ज़ाहिरी तौर पर साफ़ सुथरी पोशाकों में नज़र आने वाले पश्चिमी नेता पागल कुत्ते और ख़ूंख़ार भेड़िए जैसा भीतरी रूप रखते हैं। यही पश्चिमी लिबरल डेमोक्रेसी है। यह न लिबरल हैं और न डेमोक्रेटिक। झूठ बोलते हैं और पाखंड से अपना काम निकालते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24 फ़रवरी 2024
जिस रेज़िस्टेंस के सबब #ग़ज़ा में दुश्मन रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का ख़ात्मा करने की ओर से मायूस हो गया, उसका स्रोत इस्लाम की ताक़त थी। यह हालत है कि अमरीकी व युरोपीय युवा #क़ुरआन पढ़ रहे हैं कि देखें कि क़ुरआन में क्या है कि इस पर अक़ीदा रखने वाले ऐसा #रेज़िस्टेंस करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24 फ़रवरी 2024
ये सिर्फ़ शिया नहीं हैं जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के आने का इंतेज़ार कर रहे हैं बल्कि मुक्तिदाता इमाम महदी के इंतेज़ार का अक़ीदा सभी मुसलमानों का अक़ीदा है। दूसरों और शियों में फ़र्क़ यह है कि शिया इस महान हस्ती को उसके नामो-निशान और मुख़्तलिफ़ ख़ुसूसियतों से जानते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
20/5/2005
यह तय है कि इस्लामी दुनिया और आज़ाद सोच रखने वाले ग़ैर मुस्लिम ग़ज़ा के लिए सोगवार हैं। ग़ज़ा के अवाम उन लोगों के अत्याचार का निशाना बने है जिन्हें इंसानियत छूकर भी नहीं गुज़री है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
इस्लामी दुनिया में बहुतों को क़ुरआन से लगाव नहीं है। एक कड़वी सच्चाई है। क्या इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआनी हिदायत पर अमल कर रहे हैं? क़ुरआन हमसे कहता है किः "मोमेनीन मोमिनों को छोड़ कर काफ़िरों को दोस्त न बनाएं।" क्या इस आयत पर अमल हो रहा है?
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
क़ुरआन इंसान के दर्द और पीड़ा का इलाज है। चाहे रूहानी, मनोवैज्ञानिक और वैचारिक पीड़ाएं हों या इंसानी समाजों के दर्द, जंगें, ज़ुल्म, बेइंसाफ़ियां। क़ुरआन इन सब का इलाज है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
क़ुरआन मार्गदर्शन की किताब है। मार्गदर्शन की सबको ज़रूरत है। क़ुरआन चेतावनी देने वाली किताब है। उन ख़तरों के बारे में चेतावनी जो इंसानों के लिए पेश आने वाले हैं। चाहे इस दुनिया में या बाद की दुनिया में जहां अस्ली ज़िंदगी है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
हम दुश्मन से ग़ाफ़िल न हों, याद रखें कि दुश्मन फ़रेब, मक्कारी, चालाकी और हथकंडों से काम लेता है। दुशमन को कमज़ोर और बेबस न समझें।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
फ़तह की अहम शर्त यह है कि हम दुश्मन और उसकी ताक़त से वाक़िफ़ हों लेकिन उससे डरें नहीं! अगर आप डरे तो हार गए। दुश्मन की धमकियों, चीख़ पुकार और दबाव से डरना नहीं चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
चुनाव इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था का अहम स्तंभ और देश के सुधार का ज़रिया है। जो लोग समस्याओं के समाधान की फ़िक्र में हैं उन्हें चाहिए कि चुनाव पर ध्यान दें।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
11 फ़रवरी को इस्लामी इंक़ेलाब की सालगिरह के जुलूसों में भरपूर शिरकत पर ईरान के अवाम का शुक्रिया अदा करता हूं। अवाम ने अपने जोश व जज़्बे का प्रदर्शन किया। जो ईरानी क़ौम की हताशा की आस में थे चकित रह गए।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2024
ग़ज़ा के मसले में सरकारों का दायित्व है कि ज़ायोनी सरकार की राजनैतिक, प्रचारिक, सामरिक मदद और प्रयोग की वस्तुओं की सप्लाई बंद करें। यह सरकारों की ज़िम्मेदारी है। अवाम की ज़िम्मेदारी है कि सरकारों पर दबाव डालें कि वे अपने फ़र्ज़ पर अमल करें।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 2024
ग़ज़ा के वाक़ए ने पश्चिमी सभ्यता को बेनक़ाब कर दिया। पश्चिमी सभ्यता में इतनी बेरहमी है कि अस्पतालों पर हमले करते हैं, एक रात के अंदर सैकड़ों इंसानों को क़त्ल कर डालते हैं, चार महीने की मुद्दत में लगभग 30 हज़ार लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 2024
आज भी और हर दौर में पैग़म्बरे इस्लाम की शिक्षाएं सारी इंसानियत के लिए हैं। जिस तरह उस ज़माने में पैग़म्बर ने लोगों को बुतों से दूरी और बुतों को तोड़ देने की दावत दी आज भी यही दावत मौजूद है। यह ख़ुद हमसे रसूले इस्लाम और बेसत का मुतालबा है।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 2024
अगर मुसलमान अपनी इस्लाह कर लें और इंसानियत के सामने इस्लाम का अस्ली और वास्तविक नमूना पेश करें तो इंसानियत इस्लाम की ओर आकर्षित हो जाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 2024
इस्लामी दुनिया के ओलमा, बुद्धिजीवी, नेता और पत्रकार बिरादरी अवाम में मांग पैदा करें कि उनकी सरकारें ज़ायोनी सरकार पर वार करने पर मजबूर हों। हम यह नहीं कहते कि जंग शुरू कर दें, वो जंग नहीं करेंगी और कुछ के लिए शायद मुमकिन भी न हो, लेकिन आर्थिक रिश्ते तो तोड़ ही सकती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
5 फ़रवरी 2024
मैंने सुना कि कुछ इस्लामी देश ज़ायोनी सरकार को हथियार दे रहे हैं, कुछ हैं जो अलग अलग रूप में आर्थिक मदद कर रहे हैं। यह अवाम का काम है कि इसे रुकवाएं। अवाम दबाव डाल सकते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
5 फ़रवरी 2024
प्राइवेट सेक्टर के प्रोडक्शन केन्द्रों ने उल्लेखनीय विकास किया है। यह बहुत अहम ख़बर है। क्यों? इसलिए कि यह प्रगति और विकास और अंजाम पाने वाले काम सब कुछ प्रतिबंधों के ज़माने में हुआ।
इमाम ख़ामेनेई
30 जनवरी 2024
हमने घरेलू पैदावार की क्षमताओं की जिस नुमाइश का कल मुआइना किया, वह बड़ी हैरत अंगेज़ और शानदार नुमाइश थी। मेरा ख़याल है कि इस प्रदर्शनी को ईरान की सांइसी व तकनीकी ताक़त के नमूने के तौर पर पहचनवाया जा सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
30 जनवरी 2024
इस्लामी मुल्कों के अधिकारियों की ख़राब गतिविधियों और सारी सख़्तियों के बावजूद, जैसा कि क़ुरआन में भी आया है अल्लाह मोमिन अवाम के साथ है और जहां ख़ुदा हो वहीं फ़तह होगी।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2024
अल्लाह ग़ज़ा के अवाम की फ़तह का नज़ारा भविष्य में जो ज़्यादा दूर नहीं है, दिखाएगा और मुसलमानों और उनमें सबसे ऊपर फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के अवाम के दिलों को ख़ुश कर देगा।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2024
इस्लामी मुल्कों के अधिकारियों के कुछ स्टैंड ग़लत हैं। क्योंकि वो ग़ज़ा में फ़ायरबंदी जैसे विषय पर बात करते हैं जो उनके अख़्तियार से बाहर है और ज़ायोनी हुकूमत के हाथ में है। वो ज़ायोनी सरकार की ज़िंदगी की नसें काट देने जैसे मुद्दों के सिलसिले में कार्रवाई करें।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2024
दुनिया भर के लोग #ग़ज़ा और #फ़िलिस्तीन के अवाम के सिलसिले में दो चीज़ें मानते हैं। एक यह कि वो मज़लूम हैं और दूसरे यह कि वो विजेता हैं। आज दुनिया में कोई भी यह नहीं सोचता कि ग़ज़ा की जंग में ज़ायोनी सरकार को फ़तह मिली, सब कहते हैं कि उसे शिकस्त हुई। सबकी नज़र में क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन ख़ूंख़ार और बेरहम भेड़िया, परास्त, मायूस और टूट फूट का शिकार है।
इमाम ख़ामेनेई
16 जनवरी 2024
ग़ज़ा के अवाम की मदद के लिए #यमन के अवाम और #अंसारुल्लाह की सरकार ने जो कारनामा अंजाम दिया वह बहुत अज़ीम है। यमनियों ने ज़ायोनी सरकार की जीवन की नसों पर वार किया है। अमरीका ने धमकी दी तो उसे ध्यान के लायक़ नहीं समझा। इंसान को अगर अल्लाह का डर हो तो किसी और का डर नहीं रह जाता।
इमाम ख़ामेनेई
16 जनवरी 2024
सॉफ़्ट पावर की ताक़त हार्ड पावर से ज़्यादा गहरी और असरदार होती है। अमरीका ने 20 साल में अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ में अरबों ख़र्च किए मगर अवामी नफ़रत की वजह से उसे भागना पड़ा। यह हार्ड पावर के अस्थायी असर की वजह से हुआ।
इमाम ख़ामेनेई
3 जनवरी 2024
सॉफ़्ट पावर यानी कोई ग्रुप जो तादाद में कम हो लेकिन फ़िक्री और नैतिक असर से सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर ले। फ़िलिस्तीनी जिनके पास अपनी रक्षा का हथियार नहीं अपने सब्र व दृढ़ता से सारी दुनिया का ध्यान आकृष्ट करने में सफल हुए। सॉफ़्ट पावर और हार्ड पावर का फ़र्क़ इतना ज़्यादा है।
इमाम ख़ामेनेई
3 जनवरी 2024
क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल क़ाआनी की मेहनत तारीफ़ और सराहना के क़ाबिल है। रेज़िस्टेंस फ़्रंट को मज़बूत बनाने का अमल लगातार जारी रहना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
31/12/2023
अमरीका बमबारी रोकने और युद्ध विराम से संबंधित सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को बड़ी बेशर्मी से वीटो कर देता है। यानी दरअस्ल बच्चों, औरतों, बीमारों, बूढ़ों और निहत्थे अवाम पर बमबारी में हाथ बटा रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
23 दिसम्बर 2023
ग़ज़ा के अवाम और ग़ज़ा के मुजाहेदीन पहाड़ की तरह डटे हुए हैं। खाने पीने की चीज़ें, दवाएं और ईंधन नहीं पहुंच रहा है लेकिन मज़बूती से खड़े हैं, हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं। यही हार न मानने का जज़्बा उन्हें विजय दिलाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
23 दिसम्बर 2023