सही मानी में एक रहनुमा, एक पैग़म्बर की तरह, पूरी इंसानियत की रहनुमा, इतने आला रुतबे पर सबसे पाकीज़ा हज़रत ज़हरा एक नौजवान महिला नज़र आती हैं। यह है इस्लाम के मद्देनज़र महिला।
उनका तज़केरा तो क़ुरआने मजीद और मोतबर हदीसों ने किया है। उनकी बहुत सी फ़ज़ीलतों को बयान किया है कि जिन्हें समझने के लिए भी हमें बहुत ज़्यादा सोचने और ग़ौर करने की ज़रूरत है। यह जो रवायत है कि जिबरईल, पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.अ.) के पास आते थे, यह रवायत सही है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम मसऊद आली ने तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इतिहास रचने वाली तीन तरह की इबादतों के मुक़ाबले में तीन तरह के गुनाहों की व्याख्या की और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के महान किरदार का ज़िक्र किया।
इस ईद और जन्म दिन की मुबारकबाद पेश करता हूं।
यह भी इस्लाम का एक करिश्मा है कि हज़रत ज़हरा (स.अ.) इस छोटी सी ज़िंदगी में कायनात की औरतों की सरदार बन गईं। यह कैसी शक्ति और कैसी अंदरूनी ताक़त है जो इंसान को छोटी सी मुद्दत में ज्ञान, बंदगी, पाकीज़गी और आध्यात्मिक बुलंदी के महासागर में तब्दील कर देती है। यह भी इस्लाम का करिश्मा है।
इमाम ख़ामेनेई
5 जूलाई 2007
हज़रत ज़हरा पूरी रात इबादत और गिरया करती हैं। इमाम हसन अ.स. सवाल करते हैं कि आपने पूरी रात इबादत की और सिर्फ़ दूसरों के लिए दुआ की। हज़रत ज़हरा स.अ. कहती हैं कि बेटा पहले पड़ोसी फिर घर वाले।
इमाम ख़ामेनेई
15 फ़रवरी 2020
हक़ीक़त में फ़ातेमा ज़हरा नूर की सुबह हैं जिनके नूरानी हलक़े से इमामत व विलायत और नुबूव्वत का सूरज जगमगाता है। वे एक ऊंचा आसमान हैं जिसकी गोद में विलायत के दमकते हुए सितारे पलते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22 अक्तूबर 1997
ख़ानदाने रसूल के अनमोल मोती फ़ातेमा ज़हरा, सिद्दीक़ए ताहेरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत। “75 दिन वाली रिवायत” के मुताबिक़ ये दिन हज़रत फ़ातेमा की शहादत के दिन हैं। इन दिनों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का दिल टूटा हुआ है, सीना ग़म और दर्द से भरा हुआ है। मगर उनके इरादे और हिम्मत व हौसले में कोई कमज़ोरी नहीं है। यह हमारे और आपके लिए सबक़ है।
इमाम ख़ामेनई
24 फ़रवरी 2016