सवालः क्या शादी जैसे अहम मामले में तस्बीह या क़ुरआन से इस्तेख़ारा जायज़ है?
जवाबः बेहतर है कि जिन मामलों के बारे में इंसान फ़ैसला करना चाहता है, पहले ग़ौर व फ़िक्र करे, तजुर्बेकार और भरोसेमंद लोगों से मशवरा ले और अगर इन कामों के बावजूद उसकी कशमकश दूर न हो तो वह इस्तेख़ारा कर सकता है।