सीरिया की जवान नस्ल के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उसकी यूनिवर्सिटी, उसका स्कूल, उसका घर और उसकी ज़िंदगी असुरक्षित है, वह क्या करे? उसे मज़बूत इरादे के साथ उन लोगों के मुक़ाबले में, जिन्होंने इस अशांति की साज़िश रची है और जिन्होंने इस पर काम किया है, डट जाना चाहिए और इंशाअल्लाह वह उसे हराकर रहेगी। इमाम ख़ामेनेई 22 दिसम्बर 2024
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