"अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन" में "रब्बिल आलमीन" "अलहम्दो लिल्लाह" का सबब बता रहा है। क्यों सारी तारीफ़ें अल्लाह से विशेष हैं? क्योंकि अल्लाह "सब जहानों का परवरदिगार है"...'रब' का मतलब चलाने वाला है। किसी चीज़ का रब यानी किसी
चीज़ का संचालन उसके हाथ में है, उस चीज़ को चलाना उसके हाथ में है...इसी तरह पालने वाले के मानी में, परवान चढ़ाने वाले के मानी में... इसी तरह मालिक और साहब के मानी में,...
इमाम ख़ामेनेई
13 मार्च 1991
"अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन।" इसमें 'हम्द' का मतलब किसी इंसान या किसी वजूद की तारीफ़ करना किसी ऐसे अमल या ख़ूबी की वजह से जिसे उसने अपने अख़्तियार से अंजाम दिया हो। अगर किसी में कोई ख़ुसूसियत हो लेकिन वह उसके अख़्तियार से न हो तो उसके लिए हम्द शब्द इस्तेमाल नहीं होता...मिसाल के तौर पर अगर हम किसी की ख़ूबसूरती की तारीफ़ करना चाहें, तो अरबी में उसके लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन किसी शख़्स की बहादुरी के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है, किसी की दानशीलता की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है, किसी के भले काम की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है या उसकी किसी ऐसी ख़ूबी की तारीफ़ के लिए जो उसने अख़्तियार से अपने भीतर पैदा की है, हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है...अलहम्द का मतलब हर तरह की तारीफ़ अल्लाह से विशेष है। यह जुमला जो बात हमको समझाना चाहता है, यह है कि उन सभी भलाइयों, उन सभी ख़ूबसूरतियों, उन सभी चीज़ों जिनके लिए हम्द की जा सकती है, सब अल्लाह से विशेष हैं...
इमाम ख़ामेनेई
13 मार्च 1991
अब रहमत का रहीमी पहलू। 'रहीम' शब्द से रहमत का जो अर्थ समझा जाता है, वह दूसरी तरह की रहमत है; ख़ास तरह की रहमत है, ऐसी रहमत जो सृष्टि के एक ख़ास समूह से मख़सूस है और वह समूह मोमिनों और अल्लाह के नेक बंदों का समूह है। जब हम कहते हैं 'अर्रहीम' अल्लाह का रहीम के नाम से गुणगान करते है- तो हक़ीक़त में हम अल्लाह की ख़ास रहमत की ओर इशारा करते हैं और वह मोमिनों से मख़सूस रहमत है; वह क्या है?
वह ख़ास मार्गदर्शन, गुनाहों की माफ़ी, भले कर्मों का अज्र, अल्लाह की मर्ज़ी पर राज़ी रहना है जो मोमिनों से मख़सूस है। हालांकि इस रहमत का दामन सीमित है और एक समूह से मख़सूस है लेकिन हमेशा बाक़ी रहने वाली है, यह इस दुनिया से मख़सूस नहीं है, जारी रहेगी; इस लोक से परलोक तक, बर्ज़ख़ के दौरान, (मरने के बाद और क़यामत से पहले का चरण) क़यामत तक और स्वर्ग तक।
इमाम ख़ामेनेई
13 मार्च 1991
जब हम अल्लाह का रहमान के नाम से गुणगान करते हैं तो हक़ीक़त में हम कहते हैं कि अल्लाह की रहमत सृष्टि की सभी चीज़ों को अपने दामन में समेटे हुए है; तो रहमान का मतलब सबको पहुंचने वाली रहमत है... अल्लाह की यह सर्वव्यापी रहमत क्या है? अल्लाह की रहमत सृष्टि की हर चीज़ पर फैली हुयी हैः उन्हें वजूद देने की रहमत- उन्हें पैदा किया और यह अल्लाह की ओर से हर मख़लूक़ पर रहमत है- और उनकी सामान्य तौर पर रहनुमाई करने की रहमत; "हर चीज़ को ख़िलक़त बख़्शी और रहनुमाई फ़रमाई।" (सूरए ताहा, आयत-50) अल्लाह सभी चीज़ की एक मार्ग की ओर रहनुमाई कर रहा हैः पेड़ की भी अल्लाह रहनुमाई करता है बढ़ने की ओर, कमाल (संपूर्णता) की ओर; दाने की खुलने की ओर, खाद्य पदार्थ बनने की ओर, उगने की ओर, फल देने की ओर; जानवरों की भी इसी तरह, निर्जीव चीज़ों की भी इसी तरह...
इमाम ख़ामेनेई
13 मार्च 1991
रहमान और रहीम दोनों शब्द रहमत से बने हैं लेकिन दो अलग आयामों से। रहमान सुपरलेटिव डिग्री है... रहमान रहमत की बहुतायत और रहमत में इज़ाफ़े को दर्शाता है;... रहीम शब्द भी रहमत से है, यह विशेष क्रियाविशेषण है जो स्थायित्व और निरंतरता को दर्शाता है... इन दो शब्दों से दो बातें समझ में आती हैं: अर्रहमान का मतलब है अल्लाह बहुत ज़्यादा रमहत का स्वामी है और उसकी रहमत का दायरा बहुत व्यापक है। अर्रहीम से हम समझते हैं कि अल्लाह की रहमत लगातार और हमेशा रहने वाली है और यह उसकी ओर से बदलने वाली नहीं है; यह रहमत कभी ख़त्म नहीं होगी। तो ये दो मानी मद्देनज़र रखिए।
इमाम ख़ामेनेई
13 मार्च 1991
सबसे पहले यह कि क़ुरआन के सूरे और इस्लाम में हर काम अल्लाह के नाम से क्यों शुरू होता है? अल्लाह के नाम से शुरूआत, काम और बात के संबंध और दिशा को बताती है। जब आप अल्लाह के नाम से कोई काम शुरू करते हैं तो यह समझाना चाहते हैं कि यह काम अल्लाह के लिए है।
दुश्मन जान ले कि क़ब्ज़े, ज़ुल्म और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ रेज़िस्टेंस रुकने वाला नहीं है और अल्लाह की मर्ज़ी से अपनी मंज़िल तक पहुंचने तक जारी रहेगा।
सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन के अंतिम संस्कार के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के संदेश का एक हिस्सा
21 फ़रवरी 2025
क्षेत्र में रेज़िस्टेंस के महान मुजाहिद और अग्रणी रहनुमा, हज़रत सैयद हसन नसरुल्लाह (अल्लाह उनके दर्जे बुलंद करे) आज इज़्ज़त की चोटी पर हैं। उनका पाकीज़ा शरीर अल्लाह की राह में जेहाद करने वालों की सरज़मीन में दफ़्न होगा लेकिन उनकी रूह और राह हर दिन ज़्यादा से ज़्यादा कामयाबी का जलवा बिखेरेगी इंशाअल्लाह और रास्ता चलने वालों का मार्गदर्शन करेगी।
मेरा ख़ुसूसी सलाम हो आप पर अज़ीज़ फ़र्ज़न्दो! लेबनान के बहादुर जवानो।
सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन के अंतिम संस्कार के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के संदेश का एक हिस्सा
21 फ़रवरी 2025
हज़रत सैयद हसन नसरुल्लाह (अल्लाह उनके दर्जे बुलंद करे) का पाकीज़ा शरीर अल्लाह की राह में जेहाद करने वालों की सरज़मीन में दफ़्न होगा लेकिन उनकी रूह और राह हर दिन ज़्यादा से ज़्यादा कामयाबी का जलवा बिखेरेगी इंशाअल्लाह और रास्ता चलने वालों का मार्गदर्शन करेगी।
सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन के अंतिम संस्कार के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के संदेश का एक हिस्सा
21 फ़रवरी 2025
जनाब सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन (रिज़्वानुल्लाह अलैह) का नेक नाम और दमकता चेहरा भी इस क्षेत्र के इतिहास का जगमगाता सितारा है। वे लेबनान में रेज़िस्टेंस के नेतृत्व के बहुत क़रीबी मददगार और अभिन्नअंग थे।
सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन के अंतिम संस्कार के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के संदेश का एक हिस्सा
21 फ़रवरी 2025
क्षेत्र में रेज़िस्टेंस के महान मुजाहिद और अग्रणी रहनुमा, हज़रत सैयद हसन नसरुल्लाह (अल्लाह उनके दर्जे बुलंद करे) आज इज़्ज़त की चोटी पर हैं।
सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन के अंतिम संस्कार के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के संदेश का एक हिस्सा
21 फ़रवरी 2025
ऐ मेरे अल्लाह! और मुझे अपनी इज़्ज़त के ख़ूबसूरत और आनंददायक नूर तक पहुंचा दे ताकि मैं तेरी पहचान हासिल कर सकूं और तेरे अलावा सबसे मुंह मोड़ लूं और तुझसे डरता और तेरी ओर मुतवज्जेह रहूं।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! तुझसे सवाल करता हूं और तेरी बारगाह में गिड़गिड़ाता हूं और तेरी चाहत रखता हूं और तुझसे इल्तेजा करता हूं कि मोहम्मद और आले मोहम्मद पर दुरूद भेज और मुझे उन लोगों में क़रार दे जो लगातार तेरा ज़िक्र करते और तुझे याद रखते हैं और तेरा अहद नहीं तोड़ते और तेरे शुक्र से ग़ाफ़िल नहीं होते और जो तेरे आदेश को हल्का नहीं समझते।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! मुझे तेरे अलावा हर चीज़ से पूरी तरह तवज्जो हटा लेने की तौफ़ीक़ दे ताकि मैं पूरे वुजूद से तेरी बारगाह में पहुंच जाऊं और हमारे दिल की निगाहों को तेरी तरफ़ ध्यान लगाए रखने के नूर से रौशनी देते रहना, यहाँ तक कि दिल की आँखें नूर के परदों को पार कर लें और महानता के स्रोतों से जा मिलें और हमारी आत्माएं तेरे पाकीज़ा मक़ाम की बुलंदियों तक पहुंच जाएं।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! मैं तेरा कमज़ोर और गुनहगार बंदा और तेरी बारगाह में पलट आने और तौबा करने वाला ग़ुलाम हूं, मुझे ऐसे लोगों में क़रार न दे जिनसे तूने मुंह मोड़ा है और न ही उन लोगों की श्रेणी में, जिन्हें उनकी ग़लतियों ने तेरी माफ़ी की ओर ध्यान देने से ग़ाफ़िल रखा है।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! अपने ज़िक्र से लगाव से मुझे मुसलसल प्रेरित करता रह, मेरी हिम्मत को तेरे नामों की कामयाबी की समीर और तेरे यहाँ पाकीज़ा दर्जे में क़रार दे।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! बेशक जो तेरी ओर बढ़े उसका मार्ग स्पष्ट है, जो तेरी पनाह मांगे वह तेरी पनाह में है, मैं तेरी पनाह में आया हूं। ऐ मेरे माबूद! तेरी रहमत के बारे में मेरे गुमान को निराशा में न बदल और अपनी मोहब्बत से मुझे वंचित न कर।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! बेशक जो तेरे ज़रिए पहचाना गया वह गुमनाम नहीं रहता और जो तेरी पनाह में आया वह बे यार व मददगार नहीं होता और जिसकी ओर तूने रुख़ क़िया वह ग़ुलाम नहीं बनता।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! मुझे ऐसा दिल दे जिसका शौक़ उसे तेरे क़रीब कर दे और ऐसी ज़बान दे जिसकी सच्चाई तेरी ओर बढ़े और ऐसी निगाह दे जिसकी सच्चाई उसे तुझसे क़रीब कर दे।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ वह क़रीब जो धोखा खाए हुए शख़्स से दूरी अख़्तियार नहीं करता और ऐ वह दानशील जो उससे अज्र की उम्मीद रखने वाले को दान देने में कमी नहीं करता।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! मैं क्योंकर तेरी बारगाह से मायूस होकर ख़ाली हाथ पलटूंगा हालांकि तेरी दानशीलता पर मेरी सद्भावना यह थी कि तू मुझे निजात देकर मुझपर रहम करके पलटाएगा।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! तेरे सामने मेरी मेरा माफ़ी मांगना उस शख़्स की तरह है जिसके पास माफ़ी क़ुबूल हो जाने के अलावा कोई चारा नहीं है, तो मेरी माफ़ी क़ुबूल फ़रमा ऐ सबसे ज़्यादा दानशीन जिसके सामने गुनहगार गुनाह की माफ़ी मांगते हैं।
(शाबान की विशेष मुनाजात से)
ऐ मेरे अल्लाह! तूने मुझपर एहसान किया कि दुनिया में अपने किसी भी नेक बंदे पर मेरे गुनाह ज़ाहिर नहीं किए, तू मुझे क़यामत के दिन लोगों के सामने रुसवा न करना।
शाबान की विशेष मुनाजात से
ऐ अल्लाह! मैं मरने के बाद तेरी नज़रे करम की ओर से कैसे निराश हूंगा जबिक ज़िंदगी में तूने सिर्फ़ नेकी के साथ मेरी सरपरस्ती की।
(शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
ऐ अल्लाह! मैं अपना पूरा वजूद लेकर तेरे सामने आ खड़ा हुआ हूं जबकि तेरी ज़ात पर भरोसे का साया मुझ पर छाया हुआ है, तूने वही किया जिसके योग्य तूही है और तूने मुझे माफ़ करके अपनी पनाह में ले लिया है। (शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
ऐ अल्लाह! अगर तू मुझे महरूम कर दे, तो कौन है जो मुझे रिज़्क़ देगा? अगर तूने मुझे अकेला छोड़ दिया तो कौन है जो मेरी मदद करेगा? (शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
रेज़िस्टेंस ने बहुत से ग़ैर मुस्लिमों की अंतरात्मा को झिंझोड़ दिया। इस अवधि के दौरान दुनिया भर में लगभग 30,000 ज़ायोनी विरोधी प्रदर्शन हुए हैं! लोगों की अंतरात्मा जाग गई है।
इमाम ख़ामेनेई
28 जनवरी, 2025
अमीरुल मोमेनीन की हस्ती को शिया-सुन्नी और इस्लामी मतों के बीच मतभेद की बुनियाद न बनाइये। अमीरुल मोमेनीन की हस्ती एकता का बिंदु है न कि फूट का।
इमाम ख़ामेनेई
5 नवम्बर 2004
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के ख़ुबसूरत पहलुओं में से एक, इंसाफ़ है। उनकी ज़िंदगी और बातों में इंसाफ़ इतनी अहमियत रखता है कि अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की पूरी हुकूमत पर इसका प्रभाव पड़ा है।
इमाम ख़ामेनेई
7 जनवरी 1993
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम सत्ता, हुकूमत और शासन के पूरे दौर में जो अल्लाह ने उनके अख़्तियार में दिया, समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग की चिंता में लगे रहे...ग़रीब के घर जाते हैं, यतीम बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 दिसम्बर 1992
अमीरुल मोमेनीन का राजनैतिक व्यवहार उनके आध्यात्मिक और अख़लाक़ी व्यवहार से अलग नहीं है; अमीरुल मोमेनीन की नीति में अध्यात्म और अख़लाक़ शामिल है, हक़ीक़त में उसका स्रोत हज़रत अली का अध्यात्म और उनका अख़लाक़ है।
इमाम ख़ामेनेई
11 सितम्बर 2009
इंक़ेलाब से पहले अमरीका की पसंद यह थी कि ईरान उसका ग़ुलाम रहे, अमरीकी और ज़ायोनी हितों की हिफ़ाज़त करे। वे ईरान के लिए यह आरज़ू रखते थे, आज भी उनकी यही तमन्ना है। कार्टर अपनी यह आरज़ू लेकर क़ब्र में पहुंच गए और यह लोग भी अपनी यह आरज़ू क़ब्र में ले जाएंगे।