मैंने एक डॉक्यूमेंट में देखा कि साम्राज्यवादी कहते थे कि जब तक लोगों का महदवीयत पर ईमान है, तब तक हम उनके देशों को अपने क़ब्ज़े में नहीं ले सकते।

उत्तरी अफ़्रीक़ा के देश, अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम से बड़ी अक़ीदत रखते हैं। इस्लामी मतों में से उनका मत चाहे जो भी हो, लेकिन वो अहलेबैत के चाहने वाले हैं। सूडान, मोरक्को व अन्य देशों में महदवियत का अक़ीदा बड़ा मज़बूत है।

जिस वक़्त साम्राज्य उन इलाक़ों में पहुंचा - साम्राज्य पिछली सदी में उन इलाक़ों में पहुंचा था - तो उसके रास्ते में जो चीज़ें रुकावट बनीं उनमें से एक महदवीयत का अक़ीदा था !

जो डॉक्यूमेंट मैंने देखा है उसमें साम्राज्यवाद के बड़े सरग़ना और बड़े कमांडर ज़ोर देकर कह रहे थे कि हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोगों के बीच से महदवीयत का अक़ीदा धीरे-धीरे ख़त्म हो जाए।

उस वक़्त उन अफ़्रीक़ी इलाक़ों के कुछ देशों में फ़्रांस और अंग्रेज़ों का साम्राज्य था - इसमें कोई अंतर नहीं है कि साम्राज्य कहां का है - विदेशी साम्राज्यवादियों ने ये नतीजा निकाला था कि जब तक लोगों के बीच महदवीयत का अक़ीदा है, तब तक हम उनके देशों को अपने क़ब्ज़े में नहीं ले सकते!

देखिए महदवियत पर अक़ीदा कितना अहम है!

कितनी ग़लती करते हैं वो लोग जो अक़्लमंदी और माडर्निज़्म के नाम पर इस्लामी अक़ीदों पर, उन्हें पढ़े और समझे बिना और ये जाने बिना कि वे क्या कर रहे हैं, सवालिया निशान लगाते हैं, उन्हें शक के दायरे में ले आते हैं। ये लोग वही काम, जो दुश्मन चाहता है, बड़े आराम से कर देते हैं! इस्लामी अक़ीदे इस तरह के हैं।

इमाम ख़ामेनेई

16 दिसम्बर 1997