इस मुलाक़ात में आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के जन्म दिन और नर्स डे की मुबारकबाद देते हुए इस महान महिला के व्यक्तित्व के बारे में कहाः कर्बला की इस महान महिला ने पूरी इंसानियत और तारीख़ के सामने यह बात साबित कर दी कि अतीत और वर्तमान के छोटी सोच वालों की, औरत को नीचा दिखाने की सभी कोशिशों के बावजूद, जिनमें ज़ालिम पश्चिमी भी शामिल हैं “औरत” सब्र और सहनशीलता का असीम सागर और अक़्लमंदी और सूझ बूझ की ऊंची चोटी बन सकती है।

उन्होंने सच्चाई बयान करने और उसे सामने लाने के जेहाद को हज़रत ज़ैनब की अक़्लमंदी और गहरी सूझ बूझ का एक और पहलू बताया और कहाः उन्होंने कर्बला की घटना की सच्ची, प्रभावशाली और अमर बातें बयान कीं और सच्चाई पर दुश्मन की झूठी बातों को हावी होने का मौक़ा नहीं दिया।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने पिछले 42 बरसों के दौरान समाज की सच्चाई, क्रांति की तारीख़, पवित्र प्रतिरक्षा और विभिन्न घटनाओं के सच्चे पहलुओं को बयान किए जाने पर एक बार फिर ज़ोर देते हुए कहाः अगर यह काम न हुआ, कि जो विभिन्न मामलों में नहीं हुआ है, तो दुश्मन जनमत में झूठी और भ्रामक बातें फैला देगा या ज़ालिम और मज़लूम की जगह बदल कर लगातार किए जा रहे अपने ज़ालिमाना कामों को सही ठहराने की कोशिश करेगा। उन्होंने इस्लामी क्रांति की शुरुआत में जासूसी के अड्डे अर्थात अमरीकी दूतावास पर क़ब़्ज़े की घटना को हक़ीक़त बयान करने के जेहाद से ग़फ़लत का एक नमूना बताया और कहाः अगर आप जासूसी के अड्डे पर कंट्रोल की घटना को बयान नहीं करेंगे, और अफ़सोस कि आपने बयान नहीं किया है, तो दुश्मन बयान करेगा और उसने किया है। दुश्मन ने बयान किया है, झूठी बातें बयान की हैं, हक़ीक़त बयान करना वह काम है जो हमें अंजाम देना चाहिए, यह हमारे जवानों की ज़िम्मेदारी है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने नर्सों को सराहते हुए और इस बात का ज़िक्र करते हुए कि नर्सिंग का काम, एकेश्वरवाद की राह की एक मंज़िल है, इसे इतमेनान व संतोष की वजह बताया और कहाः नर्सों का यह काम, दिल के इतमेनान का कारण है, किसके इतमेनान का? पहले तो बीमार का, फिर उसके घर वालों का और तीसरे सभी लोगों का।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने अपनी तक़रीर के एक हिस्से में कहा कि यह सच्चाई है कि विश्व साम्राज्य, ईरानी राष्ट्र की परेशानी से ख़ुश होता है। उन्होंने पश्चिमी देशों की तरफ़ से ईरान के सरहदी शहरों के लोगों पर केमिकल बमबारी और उनके लिए जानलेवा परेशानियां पैदा करने के मक़सद से सद्दाम की मदद और इसी तरह ईरानी जनता पर लगाए गए मेडिकल प्रतिबंध जैसे मामलों की तरफ़ इशारा किया और कहाः अल्लाह ने रहम किया कि हमारे जवान वैज्ञानिकों ने कोरोना की वैकसीन बना ली, उन लोगों ने देखा कि अगर दरवाज़ा बंद रहा, वैकसिन इमपोर्ट न हुई तो ईरान, ज़्यादा से ज़्यादा वैकसीन बना लेगा, अगर हमारे वैज्ञानिकों ने यह वैकसीन तैयार न की होती तो मालूम नहीं यह वैकसीन किस तरह ईरानी जनता तक पहुंचती, तो वे ईरानी राष्ट्र की परेशानियों से ख़ुश होते हैं। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आगे कहाः इन हक़ीक़तों के मद्देनज़र जब नर्सें अपनी कोशिश व त्याग से रोगियों और उनके रिश्तेदारों के होंटों पर मुसकुराहट ले आती हैं तो अस्ल में वे दुश्मन साम्राज्य के मुक़ाबले में जेहाद कर रही होती हैं और यह काम ईरान में नर्सिंग समाज के लिए दुगनी क़ीमत रखता है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने समाज के कलाकारों को संबोधित करते हुए इस बिंदु की तरफ़ इशारा किया कि नर्सों की कड़ी मेहनत और मशक़्क़तों का कलात्मक चित्रण किए जाने के मैदान में सही ढंग से काम नहीं हुआ है। उन्होंने इन घटनाओं को ड्रामों के विषय बताया और कलाकारों से अपील की कि वे इन घटनाओं का चित्रण करते हुए रोचक व कलात्मक प्रोग्राम तैयार करें। उन्होंने इसके बाद नर्सिंग समाज की मांगों पर ज़ोर दिया और कहा कि एक शब्द में नर्सों की बुनियादी मांग, “नर्सिंग समाज की मज़बूती” है जो देश के वर्तमान व भविष्य के लिए ज़रूरी है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इसी तरह ज़ोर देकर कहाः नर्स को, मौसमी मज़दूर की नज़र से मत देखिए।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपनी तक़रीर के अंत में अल्लाह पर भरोसे यानी काम व कोशिश के साथी अल्लाह की बरकत व मदद पर विश्वास को ज़िंदगी व देश के सभी कठिन मुद्दों में रास्ता खोलने वाली सोच बताया और उम्मीद जताई कि ईरानी राष्ट्र का आने वाला कल, उसके आज से बेहतर होगा और अल्लाह, दुश्मनों के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र को हर मैदान में सरबुलंद और विजयी बनाएगा।