हम दुश्मन से ग़ाफ़िल न हों, याद रखें कि दुश्मन फ़रेब, मक्कारी, चालाकी और हथकंडों से काम लेता है। दुशमन को कमज़ोर और बेबस न समझें।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
फ़तह की अहम शर्त यह है कि हम दुश्मन और उसकी ताक़त से वाक़िफ़ हों लेकिन उससे डरें नहीं! अगर आप डरे तो हार गए। दुश्मन की धमकियों, चीख़ पुकार और दबाव से डरना नहीं चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
हमें बहुत एहतियात करना चाहिए, दुश्मन की पहचान में ग़लती न हो। इमाम ख़ुमैनी ने अपनी दूरगामी नज़र के आधार पर कहा था कि जितना ग़ुस्सा निकालना है, अमरीका पर निकालिए।
इमाम ख़ामेनेई
17 अगस्त 2023
दुश्मन की चाल और दुश्मन की रणनीति की पहचान में हम सबको अपटूडेट रहना चाहिए। अमीरुल मोमेनीन नहजुल बलाग़ा में कहते हैं: जो ग़फ़लत करता है, उसका दुश्मन असकी ओर से गफ़लत नहीं करता! ऐसा नहीं है कि आप अपने मोर्चे पर सो रहे हैं, तो दुश्मन के मोर्चे पर भी नींद का असर होगा और वह सो गया होगा, नहीं।
दुश्मन की शिकस्त का यक़ीन रखने के साथ साथ उसकी तरफ़ से ग़ाफ़िल न होना भी बहुत अहम है। किसी भी मरहले पर दुश्मनों की चालबाज़ी और साज़िशों से ग़ाफ़िल नहीं होना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
16 अप्रैल 2023
दुश्मन सोच रहा था कि ईरानी क़ौम, आर्थिक मुश्किलों की वजह से -जो मौजूद हैं- तख़्ता पलटने और मुल्क को तोड़ने की दुश्मन की साज़िश का साथ देगी, यह एक ग़लत अंदाज़ा था।
वो समझ रहे थे कि अमरीका के किसी पिट्ठू के पेट्रो डालर से इस्लामिक रिपब्लिक के इरादे को तोड़ा जा सकता है। यह उनकी भूल थी। इस्लामी जुमहूरिया का इरादा दुश्मन की ताक़त के सभी तत्वों से ज़्यादा मज़बूत साबित हुआ।
दुश्मन का एक हथकंडा यह है कि वह कहीं कोई काम बहुत शोर व ग़ुल के साथ शुरू करता है, ताकि सबका ध्यान उस तरफ़ मुड़ जाए, फिर अस्ली काम जो वह अंजाम देना चाहता है, किसी दूसरी जगह अंजाम देता है।
ये लोग प्लानिंग के साथ मैदान में आए हैं। प्लान यह है कि ईरानी क़ौम को अपनी राह पर ले जाएं, ऐसा कुछ करें कि ईरानी क़ौम की सोच ब्रिटेन और अमरीका के सियासतदानों वग़ैरह की तरह हो जाए।दुश्मन की यह कोशिश है कि लोगों के दिल व दिमाग़ पर छा जाए। अगर उन्होंने किसी क़ौम के दिल व दिमाग़ पर क़ब्ज़ा कर लिया तो फिर वह क़ौम अपने मुल्क को अपने हाथों दुश्मन के हवाले कर देगी।इस मक़सद के तहत वह, जवानों के ऐक्टिव दिमाग़ के लिए फ़िक्री कन्टेन्ट बनाना शुरू कर देता है। ये सब झूठ, हक़ीक़त के बरख़िलाफ़ ये बातें, ये सब गुमराह करने वाली बातें, ये सब इल्ज़ाम, ये सब इसी लिए है।
इमाम ख़ामेनेई
2 नवम्बर 2022
26 नवम्बर 2022
यह जो बात मैं अर्ज़ कर रहा हूं सभी इस बर ध्यान दें, दुश्मन प्लानिंग के साथ मैदान में आया है। नौजवान समझ लें, वो प्रोग्राम के साथ मैदान में उतरे हैं। उनका प्रोग्राम यह है कि ईरानी क़ौम को अपनी साज़िश में शामिल कर लें, ऐसा कुछ करें कि ईरानी क़ौम का अक़ीदा, ब्रिटेन और अमरीका वग़ैरह के नेताओं जैसा हो जाए, यह साज़िश है।
इमाम ख़ामेनेई
2 नवम्बर 2022
मुझे जब भी कभी शहीदों के घरवालों से मुलाक़ात का शरफ़ हासिल होता है और मैं अक़ीदत से उनसे मुलाक़ात करने जाता हूं तो कुछ माँए कहती हैं कि हम रोते नहीं हैं ताकि दुश्मन हमें कमज़ोर न समझे। इन दिलों में कितनी अज़मत छिपी हुई है!?
इमाम ख़ामनेई
31 अगस्त 1999
यह हंगामे मंसूबे के साथ करवाए गए। बाहरी सरकारों को यह महसूस हो रहा है, नज़र आ रहा है कि मुल्क हर पहलू से मज़बूती की तरफ़ बढ़ रहा है और यह उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वो नहीं चाहतीं कि ऐसा हो। इस तरक़्क़ी को रोकने के लिए उन्होंने यह साज़िश रची थी।
इमाम ख़ामेनेई
3 अकतूबर 2022