एक काम जो ईरानी क़ौम के दुश्मन, इंक़ेलाब के आग़ाज़ से अब तक लगातार करते आए हैं वह समाज के समूहों में फूट डालना है; चाहे राजनैतिक संगठन हों, चाहे धार्मिक व मज़हबी हों या दूसरे वर्ग। पूरे इतिहास में साम्राज्यवाद ख़ास तौर पर ब्रितानी साम्राज्यवाद -जब उसका पूरे पश्चिम एशिया, हमारे मुल्क और दूसरे मुल्कों पर क़ब्ज़ा या रसूख़ था, इसी नीति को अपनाए हुए था; बाद में दूसरों ने इसे अपनाया। आज अमरीकी भी यही काम कर रहे हैं; ईरानी क़ौम के दुश्मनों की हमारे मुल्क के संबंध में यही नीति हैः मन में एक दूसरे से दूरी, अलग अलग तबक़ों को एक दूसरे के दूर करना। आज एक बार फिर इसी फूट को फिर से पैदा करना चाहते हैं। वे कम्युनल जज़्बात को भड़का रहे हैं अलग अलग मसलकों को एक दूसरे से दुश्मनी का इज़हार करने के लिए उकसा रहे हैं, ताकि यह फूट पैदा हो -अवाम के बीच फूट से दुश्मन के लिए रास्ता ख़ुलता है और दुश्मन, इन मतभेदों के ज़रिए किसी समाज और मुल्क में पैठ बनाता और अपने मंसूबे लागू करता है। सभी को सावधान रहना चाहिए।

इमाम ख़ामेनेई

22-11-2002