08/02/2022
अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) अपने चचा, भाई और चचेरे भाई के साथ बैठे और एक बाद का अहद किया कि हम इस राह में शहीद हो जाने तक बिना डरे आगे बढ़ते रहेंगे, शहीद हो जाने तक जेहाद करते रहेंगे। इसके बाद अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) फ़रमाते हैं, मेरे यह साथी मुझसे आगे निकल गए और मैं पीछे रह गया। ख़ुदा की क़सम मैं मुंतज़िर हूं।
07/02/2022
हज़रत हम्ज़ा (अ.स.) वाक़ई पैग़म्बरे इस्लाम के मज़लूम सहाबी हैं। इस बड़ी हस्ती को आज तक सही तौर पर पहचाना नहीं गया। उनका नाम ज़्यादा नहीं लिया जाता। उनके बारे में बहुत ज़्यादा मालूमात नहीं है। वह वाक़ई मज़लूम हैं।
03/02/2022
रजब का महीना, रूहानी पाकीज़गी की बहार है। इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎20 अप्रैल 2016
02/02/2022
इस्लामी क्रांति की सफलता की 43वीं सालगिरह और इस उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले दस दिन के ‎देश व्यापी ‎जश्न की शुरुआत के अवसर पर इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ‎सैयद अली ख़ामेनेई बहिश्ते ज़हरा नामक क़ब्रस्तान में स्थित इमाम ख़ुमैनी के पवित्र मज़ार पर पहुंचे ‎और ‎नमाज़ व क़ुरआन पढ़ कर, ईरानी राष्ट्र के महान नेता को श्रद्धांजली दी।   इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने 28 जून 1981 की घटना के शहीदों के मज़ारों पर उपस्थित हो कर ‎अल्लाह से उनके दर्जों की बुलंदी ‎की दुआ की। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई इसके बाद अन्य शहीदों के क़ब्रस्तान, गुलज़ारे शोहदा गए।
29/01/2022
उनका तज़केरा तो क़ुरआने मजीद और मोतबर हदीसों ने किया है। उनकी बहुत सी फ़ज़ीलतों को बयान किया है कि जिन्हें समझने के लिए भी हमें बहुत ज़्यादा सोचने और ग़ौर करने की ज़रूरत है। यह जो रवायत है कि जिबरईल, पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.अ.)  के पास आते थे, यह रवायत सही है। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2022
29/01/2022
किस तरह एक बड़ा मिलिट्री कमांडर एक ही वक़्त में सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण का मोहाफ़िज़ और मेहरबान दोस्त हो सकता है?
22/01/2022
हज़रत ज़हरा पूरी रात इबादत और गिरया करती हैं। इमाम हसन अ.स. सवाल करते हैं कि आपने पूरी रात इबादत की और सिर्फ़ दूसरों के लिए दुआ की। हज़रत ज़हरा स.अ. कहती हैं कि बेटा पहले पड़ोसी फिर घर वाले। इमाम ख़ामेनेई 15 फ़रवरी 2020
15/01/2022
एनीमेशनः ‘इंतेक़ाम यक़ीनी है’ दरअस्ल शहीद सुलैमानी के क़त्ल का हुक्म देने वालों और इसे ‎अंजाम देने वालों से इंतेक़ाम के इरादे और संकल्प को बयान करता है। पिछले साल इस्लामी क्रांति ‎के सर्वोच्च नेता की वेबसाइट KHAMENEI.IR ने इसी शीर्षक के साथ एक पोस्टर प्रकाशित किया था। हाल ही में वेबसाइट की तरफ़ से जनरल सुलैमानी के क़ातिलों से इंतेक़ाम के विषय में ‘चैंपियन’ के नाम से एक ‎प्रतियोगिता रखी गई थी। इस प्रतियोगिता का विजेता एनीमेशन प्रकाशित किया जा रहा है।
13/01/2022
मिस्र, इराक़, सीरिया और ईरान के वैज्ञानिकों और विज्ञान की अहम हस्तियों के संदिग्ध एक्सिडेंट, आतंकी हमले, उनकी अजीब और घातक बीमारियां और अचानक मौतें, अमरीका व ज़ायोनी शासन की ओर से इस्लामी देशों में वैज्ञानिकों की हत्या के अनंत क्रिमनल एजेंडे में बदल चुकी हैं। सवाल यह है कि इसका मक़सद क्या है?
12/01/2022
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर इमाम ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। 9 जनवरी का दिन 1978 में होने वाले क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह है।
09/01/2022
ख़ुद हमारे इस ज़माने में भी हमारे इन्हीं शहीद, शहीद सुलैमानी की शहादत सच में एक तारीख़ी और अजीब घटना बन गई। तेहरान में शव यात्रा, किरमान में शव यात्रा, तबरेज़ में शव यात्रा और अनेक शहरों में शव यात्रा। मशहद में शवयात्रा, इराक़ में वह वैभूवपूर्ण शव यात्रा और अगर यह प्रोग्राम होता कि इस शहीद के पवित्र शव को सीरिया व लेबनान ले जाया जाए तो वहां भी यही होता, अगर पाकिस्तान ले जाते तो वहां भी यही घटना घटती। इमाम ख़ामेनेई 9 जनवरी 2022
08/01/2022
देश भर में इंतेक़ाम की जो मांग जनता की ओर से की गई, यह आवाज़ हक़ीक़त में उन मीज़ाइलों का ईंधन बनी जिन्होंने अमरीकी छावनी को तहस-नहस कर दिया। यह उसकी इज़्ज़त पर चोट थी, अमरीका की दहशत पर चोट थी, इस चोट की भरपाई किसी भी चीज़ से नहीं की जा सकती। इमाम ख़ामेनेई 17 जनवरी 2020
07/01/2022
जब भी जंग में हमें कठिन हालात का सामना होता था, तब हमारा सहारा सिर्फ हज़रत ज़हरा होती थीं। हम बीबी ‎ज़हरा से मदद मांगते थे। मैंने उनकी ताक़त, उनकी मामता जंग के मैदान में देखी!‎
05/01/2022
जनरल क़ासिम सुलैमानी 3 जनवरी 2020 को इराक़ के बग़दाद एयरपोर्ट के परिसर में अमरीका के आतंकी हमले में अपने क़रीबी साथी और इराक़ के महान मुजाहिद अबू महदी अलमुहंदिस और कुछ दूसरे साथियों के साथ शहीद हो गए। इस शहादत के बाद ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने जो सांत्वना संदेश जारी किया वह जनरल सुलैमानी के जीवन कुछ पहलुओं का आईना है।
03/01/2022
शहीद सुलैमानी को दोनों मंज़िलें मिलीं। वह विजयी भी हुए और शहादत भी मिली। इमाम ख़ामेनेई 18 फ़रवरी 2020
03/01/2022
उनका जेहाद बहुत अज़ीम जेहाद था तो अल्लाह ने उनकी शहादत को भी बहुत अज़ीम शहादत बना दिया। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
02/01/2022
मैं अपने अज़ीज़ शहीद सुलैमानी को कभी भूल नहीं पाउंगा। इमाम ख़ामेनेई 16 दिसम्बर 2020 
02/01/2022
उनके ‎एक शहीद दोस्त के नवासे का ऑप्रेशन होने वाला था, शहीद ‎अस्पताल पहुंच गए और जब तक ऑप्रेशन पूरा नहीं हो ‎गया, वे वहीं मौजूद रहे। उस बच्चे की मां ने कहा कि जनाब ‎ऑप्रेशन पूरा हो गया, अब आप चले जाइये, जाकर अपने ‎काम निपटाइये। उन्होंने कहाः नहीं, तुम्हारे पिता यानी इस ‎बच्चे के नाना मेरी जगह जा कर शहीद हुए हैं, अब मैं उनकी ‎जगह यहां खड़ा रहूंगा। वे तब तक वहां खड़े रहे जब तक ‎बच्चा होश में नहीं आया। जब उन्हें पूरा इत्मेनान हो गया ‎तब वे वहां से गए।
01/01/2022
उनके चले जाने के बाद भी अल्लाह की मदद से उनका काम और उनका रास्ता जारी रहेगा, रुकेगा नहीं। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
01/01/2022
आम लोगों ने शहीद सुलैमानी की क़द्रदानी की, यह उनके ख़ुलूस का नतीजा है। इस अज़ीम इंसान के अंदर एक ख़ास निष्ठा थी। आयतुल्लाह ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
01/01/2022
शहीद सुलैमानी डिफ़ेंस के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे। इमाम ख़ामेनेई 8 जनवरी 2020
31/12/2021
आम लोगों ने शहीद सुलैमानी की क़द्रदानी की, यह उनके ख़ुलूस का नतीजा है। इस अज़ीम इंसान के अंदर एक ख़ास निष्ठा थी। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
23/12/2021
वह इल्म जो हम चाहते हैं उसके साथ रूह की पाकीज़गी भी ज़रूरी है। इसलिए कि ‎अगर पाकीज़गी न होगी तो इल्म भटक जाएगा। इल्म एक ज़रिया है, ‎एक हथियार है। यह हथियार अगर किसी बुरे स्वभाव, बुरी सोच वाले ‎दुष्ट और क़ातिल व्यक्ति के हाथ लग जाए तो वह केवल त्रास्दी खड़ी ‎करेगा। इमाम ख़ामेनेई ‎6 अक्तूबर 2010
21/12/2021
ईरानी महिलाएं, युद्ध के मोर्चों पर ईरानी सिपाहियों की मदद करती थीं। खाना तैयार करना, मेडिकल केयर, अलग अलग तरह की मदद और वर्दियां धोना, उनकी सेवाओं में शामिल था। जब यह ऐलान हुआ कि कुछ वर्दियां रासायनिक तत्वों से दूषित हो सकती हैं, तब सैनिक वर्दियों की कमी की वजह से और यह न मालूम होने की वजह से कि कौन सी वर्दियां दूषित हैं? इन औरतों ने स्वेच्छा से और बलिदान की भावना के साथ इन वर्दियों को धोना जारी रखा। बरसों बाद, उन कैमिकल तत्वों के प्रभाव सामने आए जिनके चलते उनमें से कई महिलाओं की शहादत हो गई।
18/12/2021
ख़ानदाने रसूल के अनमोल मोती फ़ातेमा ज़हरा, सिद्दीक़ए ताहेरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत। “75 दिन वाली रिवायत” के मुताबिक़ ये दिन हज़रत फ़ातेमा की शहादत के दिन हैं। इन दिनों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का दिल टूटा हुआ है, सीना ग़म और दर्द से भरा हुआ है। मगर उनके इरादे और हिम्मत व हौसले में कोई कमज़ोरी नहीं है। यह हमारे और आपके लिए सबक़ है। इमाम ख़ामेनई 24 फ़रवरी 2016
16/12/2021
कोशिश कीजिए कि नमाज़ को 'अव्वल वक़्त' पर अदा करें, ध्यान से पढ़े। मेरे प्यारो! क़ुरआन में दिल लगाइए, उसमें दिलचस्पी पैदा कीजिए। क़ुरआन की तिलावत रोज़ाना कीजिए, चाहे चंद आयतें ही पढ़ लीजिए! इमाम ख़ामेनेई 13 दिसम्बर 2016
13/12/2021
हज़रत ज़ैनब के शुभ जन्म दिन और नर्स दिवस पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीचः हज़रत ज़ैनब ने पूरी दुनिया को औरत की ताक़त से आगाह किया, पहाड़ को हिला देने वाली मुसीबतों पर हज़रत ज़ैनब का सब्र, हज़रत ज़ैनब ने बयान और अभिव्यक्ति का जेहाद किया।
10/12/2021
हमारी सोचने की शक्ति की इतनी बुलंद उड़ान नहीं है, वह हिम्मत और हौसला नहीं है कि हम यह कह सकें कि ‎इस महान हस्ती की जीवनशैली हमारा आदर्श है। हमारी यह हैसियत नहीं। लेकिन बहरहाल हमारे क़दम उसी दिशा ‎में बढ़ें जिस दिशा में हज़रत ज़ैनब के क़दम बढ़े हैं। हमारा मक़सद इस्लाम का गौरव होना चाहिए, इस्लामी समाज ‎की गरिमा होना चाहिए, इंसान की प्रतिष्ठा होना चाहिए।
07/12/2021
जंजान के शहीदों की याद मनाने वाली कमेटी के सदस्यों और कुछ शहीदों के घरवालों ने इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 16 अक्तूबर 2021 को मुलाक़ात की।
02/12/2021
ईरान की स्वयंसेवी फ़ोर्स, जिसे बसीज कहा जाता है, वह फ़ोर्स है जो देश की रक्षा से लेकर वैज्ञानिक, सामाजिक, ‎सांस्कृतिक और अवाम की ख़िदमत तक हर मैदान में सक्रिय है। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई 27 नवम्बर 2019 ‎की अपनी एक तक़रीर में कहते हैं कि ‘बसीज’ के दो पहलू हैं। एक फ़ौजी मैदान में संघर्ष का पहलू है। ‎दूसरा साफ़्ट वार के मैदान में जिद्दोजेहद का पहलू है। यह फ़ोर्स हर जगह मौजूद है और और इससे वह ‎हस्तियां जुड़ी हैं जो नौजवानों के लिए आइडियल हैं।
29/11/2021
एलिट वह है जो अपनी सलाहियत की क़द्र करता है। ग़फ़लत में डालना साम्राज्यवादी ताक़तों का हथियार। अंग्रेज़ों ने भारत का उद्योग तबाह कर दिया। ग़फ़लत छा जाए तो क़ौम आसानी से लुट जाती है। आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स पर ख़ास ताकीद।
25/11/2021
जो‏ ‏चीज़ ग़ैर मामूली सलाहियत वाले लोगों को एलिट बनाती है वह सिर्फ़ मानसिक क्षमता नहीं है। ‎बहुत से लोगों के पास सलाहियत है, मानसिक क्षमता है, लेकिन यह बर्बाद हो जाती है। जो चीज़ एलिट को एलिट बनाती है वह मानसिक क़ाबिलियित के अलावा इस सच्चाई और ‎इस नेमत की क़द्र को समझना है।
01/11/2021
शहीद चुने हुए लोग हैं, शहीद वे हैं जिन्हें महान अल्लाह चुनता है, शहादत चोटी है, हम में से बहुत ‎से हैं जो उस चोटी पर ‎पहुंचने की आरज़ू रखते हैं, तो हमें उस चोटी के दामन में रास्ता ढूंढना ‎होगा ‎उस रास्ते पर चलना होगा ताकि चोटी तक ‎पहुंच सकें।
23/10/2021
  इस्लामी एकता सप्ताह के अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम हुसैन महदी हुसैनीः  एकता सप्ताह ने सामराज्वाद के मंसूबों पर पानी फेर दिया। जब क़ुरआन एक है, कलेमा एक है, काबा एक है और ‎नबी एक हैं तो इसी को बुनियाद बनाकर सब को जमा हो जाना चाहिए। ‎
23/10/2021
  पैग़म्बर की हस्ती वह है जिस पर अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दुरूद व सलाम भेजते हैं। हमें अपने पैग़म्बर की बात यानी क़ुरआन पर और इस्लाम पर क़ायम रहना चाहिए।
16/10/2021
चालीस दिन के आंदोलन से ‎अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम ने उस दौर में तूफ़ान बरपा कर दिया। ‎उस ज़माने में ‎इस आंदोलन ने कूफ़े में तौवाबीन को खड़ा कर दिया, मदीना को बदल कर रख ‎दिया, ‎शाम को उलट दिया। वह हालत हुई कि सुफ़ियानी हुकूमत ही ख़त्म हो गई। ‎ इमाम ख़ामेनई Oct 13, 2019‎
16/10/2021
चर्चिल ने भारत की त्रासदी और भुखमरी से मरने वालों की तस्वीरें देखकर मज़ाक़ उड़ाते ‎हुए कहाः अगर यह तस्वीरें सही हैं, तो गांधी अभी तक क्यों नहीं मरा? ‎ गांधी ने एक मुट्ठी नमक उठाया और कहाः इस नमक के साथ ब्रिटिश साम्राज्य के ‎मुक़ाबले में खड़ा हूं, आओ ताक़त पर सत्य की फ़तह के लिए मिलकर संघर्ष करें। 
16/10/2021
आयतुल्लाह ख़ामेनईः हाल ही में -कुछ महीने पहले- मुझे उस तुर्कमन (सुन्नी) महिला के परिवार का पत्र मिला ‎जो मिना की घटना में शहीद हो गई थीं, उनके परिवार ने लिखा कि वह शायद इसी सफ़र में या इससे पहले वाले सफ़र में, मक्का गईं और वहां उन्होंने ‎किसी को गवाह बनाया कि वह ‎मेरी तरफ़ से हज कर रही हैं।
26/08/2021
कर्बला की सरज़मीन पर भाई हुसैन की लाश के पास पहुंच कर हज़रत ज़ैनब ने पैग़म्बरे इस्लाम से दर्द भरे लहजे में कहा यह आपका हुसैन है जो ख़ून में लथपथ ज़मीन पर पड़ा है।