के प्रचार पर ख़र्च कर दी। अगर हज़रत ख़दीजा की मदद न होती तो शायद इस्लाम के सफ़र और इस्लाम के प्रचार में बड़ी रुकावट पेश आती। बाद में रसूले ख़ुदा और दूसरे मुसलमानों के साथ शेअब-ए-अबू तालिब में जाकर रहीं और वहीं उन्होंने आख़िरी सांस ली। इमाम ख़ामेनेई 27 जून 1986
01/04/2023
जैसे ही हज़रत ख़दीजा ने अपनी पाक फ़ितरत के साथ पैग़म्बरे इस्लाम (स) को देखा कि वो उस अलग हालत में हिरा से लौटे हैं तो वो फ़ौरन मामले की सच्चाई को समझ गयीं और उनका पाकीज़ा दिल आकर्षित हो गया और वो ईमान ले आयीं। फिर वो पूरे वजूद से ईमान पर डटी रहीं। इमाम ख़ामेनेई