इमाम महदी अलैहिस्सलाम हमारी इलतेजा और अल्लाह की बारगाह में उन्हें सिफ़ारिश का वसीला क़रार दिए जाने की गुज़ारिश को सुनते हैं और हमारी इलतेजा को क़ुबूल भी करते हैं। हम अपने सुनने वाले से जो हमसे दूर है, अपने दिल का हाल बयान करते हैं तो इसमें कोई हरज नहीं है। अल्लाह सलाम करने वालों और पैग़ाम देने वालों का पैग़ाम और सलाम इमाम महदी तक पहुंचाता है। यह वसीला क़रार देना और यह आध्यात्मिक लगाव अच्छा और ज़रूरी काम है।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
आज इंसान का मन यह जानने, समझने और यक़ीन करने के लिए तैयार है कि एक अज़ीम इंसान आएगा और इंसानियत को ज़ुल्म व सितम से मुक्ति दिलाएगा। यह वही चीज़ है जिसका वादा पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम के ज़रिए क़ुरआन मजीद में किया गया है। "और वह उन पर से संगीन बोझ उतारता और बंदिशें खोलता है।" (सूरए आराफ़, आयत-157)
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
इंसान की अस्ली और पसंदीदा ज़िंदगी, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के वक़्त से शुरू होगी। इंसानियत लगातार रास्ता तय कर रही है ताकि राजमार्ग तक पहुंच सके, यह राजमार्ग, इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ज़माना है, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का ज़माना है। हक़ीक़त में इंसान की अस्ल और पसंदीदा ज़िंदगी इस राजमार्ग से शुरू होगी और इंसानियत उस वक़्त एक रास्ते पर आएगी और वह रास्ता सीधा रास्ता है जो उसे पैदाइश की मंज़िल तक पहुंचाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
11/06/2014
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम - हमारी जानें उन पर क़ुरबान हों - के ज़ाहिर होने और उनके वजूद का अक़ीदा रखने वाले कभी मायूसी व नाउम्मीदी का शिकार नहीं होते। वे जानते हैं कि यह सूरज निश्चित तौर पर निकलेगा और इन अंधेरों को मिटा देगा।
इमाम ख़ामेनेई
12/5/2017
हे इमाम महदी! यह हमारे लिए बहुत सख़्त है कि हम इस दुनिया में और इस की असीम प्रकृति में, जिसका ताल्लुक़ अल्लाह के बंदों से है, अल्लाह के दुश्मनों को तो देखें, अल्लाह के दुश्मन के कामों को तो देखें लेकिन आपको न देखें और क़रीब से आपकी ज़ियारत का गौरव हासिल न कर पाएं।