जैसे ही हज़रत ख़दीजा ने अपनी पाक फ़ितरत के साथ पैग़म्बरे इस्लाम (स) को देखा कि वो उस अलग हालत में हिरा से लौटे हैं तो वो फ़ौरन मामले की सच्चाई को समझ गयीं और उनका पाकीज़ा दिल आकर्षित हो गया और वो ईमान ले आयीं। फिर वो पूरे वजूद से ईमान पर डटी रहीं।
इमाम ख़ामेनेई