अक्तूबर 2023 से ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा में रोज़ाना अवसतन 45 से ज़्यादा बच्चों का क़त्ल किया है।
कल्पना से परे यह जुर्म, भेड़िया समान, बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार की अस्लियत है कि जिसका हल उसका विनाश और अंत है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जुलाई 2014
अगर इमाम महदी के प्रकट होने का अक़ीदा न हो तो इसका मतलब यह होगा कि पैग़म्बरों की सारी कोशिशें, यह सत्य की ओर दावत, ये पैग़म्बरों का भेजा जाना, ये सबके सब बेकार की कोशिश थी, बेफ़ायदा थी।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
लेबनान के निहत्थे लोगों के जनसंहार ने जहाँ एक बार फिर ज़ायोनी पागल कुत्ते की हैवानियत को सबके सामने स्पष्ट कर दिया है, वहीं इससे अवैध क़ब्ज़े वाली सरकार के शासकों की छोटी सोच और मूर्खतापूर्ण नीति भी साबित हो गई है।
इंसानियत ने इन गुज़री हुयी सदियों के दौरान पैग़म्बरों की शिक्षाओं के प्रभाव में जो कुछ किया है वह हक़ीक़त में उस राजमार्ग की ओर बढ़ने की कोशिश है जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम -अल्लाह उन्हें जल्द से जल्द ज़ाहिर करे- के ज़ाहिर होने के ज़माने में इंसानियत को उच्च लक्ष्यों की ओर ले जाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
09-07-2011
(लेबनान और फ़िलिस्तीन की) इस जंग में भी काफ़िर और ख़बीस (ज़ायोनी) दुश्मन सबसे ज़्यादा हथियारों से लैस है। अमेरिका उसकी पीठ पर है। अमेरिकी कहते हैं कि हमारा कोई दख़ल नहीं है, हमें ख़बर नहीं है, वे झूठ बोलते हैं। उन्हें ख़बर भी है और वे दख़ल भी दे रहे हैं।
25 सितम्बर 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की नज़र में फ़िलिस्तीन के संबंध में इस्लामी जगत की ज़िम्मेदारियां
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मुल्क के आला अधिकारियों, विदेशी राजदूतों और इस्लामी एकता कान्फ़्रेंस में भाग लेने वालों से मुलाक़ात में, 21 सितम्बर 2024 को ज़ायोनी सरकार के अपराधों की ओर इशारा करते हुए इस्लामी जगत की ओर से फ़िलिस्तीनी क़ौम के प्रति मौजूदा सपोर्ट के अनेक पहलूओं का ज़िक्र किया, जिन्हें इन्फ़ोग्राफ़ में पेश किया जा रहा है।
इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने का अक़ीदा जिस चीज़ की ख़ुशख़बरी देता है वह वही चीज़ है जिसके लिए सभी पैग़म्बर व ईश्वरीय दूतों को नियुक्त किया गया। यह मुख्य लक्ष्य है। इंसान का अल्लाह की ओर से दी गयी सभी सलाहियतों को इस्तेमाल करते हुए इंसाफ़ की बुनियाद पर तौहीद के अक़ीदे वाले समाज का गठन करना है।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
फ़िलिस्तीन के स्कूल और कालेज के स्टूडेंट्स, टीचरों, स्कूल स्टाफ़ और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में फ़िलिस्तीन के शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्टः
फ़िलिस्तीन के स्कूल और कालेज के स्टूडेंट्स, टीचरों, स्कूल स्टाफ़ और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में फ़िलिस्तीन के शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्टः
फ़िलिस्तीन के स्कूल और कालेज के स्टूडेंट्स, टीचरों, स्कूल स्टाफ़ और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में फ़िलिस्तीन के शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्टः
इस्लाम ने फ़ैमिली का ढांचा भीतर से कुछ ऐसा बनाया है कि आपसी मतभेद अपने आप हल हो जाएं। उसने मर्द को हुक्म दिया है कि वह बीवी का ख़याल रखे और बीवी को हुक्म दिया है कि वह शौहर का ख़याल रखे। अगर आपसी सम्मान व लेहाज़ पर सभी पहलुओं से अमल हो तो कोई भी फ़ैमिली बिखर नहीं सकती और न ही तबाह होगी।
इमाम ख़ामेनेई
11/06/2013
इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम के बारे में अक़ीदा, धार्मिक आस्थाओं और शिक्षाओं के कुछ सबसे अहम आधारों में से एक है, जैसे कि पैग़म्बरी का अक़ीदा। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के बारे में अक़ीदे की अहमियत इस तरह की है। क्यों? इस लिए कि ये अक़ीदा जिस चीज़ की ख़ुशख़बरी देता है वो वही चीज़ है जिसके लिए सभी नबियों और पैग़म्बरों को भेजा गया।
इमाम ख़ामेनेई
9/7/2011
इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम उसी सामर्रा शहर में, जो अस्ल में एक फ़ौजी छावनी की तरह था, पूरे इस्लामी जगत के साथ व्यापक संपर्क वाला संचार व प्रचार का एक ज़बरदस्त नेटवर्क स्थापित करने में कामयाब हुए।
इमाम ख़ामेनेई
10 मई 2003
आज इंसान का मन यह जानने, समझने और यक़ीन करने के लिए तैयार है कि एक अज़ीम इंसान आएगा और इंसानियत को ज़ुल्म व सितम से मुक्ति दिलाएगा। यह वही चीज़ है जिसका वादा पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम के ज़रिए क़ुरआन मजीद में किया गया है। "और वह उन पर से संगीन बोझ उतारता और बंदिशें खोलता है।" (सूरए आराफ़, आयत-157)
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
अमरीकियों ने मानवाधिकार की रक्षा का झंडा उठा रखा है और वे कहते हैं कि हम मानवाधिकार के पाबंद हैं और वह भी सिर्फ़ अपने मुल्क में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में! यह तो सिर्फ़ एक दावा है, वे व्यवहार में क्या कर रहे हैं? व्यवहारिक तौर पर वे मानवाधिकार को सबसे ज़्यादा चोट पहुंचा रहे हैं और मुख़्तलिफ़ मुल्कों में मानवाधिकार का सबसे ज़्यादा अनादर कर रहे हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16 फ़रवरी, 2013
विश्व समुदाय को, जो हमेशा मुख़्तलिफ़ मामलों में मानवाधिकार के प्रति अमरीकी सपोर्ट के नारे सुनते रहे हैं, फ़िलिस्तीन के आईने में अमरीकी नीतियों के घिनौने रूप को ज़रूर देखना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
15 दिसंबर, 2000
अमरीकी यूनिवर्सिटी के प्यारे स्टूड़ेंट्स, यह आपके प्रति अपनी हमदर्दी और एकजुटता दर्शाने का संदेश है। इतिहास अपना पन्ना पलट रहा है और आप उसकी सही दिशा में खड़े हैं।
अमरीकी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के नाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के ख़त से
25 मई 2024
अमरीका, मानवाधिकार का झंडा उठाता है और उसका सपोर्ट करने का दावा करता है लेकिन हर कुछ दिन बाद अमरीकी शहरों की सड़कों पर कोई बेगुनाह, कोई निहत्था, अमरीकी पुलिस के हाथों ख़ून में लथपथ हो जाता है।
इमाम ख़ामेनेई
9 सितंबर, 2015
अमरीकी यूनिवर्सिटी के प्यारे स्टूडेंट्स, आपने अपनी सरकार के निर्दयी दबावों के बावजूद सज्जनतापूर्ण संघर्ष शुरू किया, ऐसी सरकार जो क़ाबिज़ व बर्बर ज़ायोनी शासन का खुल्लम खुल्ला सपोर्ट करती है। मैं आपकी दृढ़ता की क़द्र करता हूं।
अमरीकी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के नाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के ख़त से
25 मई 2024
अमरीका मानवाधिकार का झंडा उठाए हुए है, लेकिन मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन अमरीका के संरक्षण में हो रहा है। अमरीकी न सिर्फ़ यह कि इस तरह की हरकतों को रोकने में नाकाम रहे बल्कि उसका सपोर्ट करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
31 अक्तूबर, 2012
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम के अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम से एक चमकता हुआ सूरज अल्लाह की कृपा और उसके इरादे से ज़मीन पर मौजूद है। उनके वजूद की बरकतें और उनके वजूद से निकलने वाला प्रकाश, आज भी इंसान तक पहुंच रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
आयतुल्लाह ख़ामेनेईः "आज के दौर में जब इस्लाम के दुश्मन और इस्लामी उम्मत के दुश्मन अनेक तरह के संसाधनों से, पैसे से, राजनीति के ज़रिए, हथियारों से इस्लामी जगत के ख़िलाफ़ सरगर्म हैं, अल्लाह अचनाक अरबईन की रैली को इस तरह अज़मत देता है, इस तरह उसका जलवा दिखाता है। यह अल्लाह की अज़ीम निशानी है, यह अल्लाह के इस्लामी उम्मत की मदद करने के इरादे की निशानी है, यह इस बात की निशानी है कि अल्लाह ने इस्लामी उम्मत की मदद करने का इरादा कर लिया है।"
18 सितंबर 2019
ज़ियारत के वक़्त इमाम के मौजूद होने का एहसास होना और इमामों की ओर से जिन ज़ियारतों को पढ़ने की सिफ़ारिश की गयी है उन्हें पढ़ना जैसे जामए कबीरा और ज़ियारत अमीनुल्लाह वग़ैरह।
शियों की यह विशिष्टता है कि वे सभी ईश्वरीय धर्मों की ओर से निश्चित तौर पर मान्य इस अल्लाह के वादे को इसके नाम, ख़ूबियों, ख़ुसूसियतों और पैदाइश की तारीख़ के साथ पहचानते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) पूरी इंसानियत के हैं। हम शिया गर्व करते हैं कि हम इमाम हुसैन के अनुयायी हैं, लेकिन इमाम हुसैन सिर्फ़ हमारे नहीं हैं। इस्लामी मत, चाहे शिया हों या सुन्नी, सभी इमाम हुसैन के परचम की छाया में हैं। इस अज़ीम (अरबईन) मार्च में यहाँ तक कि वे लोग भी जो इस्लाम पर अमल नहीं करते, शिरकत करते हैं और यह सिलसिला चलता रहेगा इंशाअल्लाह, यह एक अज़ीम निशानी है जो अल्लाह दिखा रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
18 सितंबर 2019
अगर अमरीका की मदद न होती तो क्या ज़ायोनी सरकार में इतनी ताक़त व हिम्मत थी कि ग़ज़ा के छोटे से इलाक़े में मुसलमान अवाम, औरतों, मर्दों और बच्चों के साथ इस तरह का निर्दयी व्यवहार करती?
इमाम ख़ामेनेई
6 मई 2024
अमरीकी, कुछ बातें अमेरिकन वैल्यूज़ के तौर पर पेश करते हैं...ये वैल्यूज़ मानवीय सम्मान, मानवाधिकार और इस जैसी चीज़ें हैं। ये अमरीकी वैल्यूज़ हैं?!... क्या यह वही सरकार नहीं है जिसने अमरीकी सरज़मीन के मूल निवासियों का क़त्ले आम किया?...आज कल हर दिन फ़िलिस्तीनी अवाम का उनके घरों में, क़ाबिज़ों के हाथों खुले आम क़त्ल हो रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
18 मार्च 2002
इंसान की अस्ली और पसंदीदा ज़िंदगी, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के वक़्त से शुरू होगी। इंसानियत लगातार रास्ता तय कर रही है ताकि राजमार्ग तक पहुंच सके, यह राजमार्ग, इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ज़माना है, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का ज़माना है। हक़ीक़त में इंसान की अस्ल और पसंदीदा ज़िंदगी इस राजमार्ग से शुरू होगी और इंसानियत उस वक़्त एक रास्ते पर आएगी और वह रास्ता सीधा रास्ता है जो उसे पैदाइश की मंज़िल तक पहुंचाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
11/06/2014
मैंने एक दस्तावेज़ में देखा, साम्राज्यवादी कहते थे कि जब तक इमाम महदी पर इन लोगों का अक़ीदा है, तब तक हम इनके मुल्कों का कंट्रोल अपने हाथ में नहीं ले सकते। देखिए! इमाम महदी का अक़ीदा कितना अहम है! वे लोग कितनी ग़लती करते हैं जो रौशन फ़िक्री और बदलाव के नाम पर इस्लामी अक़ीदे पर, बिना अध्ययन के, बिना जानकारी के और यह जाने बिना कि वे क्या कर रहे हैं, सवालिया निशान लगाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16/12/1997
शहीद हनीया बरसों से एक शराफ़तमंदाना जंग के मैदान में अपनी जान हथेली पर लिए हुए थे।
इस्माईल हनीया की शहादत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के शोक संदेश का एक हिस्सा
31 जुलाई 2024
दुनिया, ग़ज़ा के मसले में ज़्यादा गंभीर क़दम उठाए। सरकारों, राष्ट्रों, मुख़्तलिफ़ क्षेत्रों की वैचारिक और राजनैतिक हस्तियों को गंभीर क़दम उठाना चाहिए। तब इस निगाह से समझ में आएगा कि परसों अमरीकी कांग्रेस ने इस अपराधी का भाषण सुनकर कितना ज़्यादा ख़ुद को कलंकित किया है। यह बहुत बड़ा कलंक है।
इमाम ख़ामेनेई
28 जुलाई 2024
ग़ज़ा की घटना में अमरीका निश्चित तौर पर अपराधियों के साथ शरीक है, यानी इस अपराध में अमरीका के हाथ कोहनियों तक मज़लूमों और बच्चों के ख़ून से सने हुए हैं। हक़ीक़त में...अमरीका ही संचालन कर रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
25/10/2023
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारनामे का मक़सद यह था कि वह हक़ बात और हक़ की राह को लागू करें और उन सभी ताक़तों के मुक़ाबले में डट जाएं, जो इस राह के ख़िलाफ़ आपस में मिल गयी थीं।
24/09/1985