17/05/2024
13/5/2024 को तेहरान के बुक फ़ेयर के मुआयने के दौरान इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से ईरान के राष्ट्रीय प्रसारण संस्था आईआरआईबी के रिपोर्टर का इंटरव्यू।
17/05/2024
"फ़िलिस्तीन" नामक किताब फ़िलिस्तीन के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के वर्णन और समीक्षा पर आधारित बयानों और उनकी ओर से पेश किए गए हल का संग्रह है। फ़िलिस्तीन के मसले में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के विचारों की अहमियत और निर्णायक हैसियत सहित इस वक़्त के ख़ास हालात के मद्देनज़र इस किताब के अरबी, अंग्रेज़ी, रूसी, तुर्की इस्तांबोली और दूसरी ज़बानों में अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।
14/05/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तेहरान इंटरनैशनल बुक फ़ेयर का मुआइना करने के बाद, संबंधित विभाग को किताबों का प्रकाशन बढ़ाने पर ताकीद की।
तेहरान पुस्तक मेले के मुआइने के बाद एक इंटरव्यू में आयतुल्लाह ख़ामेनेई:

लोग हर दिन किताब पढ़ें और कोई भी चीज़ किताब की जगह नहीं ले सकती

13/05/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने सोमवार 13 मई 2024 की सुबह तेहरान में किताबों के अंतर्राष्ट्रीय मेले में पहुंच कर किताबों के मुख़्तलिफ़ स्टालों का तीन घंटे तक मुआइना किया। 
11/05/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई अपनी लाइब्रेरी में
11/05/2024
इस्लामी इंक़ेलाब इंस्टीट्यूट के अंतर्राष्ट्रीय विभाग की कोशिशों से तेहरान में अंतर्राष्ट्रीय बुक फ़ेयर में “फ़िलिस्तीन” किताब का उर्दू और कुर्दी संस्करण रिलीज़ हुआ। 
19/02/2024
आयतुल्लाह ख़ामेनेई अपनी पत्नी के बारे में: "उन्होंने मुझसे कभी भी लेबास ख़रीदने के लिए नहीं कहा। उन्होंने कभी अपने लिए कोई ज़ेवर नहीं ख़रीदा। उनके पास कुछ ज़ेवर थे जो वो अपने पिता के घर से लायी थीं या कुछ रिश्तेदारों ने तोहफ़े में दिए थे। उन्होंने वो सारे ज़ेवर बेच दिए और उससे मिलने वाले पैसों को अल्लाह की राह में ख़र्च कर दिया। इस वक़्त उनके पास सोना और ज़ेवर के नाम पर कुछ भी नहीं है, यहाँ तक कि एक मामूली सी अंगूठी भी नहीं है।" सैयद हसन नसरुल्लाहः “जब यह किताब मेरे पास पहुंची तो मैंने उसी रात इसे पढ़ डाला।”
14/02/2024
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई की यादों पर आधारित किताब के उर्दू और बंग्ला अनुवादों का दिल्ली बुक फ़ेयर में अनावरण किया गया।  फ़ार्सी में इस किताब का शीर्षक ‘ख़ूने दिली के लाल शुद’ है जबकि इसके उर्दू अनुवाद पर आधारित किताब का नाम ‘ज़िंदां से परे रंगे चमन’ है। फ़ोटोज़ साभार कामयार ख़तीबी
13/02/2024
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई की किताब "ख़ूने दिली के लाल शुद" के उर्दू और बंगाली अनुवाद पर आधारित किताब का 11 फ़रवरी 2024 को दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय किताब मेले में अनावरण किया गया। उर्दू अनुवाद का शीर्षक "ज़िन्दां से परे रंगे चमन" है।
21/08/2023
"सरबाज़े रूज़े नहुम" (नवें दिन का सिपाही) इस्लामी इन्क़ेलाब के इंसान की दास्तान है।
13/05/2023
किताब 'ख़ातून व क़ूमानदान' (ख़ातून और कमांडर) (1) पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तक़रीज़ (रिव्यू)
11/03/2023
कितना अच्छा है कि हम और आप स्पैनिश भाषियों और सारे इंसाफ़ पसंदों के दरमियान पहले से ज़्यादा परिचय हो और आपसी सहयोग बढ़े। अल्लाह से आपकी ख़ुशक़िस्मती की दुआ करता हूं। इमाम ख़ामेनेई 10 मार्च 2023