सवाल: क्या बड़े माल को तोहफ़ा देने या बड़े क़र्ज़ को माफ़ कर देने जैसे अहम मामलों के सही होने के लिए एक बच्चे का शरीअत के लेहाज़ से बालिग़ होने की उम्र को पहुंच जाना (मिसाल के तौर पर एक लड़की की उम्र का नौ साल हो जाना) काफ़ी है?
जवाब: उक्त मामलों के सही होने के लिए बालिग़ होने की उम्र तक पहुंचने के साथ साथ बौद्धिक परिपक्वता तक पहुंचना भी ज़रूरी है यानी वह अपने अच्छे बुरे को समझने और पैसों के मामलों की समझ के लायक़ हो जाए और अपने माल को सही जगह पर ख़र्च करे।