यह बात मैं उनसे जो विदेश गए हैं और जो दूसरी जगहों पर हैं और ख़ुशफ़हमी का शिकार हैं, कहना चाहता हूं: इस इस्लामी गणराज्य को आप नहीं पहचानते। कभी कहते हैं कि हमें इस्लाम की समझ है, नहीं मालूम ख़ुद को समाज शास्त्री कहते हैं! आपको अपने राष्ट्र की पहचान नहीं है, अगर पहचान होती तो आपकी यह हालत न होती। अगर आपको ईरानी राष्ट्र की पहचान है तो जान लीजिए कि इस वक़्त इस्लामी गणराज्य लोगों लोगों के रहमो करम पर नहीं है... इस ख़ुशफ़हमी में मत रहिए। दो तीन साल से आप कभी कहते आ रहे हैं कि इस्लामी गणराज्य दो महीने में ख़त्म हो जाएगा। अल्लाह की कृपा से इस्लामी गणराज्य पूरी ताक़त से खड़ा है। हमारी फ़ौज पूरी ताक़त के साथ बाक़ी है, हमारी आईआरजीसी, हमारी स्वंयसेवी संस्था, हमारा राष्ट्र, एक जागरुक राष्ट्र है।

इमाम ख़ुमैनी

09-08-1984