सवालः मरने वाले की क़ज़ा नमाज़ पढ़वाने और रोज़ा रखवाने का ख़र्च उसके अस्ल माल से दिया जाना चाहिए या मीरास के एक तिहाई हिस्से से?
जवाबः अगर मरने वाले ने अपनी क़ज़ा नमाज़ और रोज़े को अदा करने के बारे में वसीयत की हो तो एक तिहाई माल से ख़र्च दिया जाएगा और अगर वसीयत न की हो तो यह बड़े बेटे के ज़िम्मे है और मरने वाले के माल से ख़र्च नहीं लिया जाएगा।