दुनिया की बड़ी ताक़तें, उस ज़माने की सभी बड़ी ताक़तें एक मोर्चे पर इकट्ठा हो गयीं और हम पर, इस्लामी गणराज्य पर और इस्लामी इंक़ेलाब पर हमले में शरीक थीं। एक ऐसी जंग और एक ऐसे मुक़ाबले में ईरानी क़ौम फ़तह की चोटी पर पहुंची, वहाँ खड़ी हुयी और अपनी शान दुनिया को दिखा दी। महानता यह है।
इमाम ख़ामेनेई
इब्ने अब्बास से रिवायत है कि पैग़म्बरे इस्लाम ज़मीन पर बैठ जाते थे, ज़मीन पर बैठ कर खाते थे, चौपाये की रस्सी अपने हाथ में पकड़े रहते थे, ग़ुलाम की जौ की रोटी पर दावत को क़ुबूल कर लेते थे।
पाकीज़ा डिफ़ेन्स के तथ्यों में फेरबदल कर दिए जाने का ख़तरा है। फेरबदल करने वाले तत्व घात में हैं। इसलिए वक़्त के लेहाज़ से पाकीज़ा डिफ़ेन्स से जितना ज़्यादा दूर हो रहे हैं, उतना ही मारेफ़त के लेहाज़ से हमें उससे ज़्यादा क़रीब होना चाहिए।
पाकीज़ा डिफ़ेन्स का इतिहास एक पूंजी है, इस पूंजी को मुल्क की तरक़्क़ी के लिए, क़ौमी तरक़्क़ी के लिए, हर क़ौम के सामने मौजूद मुख़्तलिफ़ मैदानों में आगे बढ़ने की तैयारी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
दुश्मनों ने खुलकर कहा कि वो ईरान में सीरिया और यमन जैसे हालात पैदा करना चाहते हैं। अलबत्ता उन्होंने बकवास की है, वो यह नहीं कर सकते, इसमें कोई शक नहीं है लेकिन, शर्त यह है कि हम पूरी तरह चौकन्ना रहें। अगर आप सोते रहे तो एक बच्चा भी आपको चोट पहुंचा सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
दुनिया में बड़ा बदलाव शुरू हो चुका है। इस बदलाव की मूल निशानी, अमरीका जैसी साम्राज्यवादी ताक़तों का कमज़ोर पड़ना और नई क्षेत्रीय व वैश्विक ताक़तों का उभरना है।
वो ख़ुद कहते हैं कि दुनिया में अमरीका की ताक़त के इंडेक्स नीचे जा रहे हैं। कौन से इंडेक्स? जैसे अर्थव्यवस्था, अमरीका की ताक़त के सबसे अहम इंडेक्स में से एक अमरीका की मज़बूत अर्थव्यवस्था थी और वो कह रहे हैं कि यह पतन की ओर जा रही है।
नए बदलाव की कुछ मूल निशानियां हैं। पहली निशानी, साम्राज्यवादी ताक़तों का कमज़ोर हो जाना है, अमरीका की साम्राज्यवादी ताक़त कमज़ोर पड़ चुकी है और भी कमज़ोर हो रही है।
इमाम ख़ामेनेई
11/09/2023
सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत और दक्षिणी ख़ुरासान प्रांत के अवाम तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात के लिए जमा हुए। सभा में आयतुल्लाह ख़ामेनेई के आगमन का लम्हा बड़ा ख़ास था।
इस अरबईन वॉक में जिस इरादे और मज़बूती के साथ आपने क़दम बढ़ाए, जवानों के अंदाज़ में क़दम बढ़ाए, हर मैदान में रूहानियत, हक़ीक़त और तौहीद की हुक्मरानी की राह में इंशाअल्लाह आप इसी मज़बूती से आगे बढ़ेंगे।
ईरानी क़ौम अपने पूरे वजूद से आप अज़ीज़ इराक़ी भाइयों की शुक्रगुज़ार है, ख़ास तौर पर अर्बईन पर मौकिब के मालिकों के शुक्रगुज़ार हैं। हम दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करते हैं।
रास्ते में बने मौकिबों में आप अज़ीज़ इराक़ी भाइयों के सुलूक के बारे में, हुसैनी ज़ायरों से आपके दानशीलता के बर्ताव के बारे में हमें जो सूचनाएं मिलती हैं वो ऐसी चीज़ें हैं जिनकी कोई नज़ीर नहीं है।
आज भी जब पेचीदा दुनिया में इंसानियत पर उत्तेजक शोर और प्रोपैगंडा छाया हुआ है, अर्बईन का यह आंदोलन दूर दूर तक पहुंचने वाली आवाज़ और बेमिसाल मीडिया बन गया है। बेमिसाल मीडिया है।
कुछ वर्ग ऐसे हैं कि अगर उनसे कोई ग़लती हो तो अल्लाह उसे दो ग़लती शुमार करता है। हम अमामे वाले इसी तबक़े में आते हैं। हमारी एक ख़ता दो ख़ता है। एक ख़ुद गुनाह का और एक हमारे गुनाह से बाहर होने वाले असर का। इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई
लगातार संकट खड़ा करने की प्रक्रिया आज तक जारी है। परमाणु मुद्दा, सन 2009 का फ़ितना, ज़्यादा से ज़्यादा दबाव, पेट्रोल और महिला अधिकार का मसला लेकिन आज तक ये सब नाकाम ही रहे हैं।
इमाम ख़ामेनेई
हर इंसान के अंदर उसकी शख़्सियत में कुछ कमज़ोरियां होती हैं। अगर उनका मुक़ाबला न करें तो हम पर छा जाती हैं और हमें शिकस्त दे देती हैं। इसलिए हमें अपनी निगरानी करनी चाहिए।
इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़ा तेहरान, 2 अक्तूबर 2019 को सिपाहे पासदाराने इंक़ेलाब की सुप्रीम असेंबली के सदस्यों की इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात, शहीदों की याद में नौहा ख़्वानी के रिक़्क़त आमेज़ मंज़र।
ईरान की 5800 किलोमीटर की तटवर्ती पट्टी है जिसमें 4900 किलोमीटर मुल्क के दक्षिणी हिस्से में है जो आज़ाद समुद्री क्षेत्र से जुड़ी है। दुनिया से संपर्क के लिए ईरान को किसी भी मुल्क की इजाज़त की ज़रूरत नहीं है।
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम (उन पर हमारी जानें क़ुर्बान) की नज़रे करम की बरकत से इस साल का मोहर्रम अक़ीदत के जोश से भरा रहा। वह काम जो अल्लाह के लिए किया जाता है, जिसका मक़सद पाक होता है, अल्लाह उसमें मदद करता है।
मैं शहीदों के घरवालों से जब मिलता हूं तो अकसर कहता हूं कि अल्लाह आपका साया इस क़ौम के सर पर बाक़ी रखे। हमने जो कुछ हासिल किया है वह इन्हीं बलिदानों की देन है।
क़रीब आठ महीने समुद्र के सफ़र में ईरानी फ़्लोटिला ने 65000 किलोमीटर की दूरी तय करके पूरी दुनिया का चक्कर लगाया। इस मिशन में जहाँ कुछ कड़वाहट थीं तो वहीं बहुत से मनमोहक लम्हे भी थे।
मातमी अंजुमनें, मोहब्बते अहलेबैत के मरकज़ कि इर्द-गिर्द जमा हो जाने वाली इकाई का नाम है। अंजुमनों की बुनियाद हमारे इमामों के ज़माने में रखी गई।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की रहनुमा रिसर्च
ईरानी नौसेना के फ़्लोटिला-86 ने आठ महीने में 65000 किलोमीटर की दूरी तय की और पूरी दुनिया का चक्कर लगाया। दुनिया की गिनी चुनी नौसेनाएं ही यह कारनामा कर सकती हैं।
स्वीडन में क़ुरआन मजीद का अनादर, साज़िश से भरी एक ख़तरनाक कटु घटना है। इस जुर्म को अंजाम देने वाले को सबसे कठोर सज़ा दिए जाने पर सभी ओलमा-ए-इस्लाम एकमत हैं।
नफ़रत से भरी इस नई हरकत का लक्ष्य यह है कि ईसाई समाज में इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ लड़ाई, अवाम के स्तर तक फैल जाए।
क़ुरआन का चमकता सूरज दिन ब दिन ज़्यादा बड़े क्षितिज पर निकल कर ज़्यादा चमकेगा।
इमाम ख़ामेनेई
तेहरान का इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़ा, शबे आशूर की मजलिस में विख्यात नौहा ख़्वां महदी रसूली का नौहा
(या इमामे ज़माना आपके परचम का सुर्ख़ रंग इंशाअल्लाह इस कायनात पर छा जाएगा)
दुश्मन, हुसैन इबने अली के जिस्म को घेरे हुए हैं और उनमें से हर कोई वार कर रहा है। जब हज़रत ज़ैनब क़त्लगाह पहुंचीं और उस पाक जिस्म को करबला की ज़मीन पर गिरा हुआ पाया तो अपने हाथों को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जिस्म के नीचे रखा और उनकी आवाज़ बुलंद हुयी ऐ अल्लाह! पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की इस क़ुरबानी को क़ुबूल कर।
क़ुरआन की शान में बेअदबी पर भारी आक्रोश, बग़दाद से स्वेडन के राजदूत को निकाला गया, ईरान ने भी कड़ा रुख़ अपनाया, आयतुल्लाह सीस्तानी ने एतेराज़ किया, जामेअतुल अज़हर ने भी रिएक्शन दिखाया। वही हुआ जिसका ज़िक्र आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने पैग़ाम में किया।
एक ग्यारह साल का बच्चा था, यह बच्चा जब समझ गया कि उसका चचा जंग के मैदान में ज़मीन पर गिरा हुआ है वह बड़ी तेज़ी से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़रीब पहुंचा। इब्ने ज़्याद के एक वहशी व बेरहम सिपाही ने तलवार खींच रखी थी कि वह इमाम हुसैन के घायल जिस्म पर वार करे, उसने अपने छोटे छोटे हाथों को बेअख़्तियार तलवार के सामने कर दिया लेकिन उस दरिंदे ने इसके बावजूद अपनी तलवार नहीं रोकी और वार कर दिया, बच्चे के हाथ कट गए।
हज़रत अली अकबर ने बाबा से जंग के मैदान में जाने की इजाज़त चाही। इमाम हुसैन ने फ़ौरन इजाज़त दे दी। उस जवान को आपने हसरत और नाउम्मीदी से देखा कि मैदाने जंग में जा रहा है और अब वापस न लौटेगा। आप नज़रें झुका कर आंसू बहाने लगे।
अचानक हमने देखा कि इमाम हुसैन के ख़ैमों की तरफ़ से एक बच्चा बाहर आया, उसका चेहरा चांद के टुकड़े की तरह दमक रहा था। वह आया और जंग करने लगा। इब्ने फ़ुज़ैल अज़दी ने उसके सिर पर वार किया और उसके दो टुकड़े कर दिए। बच्चा मुंह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी आवाज़ बुलंद हुयी: ऐ चचा जान!
अंजुमन, जेहाद का केंद्र है, अल्लाह की राह में जेहाद, अहलेबैत, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मत को ज़िंदा करने की राह में जेहाद, अंजुमन, तशरीह के जेहाद की जगह है।
मुहर्रम से पहले मुल्क के ओलमा और मुबल्लिग़ों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तबलीग़ की अहमियत और उसके समकालीन तक़ाज़ों पर रौशनी डाली।
एक झूठा मोर्चा है जो ख़ुद को लिबरल डेमोक्रेसी कहता है। हालांकि वो लिबरल है न डेमोक्रेटिक। अगर आप लिबरल हैं तो साम्राज्यवादी हरकतों का क्या तुक है? आप कैसे आज़ादी पसंद हैं?