21/03/2024
ग़ज़ा के वाक़यात ने रेज़िस्टेंस फ़्रंट की उपयोगिता साबित कर दी। साबित कर दिया कि पश्चिमी एशिया के इलाक़े में रेज़िस्टेंस फ़्रंट की उपस्थिति बड़ा बुनियादी विषय है। इस रेज़िस्टेंस फ़्रंट को दिन ब दिन अधिक मज़बूत करना चाहिए।    इमाम ख़ामेनेई  20 मार्च 2024
22/03/2024
सहर का वक़्त, अल्लाह से अकेले में बात करने का वक़्त है। हमें इस वक़्त की, इस मौक़े की क़द्र समझना चाहिए, ख़ास कर आप लोगों को जो जवान हैं।
22/03/2024
हालिया कुछ महीनों में रेज़िस्टेंस ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया और अमरीका के समीकरण बिगाड़ दिए। अमरीका इस इलाक़े में, इराक़, सीरिया, लेबनान वग़ैरा पर नियंत्रण चाहता था, रेज़िस्टेंस ने दिखा दिया कि यह संभव नहीं है, अमरीकियों को इस इलाक़े से जाना पड़ेगा। इमाम ख़ामेनेई  20 मार्च 2024
22/03/2024
हज़रत ख़दीजा शुरू से इस्लाम पर ईमान लाईं। उन्होंने अपनी सारी दौलत दावते इस्लाम और इस्लाम के प्रचार पर ख़र्च कर दी। अगर हज़रत ख़दीजा की मदद न होती तो शायद इस्लाम के सफ़र और इस्लाम के प्रचार में बड़ी रुकावट पेश आती। बाद में रसूले ख़ुदा और दूसरे मुसलमानों के साथ शेअब-ए-अबू तालिब में जाकर रहीं और वहीं उन्होंने आख़िरी सांस ली। इमाम ख़ामेनेई 27 जून 1986
23/03/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 20 मार्च 2024 को नौरोज़ की तक़रीर में ग़ज़ा के विषय पर बात करते हुए ज़ायोनी हुकूमत की हालत इन लफ़्ज़ों में बयान कीः “ग़ज़ा के वाक़यात में पता चला कि ज़ायोनी हुकूमत न सिर्फ़ अपनी रक्षा के सिलसिले में संकट का शिकार है बल्कि संकट से बाहर निकलने में भी उसे संकट का सामना है। ग़ज़ा में ज़ायोनी हुकूमत के दाख़िल होने से उसके लिए एक दलदल पैदा हो गया। अब अगर वो ग़ज़ा से बाहर निकले तो भी हारी हुयी है और बाहर न निकले तब भी हारी हुयी मानी जाएगी।”
23/03/2024
अगर हम ये सोचें तो ग़लत होता कि जवानी से फ़ायदा उठाने का मतलब, जवानी की भौतिक इच्छाओं का आनंद लेना है, जवानी की सरगर्मियां हैं, जवानी में बेहूदा बातों में पड़े रहना है।
24/03/2024
जब इंसान दुनिया की नेमतों को अल्लाह की तरफ़ से मिली हुयी नेमत समझेगा तो उन्हें ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को देने में संकोच से काम नहीं लेगा।
24/03/2024
मोहम्मद महदी अब्बासी, शोधकर्ता अमेरिकन स्टडीज़
24/03/2024
आज तक ज़ायोनी (अलअक़्सा फ़्लड ऑप्रेशन में) मिलने वाली हार की रुस्वाई और दबाव से उबर नहीं पाए हैं। हाँ, वो अपनी ताक़त का प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन कहाँ? ग़ज़ा के मरीज़ों के अस्पताल पर, ग़ज़ा के स्कूलों पर और ग़ज़ा के अवाम के सिरों पर (बमबारी करके) जो कहीं जा नहीं सकते। ताक़त के इस प्रदर्शन की कोई हैसियत नहीं है। इमाम ख़ामेनेई 22 नवम्बर 2023
25/03/2024
जब भूखा खाना खा लेता है तो जी भर जाता है और जब प्यासा पानी पी लेता है तो जी भर जाता है लेकिन अल्लाह के पैग़म्बर फ़रमाते हैं कि नमाज़ से मेरा जी कभी नहीं भरता।
25/03/2024
गिरफ़तारियां, उत्पीड़न, तफ़तीश, अस्पताल के भीतर लोगों का क़त्ल, लाशों को बाहर ले जाने पर पाबंदी, अस्पतालों में सहायता आने पर रोक, मेडिकल स्टाफ़ पर सीधी फ़ायरिंग, अस्पतालों की दीवारों को विस्फोटकों से उड़ा देना, क़ब्रों से लाशों को बाहर घसीटना और फिर उन्हें बुल्डोज़रों से कुचल देना ज़ायोनियों के वर्तमान वहशीपन के नमूने हैं।
25/03/2024
करीमे अहलेबैत हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों और साहित्यकारों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
25/03/2024
इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों, साहित्यकारों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों ने सोमवार की रात तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। 25/03/2024
शायरों से मुलाक़ात में शेर के सांस्कृतिक संदेश की अहमियत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ताकीद

ईरानी क़ौम का पैग़ाम ज़ुल्म के मुक़ाबले में डट जाना है और आज ज़ुल्म का प्रतीक अमरीका और ज़ायोनी हैं

25/03/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने करीमे अहलेबैत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों और साहित्यकारों से सोमवार की रात मुलाक़ात की।
26/03/2024
मज़लूम फ़िलिस्तीनी बच्ची जिसने अपनी शहादत से पहले एक वसीयतनामा लिखा था और इस वसीयतनामे में ड्राइंग की थी। जो कुछ उसके पास था उसने बख़्श दिया था। इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शबे विलादत इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में बच्ची को शेर पढ़कर श्रद्धांजलि दी गई।
26/03/2024
शायरी एक संचार माध्यम है। आज दुनिया में चुनौतियां और झड़पें मीडिया के ज़रिए होती हैं। जंग मीडिया की जंग है। जिस के पास ताक़तवर मीडिया है वह अपने लक्ष्य पूरे करने में ज़्यादा कामयाब है। इमाम ख़ामेनेई 20 मार्च 2024
26/03/2024
दुनिया का मोह, इच्छाओं के पूरे न होने और हैवानी इच्छाओं और वासनाओं को कुचले न जाने की वजह से इंसान धीरे-धीरे ईमान से कुफ़्र की ओर झुकने लगता है। हमें इस बात की ओर से चौकन्ना रहना चाहिए कि मोमिन होने के बाद हम मुनाफ़िक़ न बन जाएं।
26/03/2024
मिल्लते ईरान का सिविलाइज़ेशनल पैग़ाम और ईरानी क़ौम को मोतबर बनाने वाला पैग़ाम दुनिया में ज़ुल्म के मुक़ाबले में उसके साहसिक रेज़िस्टेंस का पैग़ाम है। मुंहज़ोरी और विस्तारवाद के मुक़ाबले में जिसका प्रतीक आज अमरीका और ज़ायोनी हैं।इमाम ख़ामेनेई 25 मार्च 2024
26/03/2024
शेर में पैग़ाम होना चाहिए। जो अच्छा पैग़ाम हो सकता है वह दीन का पैग़ाम है, अख़लाक़ का पैग़ाम है और सभ्यता पैग़ाम है। इमाम ख़ामेनेई  25 मार्च 2024
26/03/2024
वाक़ई आप बेमिसाल शख़्सियत के मालिक हैं। आम तौर पर राजनेता और मुल्क चलाने वाले लोग सामाजिक व आर्थिक मामलों पर तो गहरी नज़र रखते हैं मगर शेर व साहित्य की ओर ज़्यादा ध्यान नहीं होता।
26/03/2024
हमास आंदोलन के पोलित ब्योरो चीफ़ इस्माईल हनीया और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल  ने रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मंगलवार 26 मार्च 2024 को मुलाक़ात की।
इस्माईल हनीया से मुलाक़ात में रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और ग़ज़ा के अवाम की दृढ़ता की सराहना के साथ आयतुल्लाह ख़ामेनेईः 

ईरान ग़ज़ा के मज़लूम व मुजाहिद अवाम के समर्थन में कोई शक और हिचकिचाहट अपने क़रीब नहीं आने देगा

27/03/2024
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने मंगलवार 26 मार्च 2024 को हमास आंदोलन के पोलित ब्योरो चीफ़ इस्माईल हनीया और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में फ़िलिस्तीन की रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और ग़ज़ा के अवाम की ऐतिहासिक दृढ़ता की सराहना की। 
27/03/2024
बहुत से लोग नमाज़ के लफ़्ज़ों के मानी को नहीं समझते या बहुत थोड़ा समझते हैं, वो भी अगर नमाज़ की हालत में और उसके लफ़्ज़ों को अदा करते हुए इस बात की ओर ध्यान रखें कि वो अल्लाह से बात कर रहे हैं तो इसका असर होगा। मतलब ये कि इंसान नमाज़ पढ़ते हुए मानसिक तौर पर हाज़िर रहे और अल्लाह के सामने अपनी हाज़िरी को महसूस करे तो असर होगा।
28/03/2024
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई।
28/03/2024
ज़ायोनी हुकूमत केवल अपनी सुरक्षा के मसले में ही संकट का शिकार नहीं बल्कि संकट से बाहर निकलने के मसले में भी संकट में घिरी है। दलदल में फंसी है, बाहर नहीं निकल सकती। अगर ग़ज़ा से निकल जाए तो उसकी हार है और न निकले तब भी उसकी हार है। इमाम ख़ामेनेई 20 मार्च 2024
28/03/2024
अगर हम अल्लाह को मानते हैं तो फिर बिखराव का कोई मतलब ही नहीं है और अगर वैचारिक मतभेद भी है तो उसे सच्चे ईमान और अल्लाह से सच्चे लगाव के साए में छिप जाना चाहिए।
28/03/2024
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई। ग़ज़ा वासियों के सब्र की अज़ीम हक़ीक़त ने फ़िलिस्तीन के विषय को दुश्मन की इच्छा के विपरीत दुनिया का सबसे अहम मुद्दा बना दिया। इमाम ख़ामेनेई   25 मार्च 2024
28/03/2024
फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद आंदोलन के महासचिव ज़्याद नख़ाला के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से गुरूवार 28 मार्च 2024 को तेहरान में मुलाक़ात की।
28/03/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरुवार की शाम को फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद आंदोलन के महासचिव ज़्याद नख़ाला और उनके नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात और बात की।
29/03/2024
जो मस्जिद में दूसरों से पहले पहुंचने की कोशिश करते हैं, क़यामत के दिन अपने कांधों पर परचम उठाए सारे लोगों से पहले स्वर्ग में जाएंगे।
29/03/2024
आप अल्लाह के फ़ज़्ल से ग़ज़ा के अवाम की आख़िरी फ़तह को देखेंगे। इमाम ख़ामेनेई  28 मार्च 2024
29/03/2024
यह जो ज़ायोनी हुकूमत इतने सारे सैनिक संसाधनों और दुनिया की ज़ालिम ताक़तों के समर्थन से औरतों और बच्चों का क़त्ले आम कर रही है, इस बात का चिन्ह है कि यह हुकूमत रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का मुक़ाबला करने और उन्हें शिकस्त देने में सक्षम नहीं है।  इमाम ख़ामेनेई  28 मार्च 2024
29/03/2024
इस छह महीने की जंग में ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के अवाम की प्रतिष्ठा और दृढ़ता का चरम  बिंदु और ज़ायोनी हुकूमत की नाकामियां एक इलाही वाक़या और हक़ीक़त है।
30/03/2024
जहाँ तक हो सके नमाज़े शब पढ़िए, नमाज़े शब छूटने ने पाए। जवानी का ये मौक़ा जो आपके पास है, दोबारा नहीं मिलता इससे अल्लाह से मोहब्बत के लिए फ़ायदा उठाइये।
30/03/2024
फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस के जवानों ने पैग़ाम दिया जो हमारे कानों तक भी पहुंचा कि हमारे बारे में फ़िक्रमंद होने की ज़रूरत नहीं है। हमारे लगभग 90 प्रतिशत संसाधन और क्षमताएं सुरक्षित हैं। इमाम ख़ामेनेई 12 मार्च 2024
31/03/2024
सिर्फ़ ईमान काफ़ी नहीं है, तक़वा ज़रूरी है। तक़वा न हो तो ईमान भी ख़तरे में पड़ जाएगा। तक़वा न हो तो मुमकिन है कि तुम अल्लाह के कलाम को भी न समझ पाओ।