16/07/2024
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।  09/01/2008
15/07/2024
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की नज़रों में ये सारी मुसीबतें ख़ूबसूरत हैं क्योंकि ये अल्लाह की तरफ़ से हैं, क्योंकि उसके लिए और उसकी राह में हैं। 08/02/2010
14/07/2024
जो क़ौम कमज़ोरी और अपमान को क़ुबूल कर ले और पाक मक़सद की राह में अपने किसी शख़्स की उंगली कटाने के लिए भी तैयार न हो, उसका पतन निश्चित है और अपमान उसका मुक़द्दर है। 30/03/1985
13/07/2024
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।  9 जनवरी 2008 
13/07/2024
जहां भी इस्लाम के लिए, अल्लाह की निर्धारित सीमाओं को लागू करने के लिए, इस्लाम को बचाने के लिए कोई काम अंजाम पाता है तो वह हुसैनी अभियान है। 12/10/1984
13/07/2024
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।  9 जनवरी 2008
12/07/2024
मोमिन को इस बात की इजाज़त नहीं है कि वो काफ़िरों के सामने झुकने का अपमान और काफ़िरों की मर्ज़ी और उनके ओर से दवाब को क़ुबूल करे। 01/09/1983
12/07/2024
शहीद रईसी कभी न थकने वाले, विनम्र, दुआ से लगाव रखने वाले, इंक़ेलाबी और दीनी स्टैंड खुल कर बयान करने वाले थे और प्रतिष्ठित विदेश नीति की शैली पर चलते थे।  7  जुलाई 2024
11/07/2024
इमाम हुसैन का अभियान, सम्मान का अभियान था, यानी हक़ का सम्मान, धर्म का सम्मान, इमामत का सम्मान और उस राह का सम्मान जिसे पैग़म्बरों ने दिखाया था। 29/03/2002
10/07/2024
इस्लाम का बाक़ी रहना, अल्लाह के रास्ते का बाक़ी रहना, अल्लाह के बंदों की ओर से इस राह पर चलते रहने पर निर्भर है, इस राह ने इमाम हुसैन बिन अली अलैहिस्सलाम और हज़रत ज़ैनब के कारनामे से मदद और ऊर्जा हासिल की है।
09/07/2024
चाहे हम मारे जाएं, चाहे फ़तह पाएं, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, हम अपना फ़र्ज़ अदा कर रहे हैं। 09/06/1995  
09/07/2024
पूरे इतिहास में जिसने भी हुसैनी तौर तरीक़े को अपने व्यवहार की बुनियाद क़रार दिया, निश्चित तौर पर उसने फ़तह पायी। 14/08/1988
09/07/2024
आज दुनिया को इस तौर तरीक़े और सोच की ज़रूरत है, इमाम हुसैन का यह पैग़ाम, दुनिया की नजात का पैग़ाम है। 18/09/2019
18/06/2024
ईदे क़ुरबान से लेकर ईदे ग़दीर तक का वक़्त हक़ीक़त में इमामत के विषय से जुड़ा हुआ समय है। इमाम ख़ामेनेई 25/11/2009
13/06/2024
अबू हम्ज़ा सुमाली नामक दुआ आत्मज्ञान से भरी हुई है, अरफ़ा नामक दुआ आत्मज्ञान से भरी हुई है; मैं पूरे विश्वास से आप अज़ीज़ लोगों से अर्ज़ कर रहा हूं और आप इस बात को मान लीजिए कि जो कोई भी मिसाल के तौर पर दुआए अरफ़ा को उसके मानी पर ध्यान देते हुए पढ़े, जिस वक़्त इस दुआ को पढ़ना शुरू करता है उस वक़्त से लेकर अंत तक पहुंचते पहुंचते पूरी तरह बदल जाता है उस व्यक्ति की तुलना में जो दुआ पढ़ने से पहले था। चाहे उससे पहले दस बार इस दुआ को पढ़ चुका हो। इस दुआ में ऐसा आत्मज्ञान है। शिक्षा विभाग और पाठ्यक्रम तैयार करने वाली परिषद के सदस्यों से मुलाक़ात में दी गई स्पीच का एक भाग इमाम ख़ामेनेई 16/01/2001
10/06/2024
संयुक्त राज्य अमरीका के फ़िलिस्तीन के सपोर्टर स्टूडेंट्स के नाम आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के ख़त का एक हिस्सा 25/05/2024
09/06/2024
इस महान और बेग़रज़ (आत्मबलिदानी) इंसान के ओहदे की पूरी मुद्दत, पूरी तरह इस्लाम की दिन रात सेवा के लिए समर्पित थी।   इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति और उनके सम्मानीय साथियों के शहादत जैसे निधन पर इमाम ख़ामेनेई का शोक संदेश 20/05/2024
04/06/2024
ज़ायोनिस्ट रेजीम दुनिया के लोगों की आंख के सामने पिघलती जा रही है, ख़त्म होती जा रही है। इमाम ख़ामेनेई  3 जून 2024
03/06/2024
आज अपारथाइड ज़ायोनी सरकार के हाथों हो रहा जातीय सफ़ाया, पिछले दसियों साल से जारी शदीद अत्याचारपूर्ण रवैये के ही क्रम का एक भाग है। फ़िलिस्तीन समर्थक जागरुक अंतरात्मा रखने वाले अमरीकी युनिवर्सिटी छात्रों के नाम इमाम ख़ामेनेई का ख़त 25 मई 2024
02/06/2024
मैं यह ख़त उन जवानों को लिख रहा हूँ जिनकी जीवित अंतरात्मा ने उन्हें ग़ज़ा के मज़लूम बच्चों और औरतों के समर्थन के लिए प्रेरित किया है। अमरीका के जवानों और स्टूडेंट्स के नाम  इमाम ख़ामेनेई के ख़त का एक भाग 25/05/2024
01/06/2024
संयुक्त राज्य अमरीका के अज़ीज़ स्टूडेंट्स! आज आप रेज़िस्टेंस के अज़ीम मोर्चे का एक भाग बन गए हैं। प्रतिरोध का बड़ा मोर्चा आपसे बहुत दूर एक इलाक़े में, आपके आज के इन्हीं जज़्बात और भावनाओं के साथ, बरसों से संघर्ष कर रहा है।    अमरीका के जवानों और स्टूडेंट्स के नाम  इमाम ख़ामेनेई के ख़त का एक भाग 25/05/2024
29/05/2024
ह्यूमन राइट्स के लिए गला फाड़ के दुनिया के कानों को बहरा कर देने वाले कहां हैं? इन्हें क्यों नहीं देखते? क्या यह इंसान नहीं हैं? क्या इनके कोई अधिकार नहीं हैं? इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 2024
29/05/2024
डॉक्टर हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान, मुजाहिद और मेहनती विदेश मंत्री
23/05/2024
ईरान के ख़ादिम थे इमाम रज़ा के मोहब्बत के हलक़े में
22/05/2024
अज़ीज़ रईसी जानते ही नहीं थे कि थकन क्या चीज़ होती है।
20/05/2024
यक़ीनी तौर पर इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पाक रौज़े की सेवा अगर उस तरह अंजाम पाए जिस तरह उसे अंजाम पाना चाहिए तो, सबसे बड़े मूल्यों और सबसे बड़े सम्मान में से है और आज यह चीज़ मुमकिन और मौजूद है। मुझे भी इस बात पर फ़ख़्र है कि मैं अमल में न सही नाम ही के लिए सही आप लोगों के समूह में शामिल हूं और मुझे इस पाक रौज़े में सेवा करने का सम्मान हासिल है। यह बात मैं आप लोगों से इसलिए कह रहा हूं कि हमारा दिल भी वहीं है जहाँ रहने का शरफ़ आपको हमेशा हासिल है और क्या क़िसमत है आपकी! हक़ीक़त में मेरे लिए सबसे मीठे लम्हें वो हैं जब मैं इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियारत का सौभाग्य पाता हूं। इमाम ख़ामेनेई 8/12/1988
17/05/2024
हमें यक़ीन है कि फ़िलिस्तीन के मुसलमान अवाम की जद्दोजेहद और इस्लामी दुनिया की ओर से उनका सपोर्ट जारी रहने से अल्लाह के करम से फ़िलिस्तीन आज़ाद होगा और बैतुल मुक़द्दस, मस्जिदुल अक़सा और इस सरज़मीन के दूसरे पवित्र स्थल इस्लामी दुनिया की आग़ोश में वापस आ जाएंगे, इंशाअल्लाह। और अल्लाह तो हर काम पर पूर्ण सामर्थ्य रखता है।  इमाम ख़ामेनेई  24 अप्रैल 2001
17/05/2024
अगर बड़ी ताक़तों का बस चले तो वो समुद्र को भी अपने नाम लिखवा लें और दूसरों का रास्ता रोक दें। इंसानियत से संबंधित आम मामलों को अपने एकाधिकार में लेना बड़ी ताक़तों के स्वभाव में है, अमरीका का स्वभाव है। आपने उसे तोड़ दिया। आपके काम (ईरानी नौसेना के फ़्लोटिला का दुनिया का चक्कर लगाने के मिशन) का एक स्पष्ट नतीजा यह था कि आपने दिखा दिया कि महासागरों पर सबका हक़ है और यह जो कहा जाता है कि "हम नौसैनिक जहाज़ को फ़ुलां खाड़ी से गुज़रने नहीं देंगे" सिर्फ़ बड़बोलापन है।  इमाम ख़ामेनेई  06/08/2023 (ईरानी नौसेना के फ़्लोटिला की दुनिया का चक्कर लगाकर कामयाब वापसी पर तक़रीर)
15/05/2024
ग़ज़ा में पश्चिमी सभ्यता बेनक़ाब हो गई... 30 हज़ार लोग ज़ायोनी सरकार के हाथों मारे जाते हैं, ये लोग अपनी आँखें बंद कर लेते हैं, जैसे कुछ हुआ ही न हो! इनमें से कुछ तो मदद भी करते हैं, हथियार देते हैं... यह पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी है, यह न तो लिबरल हैं और न ही डेमोक्रेट, ये झूठ बोलते हैं।  इमाम ख़ामेनेई 24/02/2024
12/05/2024
ज़ीक़ादा महीने के रविवार के दिन तौबा व इस्तेग़फ़ार के दिन हैं और इस दिन (ज़ीक़ादा महीने के हर रविवार) का विशेष अमल है। महान धर्मगुरू व आत्मज्ञानी अलहाज मीर्ज़ा जवाद आक़ाए मलेकी ने अलमुराक़ेबात में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही वसल्लम के हवाले से नक़्ल किया है कि उन्होंने अपने साथियों से फ़रमायाः तुम लोगों में कौन कौन तौबा करना चाहता है? सभी ने कहा कि हम तौबा करना चाहते हैं। बज़ाहिर वह ज़ीक़ादा का महीना था। इस रवायत के मुताबिक़, पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया कि इस महीने में आने वाले हर रविवार को यह नमाज़ पढ़ो।  अरमुराक़ेबात में इस नमाज़ की तफ़सील बयान की गयी है। कुल मिलाकर यह कि ज़ीक़ादा महीने के दिन, जो 'हराम महीनों' में पहला महीना है, बड़े मुबारक और बर्कत वाले दिन व रात हैं, बर्कतों से भरे हुए हैं। इनसे फ़ायदा उठाना चाहिए।  इमाम ख़ामेनेई 09/09/2015   नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा • ग़ुस्ल और वज़ू करे • दो दो रकत करके चार रकत नमाज़ पढ़े। हर रकत में सूरए हम्द के बाद तीन बार सूरए तौहीद और एक एक बार सूरफ़ फ़लक़ और नास पढ़े। • सलाम के बाद 70 बार इस्तेग़फ़ार करे। फिर कहेः "ला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीयिल अज़ीम" इसके बाद कहे "या अज़ीज़ो या ग़फ़्फ़ारो इग़फ़िर ली ज़ुनूबी व ज़ुनूबा जमीइल मोमेनीना वल मोमेनाते फ़इन्नहू ला यग़फ़ेरुज़्ज़ुनूबा इल्ला अंत" स्रोतः मरहूम अलहाज मीर्ज़ा जवाद आक़ाए मलिकी की किताब अलमुराक़ेबात
11/05/2024
इस साल हमारा हज ख़ास तौर पर बराअत का हज है... इसकी वजह इन दिनों ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन में होने वाली घटनाएं हैं। इमाम ख़ामेनेई 06/05/2024
08/05/2024
ग़ौर कीजिए कि अमरीकी, इस्राईल का ज़बानी विरोध किए जाने पर क्या कार्यवाही कर रहे हैं?! अमरीकी स्टूडेंट्स के साथ इस तरह का सुलूक किया जा रहा है। यह वाक़या अमली तौर पर यह दिखाता है कि ग़ज़ा में नस्लीय सफ़ाए के बड़े अपराध में अमरीका, ज़ायोनी हुकूमत का शरीके जुर्म है।  इमाम ख़ामेनेई 1/5/2024
06/05/2024
और लोगों में हज का एलान कर दो (सूरए हज, आयत-27) हज संस्था के अधिकारियों से मुलाक़ात के स्थान पर क़ुरआन की आयत 06/05/2024
03/05/2024
ग़ज़ा आज दुनिया का सबसे अहम मुद्दा है। ज़ायोनी और उनके अमरीकी व यूरोपीय समर्थक दुनिया के जनमत के एजेंडे से ग़ज़ा को बाहर निकालने की जितनी भी कोशिशें कर रहे हैं सब व्यर्थ हैं। आप अमरीका और यूरोप की युनिवर्सिटियों की हालत देखिए।
01/05/2024
मज़दूरों की अहमियत के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। इस संबंध में सबसे अच्छी बात जो कही जा सकती है वो इस हदीस के मुताबिक़, पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम ने एक मज़दूर के खुरदुरे हाथों को चूमा। क्या इससे बढ़कर भी कोई फ़ज़ीलत की बात पेश की जा सकती है? इमाम ख़ामेनेई 21/04/2024
30/04/2024
"सच्चा वादा ऑप्रेशन" में ईरानी राष्ट्र के इरादे और आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की ताक़त के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़ाहिर होने से ज़ायोनी ग़ुस्से में हैं। इमाम ख़ामेनेई 21/04/2024
28/04/2024
ज़ायोनी जब जंग के मैदान में उतरे तो पहले ही दिन उन्होंने अपनी पहली हार की भरपाई के लिए कुछ लक्ष्यों का एलान किया था ... लेकिन वो अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल न कर सके ... उन्होंने प्रतिरोध को और ख़ास तौर पर हमास को निर्बल बनाने और ख़त्म करने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे।   इमाम ख़ामेनेई 03/04/2024
ताज़ातरीन
क़ुरआन प्रतियोगिता में भाग लेने वालों से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः

अल्लाह की इजाज़त से नामुमकिन, मुमकिन हो जाता है, ग़ज़ा अमरीकी शासन और ज़ायोनियों पर विजयी हुआ