(राष्ट्रपति के हेलीकाप्टर की) दुर्घटना हो जाने के बाद अवाम की तरफ़ से मुहब्बत और श्रद्धा का इज़हार और उनकी सलामती के लिए दुआएं इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी इंक़ेलाब के नारों से अवाम के दिली लगाव की निशानी है।
हमारी सरज़मीन में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पाक रौज़े के वजूद और पूरे मुल्क और हमारे अवाम के दिलों में उनके आध्यात्मिक वजूद की बरकत पूरी तरह स्पष्ट है। आठवें इमाम अलैहिस्सलाम आध्यात्मिक, वैचारिक और भौतिक लेहाज़ से हमारी क़ौम के सरपरस्त हैं।
इमाम ख़ामेनेई
15/03/2003
हमारी सरज़मीन में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पाक रौज़े के वजूद और पूरे मुल्क और हमारे अवाम के दिलों में उनके आध्यात्मिक वजूद की बरकत पूरी तरह स्पष्ट है। आठवें इमाम अलैहिस्सलाम आध्यात्मिक, वैचारिक और भौतिक लेहाज़ से हमारी क़ौम के सरपरस्त हैं।
इमाम ख़ामेनेई
15/03/2003
आयतुल्लाह ख़ामेनेईः मैं चाहता हूं कि किताब पढ़ने का ज़्यादा से ज़्यादा चलन हो क्योंकि मेरा मानना है कि हम किताब के मोहताज हैं, मुख़्तलिफ़ मैदानों के सभी लोगों, मुख़्तलिफ़ उम्र और अलग अलग इल्मी सतह के सभी लोगों को किताब पढ़ने की ज़रूरत है और सही मानी में कोई भी चीज़ किताब की जगह नहीं ले सकती।
आज कल मसरूफ़ रखने वाली चीज़ों जैसे साइबर स्पेस, सोशल मीडिया और इसी तरह की दूसरी चीज़ों ने किताब की जगह ले ली है, यह अच्छी बात नहीं है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि लोग साइबर स्पेस और सोशल मीडिया को न देखें या अख़बार न पढ़ें। पढ़ें! लेकिन इन चीज़ों को किताब की जगह नहीं लेनी चाहिए।
तेहरान के पैंतीसवें इंटरनैशनल बुक फ़ेयर के मुआइने के दौरान ईरान के राष्ट्रीय ब्रॉडकास्टिंग विभाग के रिपोर्टर को दिए गए इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के इंटरव्यू का एक हिस्सा
13/05/2024
हज़रत इब्राहीम का उन काफ़िरों के बारे में जो दुश्मनी नहीं करते यह पक्ष है कि उनसे अच्छा बर्ताव किया जाए। मगर एक जगह वो उनसे बेज़ारी का एलान करते हैं जो क़ातिल हैं और लोगों को उनके घर व वतन से बेदख़ल करते हैं। इसका उदाहरण आज कौन है? ज़ायोनी, अमरीका और उनके मददगार।
आज #फिलिस्तीन को समर्थन की ज़रूरत है। इस्लामी जम्हूरिया ईरान इस मसले में इनके-उनके इंतेज़ार में नहीं रहा और न आइंदा रहेगा। लेकिन अगर मुस्लिम क़ौमों और सरकारों के ताक़तवर हाथ सहयोग करते तो प्रभाव बहुत बढ़ जाता। यह फ़र्ज़ है।
फ़िलिस्तीन, फ़िलिस्तीनी अवाम का है जिनमें मुसलमान हैं, ईसाई हैं और यहूदी भी हैं। फ़िलिस्तीन उन्हें लौटा दिया जाना चाहिए। वही फ़ैसला करें कि ज़ायोनियों को बाहर निकालना है या वहीं रहने देना है। यह हमारे ज़रिए पेश किया गया समाधान है जो संयुक्त राष्ट्र संघ में भी दर्ज किया गया है।
छात्रों से पेश आने का अमरीकी सरकार का तरीक़ा अमली तौर पर ग़ज़ा में नस्लीय सफ़ाए के भयानक जुर्म में ज़ायोनी हुकूमत के साथ अमरीका के लिप्त होने का सुबूत है।
इमाम ख़ामेनेई
01/05/2024
ज़ायोनी हुकूमत आकर खेत और रिहाइशी मकान को बुल्डोज़र से तबाह कर देती है कि वहां कॉलोनी बनाए। फ़िलिस्तीनी उस घर को बचा रहा है जो उससे छीन लिया गया है। वह आतंकवादी हो गया? आतंकवादी तो वह है जो उन पर बमबारी कर रहा है।
हम बरसों से अमरीका और यूरोप की सख़्त पाबंदियों का सामना कर रहे हैं। पाबंदियों का लक्ष्य क्या है? झूठ बोलते हैं कि एटमी हथियार और मानवाधिकार की वजह से लगई गईं। ऐसा नहीं है। ईरान पर पाबंदी लगाते हैं आतंकवाद के समर्थन के कारण। उनकी नज़र में आतंकवाद क्या है? #गज़ा के अवाम।
इक़बाल, इस्लामी इतिहास की नुमायां शख़्सियतों में से एक हैं और उनमें इतनी गहराई और ऊंचाई है कि मुमकिन ही नहीं कि उनकी किसी एक ख़ुसूसियत या उनकी ज़िंदगी के किसी एक पहलू को मद्देनज़र रखा जाए और उसी पहलू और उसी ख़ुसूसियत पर उन्हें सराहा जाए।
'सच्चा वादा' आप्रेशन के दौरान आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने अपनी ताक़त व शक्ति की झलक और ईरानी क़ौम की क़ाबिले तारीफ़ तस्वीर पेश की और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफ़ार्म पर ईरानी क़ौम के इरादे की ताक़त का लोहा मनवाया।
जब ज़ायोनी हुकूमत सीरिया में ईरान के काउंसलेट पर हमला करती है तो समझिए उसने हमारी सरज़मीन पर हमला किया है। दुष्ट हुकूमत ने ग़लती कर दी, उसे सज़ा मिलनी चाहिए और सज़ा मिलेगी।
यह चीज़ कि #फ़िलिस्तीन का मुद्दा #लंदन में #पैरिस में और #वाशिंग्टन में पहले नंबर का मुद्दा बन जाए मामूली बात नहीं है। इसकी कोई नज़ीर नहीं है। साफ़ ज़ाहिर है कि इस्लामी दुनिया में एक नई तब्दीली आ रही है।
सलाम और रहमत हो इस वाक़ए के शहीदों पर और लानत व धिक्कार हो ज़ालिम हुकूमत के अधिकारियों पर
इस्लाम के बहादुर व त्यागी कमांडर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी अपने साथी मुजाहिद मोहम्मद हादी हाज रहीमी के साथ, क़ाबिज़ व घृणित ज़ायोनी हुकूमत की आपराधिक कार्यवाही का शिकार होकर शहीद हो गए। अल्लाह और उसके औलिया का सलाम और रहमत उन पर हो और इस वाक़ए के दूसरे शहीदों पर हो और ज़ालिम व अतिक्रमणकारी हुकूमत के अधिकारियों पर लानत व धिक्कार हो।
जनरल ज़ाहेदी और उनके साथ अन्य लोगों की शहादत पर रहबरे इंक़ेलाब के पैग़ाम का एक भाग
2 अप्रैल 2024
यह जो ज़ायोनी हुकूमत इतने सारे सैनिक संसाधनों और दुनिया की ज़ालिम ताक़तों के समर्थन से औरतों और बच्चों का क़त्ले आम कर रही है, इस बात का चिन्ह है कि यह हुकूमत रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का मुक़ाबला करने और उन्हें शिकस्त देने में सक्षम नहीं है।
इमाम ख़ामेनेई
28 मार्च 2024
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई। ग़ज़ा वासियों के सब्र की अज़ीम हक़ीक़त ने फ़िलिस्तीन के विषय को दुश्मन की इच्छा के विपरीत दुनिया का सबसे अहम मुद्दा बना दिया।
इमाम ख़ामेनेई
25 मार्च 2024
शायरी एक संचार माध्यम है। आज दुनिया में चुनौतियां और झड़पें मीडिया के ज़रिए होती हैं। जंग मीडिया की जंग है। जिस के पास ताक़तवर मीडिया है वह अपने लक्ष्य पूरे करने में ज़्यादा कामयाब है। इमाम ख़ामेनेई 20 मार्च 2024
मिल्लते ईरान का सिविलाइज़ेशनल पैग़ाम और ईरानी क़ौम को मोतबर बनाने वाला पैग़ाम दुनिया में ज़ुल्म के मुक़ाबले में उसके साहसिक रेज़िस्टेंस का पैग़ाम है। मुंहज़ोरी और विस्तारवाद के मुक़ाबले में जिसका प्रतीक आज अमरीका और ज़ायोनी हैं।इमाम ख़ामेनेई 25 मार्च 2024
हालिया कुछ महीनों में रेज़िस्टेंस ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया और अमरीका के समीकरण बिगाड़ दिए। अमरीका इस इलाक़े में, इराक़, सीरिया, लेबनान वग़ैरा पर नियंत्रण चाहता था, रेज़िस्टेंस ने दिखा दिया कि यह संभव नहीं है, अमरीकियों को इस इलाक़े से जाना पड़ेगा।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
ग़ज़ा के वाक़यात ने दिखा दिया कि पश्चिम की यह तथाकथित सभ्य दुनिया जो मानवाधिकार की दावेदार है उसकी सोच और उसके अमल पर कैसी तारीकी छायी है। 30 हज़ार से ज़्यादा इंसान बच्चों से लेकर बूढ़ों तक छोटी सी मुद्दत में मार डाले जाते हैं और यह सभ्य दुनिया रोकना तो दूर मदद करती है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
ग़ज़ा के वाक़यात ने रेज़िस्टेंस फ़्रंट की उपयोगिता साबित कर दी। साबित कर दिया कि पश्चिमी एशिया के इलाक़े में रेज़िस्टेंस फ़्रंट की उपस्थिति बड़ा बुनियादी विषय है। इस रेज़िस्टेंस फ़्रंट को दिन ब दिन अधिक मज़बूत करना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
अज़ीज़ मिल्लते ईरान की सेवा में ईदे नौरोज़ और नए साल की मुबारकबाद पेश करता हूँ जो इस साल रमज़ानुल मुबारक, दिलों की बहार और अध्यात्म की बहार के साथ आया है। मैं ख़ास तौर पर क़ुरबानियां देने वालों के परिवारों और नौरोज़ मनाने वाली सभी क़ौमों की सेवा में मुबारकबाद पेश करता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
सन 1402 ज़िंदगी के दूसरे सभी बर्सों की तरह मिठास और कड़वाहट से भरा रहा। क़ुद्स दिवस और 11 फ़रवरी की रैलियों में अवाम की शानदार शिरकत, शांतिपूर्ण व पारदर्शी चुनाव और विदेशी मामलों में राजनैतिक व आर्थिक सतह पर सरकार की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियां पिछले साल की मधुर घटनाएं रहीं।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
सन 1402 ज़िंदगी के दूसरे सभी बर्सों की तरह मिठास और कड़वाहट से भरा रहा। शहीद क़ासिम सुलैमानी की बर्सी के मौक़े पर किरमान की दुखद घटना, साल के अंतिम दिनों में बलोचिस्तान में बाढ़ कटु घटनाएं थीं और सबसे कटु घटना #ग़ज़ा का वाक़ेया था जो हमारे अंतर्राष्ट्रीय मसलों में से एक है। इस साल हमारे सामने इससे ज़्यादा कड़वा कोई वाक़ेया नहीं रहा।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
अफ़सोस है कि इस्लामी दुनिया में ऐसे लोग और सरकारें हैं जो ग़ज़ा के मज़लूम अवाम के दुश्मनों की मदद कर रही हैं। इंशाअल्लाह एक दिन वो पछताएंगी और अपनी ग़द्दारी की सज़ा भी पाएंगी और यह भी देखेंगी कि उन्होंने जो कुछ किया व्यर्थ था।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2024
चंद महीनों से ज़ायोनी, अमरीका और दूसरों से मिलने वाले हथियारों और विश्वासघात भरी मदद के ज़रिए फ़िलिसतीनी रेज़िस्टेंस के ख़िलाफ़ जंग कर रहे हैं, रेज़िस्टेंस भी वहां यथावत ताक़तवर और मज़बूत क़दमों से डटी हुई है और अल्लाह की कृपा से ज़ायोनियों की नाक ज़मीन पर रगड़ देगी।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2024
इस्लामी जुम्हूरिया का उदय एक ज़लज़ला था जिसने दो मोर्चों की स्थिति पैदा की। एक लिबरल डेमोक्रेसी का मोर्चा और दूसरा इस्लाम पर आधारित जुम्हूरी मोर्चा। लिबरल डेमोक्रेटिक सिस्टम के नेचर में हमला और अतिक्रमण शामिल है जबकि दीनी लोकतंत्र का सबसे अहम मिशन ज़ुल्म का मुक़ाबला है।
इमाम ख़ामेनेई
7 मार्च 2024
एक क़ौम अपनी सरज़मीन में अत्याचारों का निशाना बनती है, उनकी औरतें, उनके बच्चे, उनके मकानात बेरहमी से मिटाए जाते हैं और कुछ देश रोकना तो दरकिनार इसमें सहयोग करते हैं। अमरीका, ब्रिटेन और कुछ यूरोपीय देश। हम इसके विरोधी हैं।
इमाम ख़ामेनेई
7 मार्च 2024
सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में आने वाली बाढ़ से अवाम को बहुत नुक़सान हुआ है। जो सहायता कार्य चल रहा है, जारी रहे। सहायता टीमें, चाहे वो सरकारी हों या उनके अलावा हों, काम जारी रखें। दूसरे लोग जो इस सहायता में शामिल होना चाहते हैं वो भी शामिल हों।
इमाम ख़ामेनेई
5 मार्च 2024