बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम

तराना, रूहानी और अमली उसूलों के प्रचार के सिलसिले में कला के बेशक़ीमती असर का एक नमूना है। सामूहिक पेशकश में शेर, आवाज़ और धुन का ख़ूबसूरत मजमूआ, दुनिया के हर इलाक़े पर दीनी और क़ौमी तरानों के ग़ैर मामूली असर का राज़ है और अल्लाह के फ़ज़्ल से ईरानी ज़ौक़, सलीक़े और हुनर ने इस मैदान में भी हमारे प्यारे वतन को पेश-पेश रहने वाले मुल्कों में शामिल कराने में कामयाबी हासिल की है।

मैं तरानों के प्रचार से मुताल्लिक़ लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए उन्हें उक्त तीनों चीज़ों में सर्वोत्तम के चयन और इसी तरह दूसरों की नुक़सानदेह नक़ल से दूर रहने और क़ीमती इस्लामी, इंक़ेलाबी और राष्ट्रीय विषयों के इंतेख़ाब की सिफ़ारिश करता हूं।

सैयद अली ख़ामेनेई

12 जुलाई 2022