अगर हम मुसलमान पैग़म्बरे इस्लाम की शख़्सियत पर ध्यान दें, ग़ौर करें और सबक़ हासिल करना चाहें तो यह हमारी दुनिया और आख़ेरत के लिए काफ़ी है।
इमाम ख़ामेनेई
2/10/2012
शहीदों का पैग़ाम ख़ौफ़, ग़म व दुख को नकारने का पैग़ाम है... अल्लाह की राह में शहीद होने वालों का पैग़ाम, बशारत व ख़ुशख़बरी है ख़ुद अपने लिए भी और उनके लिए भी जिन से वो ख़ेताब करते हैं। यह जो इमाम ख़ुमैनी ने फ़रमाया कि जो क़ौम शहादत की राह पर चलती है, वह किसी की क़ैदी नहीं बनती, इसी वजह से है।
इमाम ख़ामेनेई
12/12/2018
कुछ अहले इरफ़ान व सुलूक यह मानते हैं कि रबीउल औवल का महीना हयात व ज़िंदगी की बहार है। क्योंकि इस महीने में पैग़म्बरे इस्लाम इसी तरह उनके फ़रज़ंद हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की विलादत हुई। पैग़म्बर की विलादत उन बरकतों का आरंभ बिंदु है जो अल्लाह ने इंसानियत के लिए रखी हैं।
इमाम ख़ामेनेई
29 जनवरी 2013
आप देखते हैं कि हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम को मदीने से सामर्रा लाया गया और जवानी की उम्र में, 42 साल की उम्र में उन्हें शहीद कर दिया गया। या हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम को 28 साल की उम्र में शहीद किया गया। ये सारी बातें इतिहास में इमामों, उनके साथियों और शियों के आंदोलन की महानता और वैभव की निशानियां हैं।
इमाम ख़ामेनेई
10 मई 2003
पाक़ीज़ा डिफ़ेंस के वक़्त हमलावर कौन थे? अगर हम इस पहलू से पाकीज़ा डिफ़ेंस का जायज़ा लें तो इसकी अहमियत व अज़मत बख़ूबी उजागर होगी। अमरीका, यूरोपी मुल्क, सोवियत युनियन और उस ज़माने की सारी ताक़तों ने एक मोर्चा बनाया और उन्होंने इस्लामी गणराज्य पर हमले में भागीदारी की।
इमाम ख़ामेनेई
20 सितम्बर 2023
कुछ शिया सोचते थे कि इमाम असकरी अलैहिस्सलाम अपने बाप दादा के मिशन से पीछे हट जाएंगे गए हैं। इमाम असकरी अलैहिस्सलाम एक ख़त में उनसे फ़रमाते हैं: “हमारी नीयत और हमारा इरादा मज़बूत है। हमारा दिल तुम्हारी अच्छी नीयत और अच्छी सोच की ओर से मुतमइन है” देखिए यह बात शियों को कितनी ताक़त देने वाली है...ये इमाम और उनकी पैरवी करने वालों के बीच नेटवर्क का वही मज़बूत संपर्क है।
इमाम ख़ामेनेई
किताबः हमरज़्माने हुसैन, दसवां चैप्टर, पेज-346
परवरदिगार! मुहम्मद व आले मुहम्मद का वास्ता, तुझे तेरी इज़्ज़त व जलाल का वास्ता, अपना बेहतरीन दुरूद, अपना लुत्फ़ और फ़ज़्ल आज से लेकर हमेशा हमारे प्यारे रसूल की पाकीज़ा रूह पर नाज़िल फ़रमा। परवरदिगार! हमें उनका उम्मती क़रार दे। हमें उनके सीधे रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ दे। हमारे समाज को उनके समाज जैसा बना दे। हम सब को उनके नक़्शे क़दम पर चलने का हौसला दे।
इमाम ख़ामेनेई
18 मई 2001
मामून ने अपनी चालाकी से इस ख़तरे की गहराई को भांप लिया और इसकी रोकथाम में लग गया। इसी का नतीजा था कि मामून ने आठवें इमाम को मदीने से ख़ुरासान बुलाया और आपके सामने जबरन उत्तराधिकारी बनने का प्रस्ताव रखा और यह वाक़ेया हुआ जो इतिहास में अभूतपूर्व है।
इमाम ख़ामेनेई
जब कर्बला का वाक़ेया हुआ और उस जगह पर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथियों व रिश्तेदारों ने बेमिसाल बलिदान का प्रदर्शन कर दिया तो अब बारी थी क़ैदियों की कि वो पैग़ाम को आम करें।
इमाम ख़ामेनेई
महान हस्ती हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा ने दो बिन्दु उजागर किएः एक यह कि औरत धैर्य का असीम महासागर हो सकती है, दूसरे यह कि औरत समझदारी व अक़्लमंदी की ऊंची चोटी बन सकती है।
इमाम ख़ामेनेई
12 दिसम्बर 2021
आज सिपाहे पासदारान दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवाद निरोधक संस्थान है। पूरी तरह उपकरणों से लैस सैनिक संस्थान है। एक कारामद और अलग संस्थान जो ऐसे काम करने में सक्षम है जो दुनिया की बड़ी सेनाओं के बस के बाहर हैं।
इमाम ख़ामेनेई
17 अगस्त 2023
अगर इतने पस्त न हुए होते तो सरकारें, चाहें वे कितनी भी बुरी क्यों न होतीं, कितनी ही बेदीन व ज़ालिम क्यों न होतीं, इतनी बड़ी त्रासदी व घटना अंजाम नहीं दे सकती थीं। यानी पैग़म्बर के नवासे और फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के बेटे को क़त्ल न सकतीं।
स्वीडन में क़ुरआन मजीद का अनादर तल्ख़, साज़िश से भरी एक ख़तरनाक घटना है। इस जुर्म को अंजाम देने वाले को सबसे कठोर सज़ा दिए जाने पर सभी ओलमा-ए-इस्लाम एकमत हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22/07/2023
इमाम हुसैन (अ) के दुश्मनों का लक्ष्य यह था कि इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम की यादगारों को ज़मीन से मिटा दें। उन्हें हार हुयी क्योंकि ऐसा नहीं हो सका। इमाम हुसैन (अ) का मक़सद यह था कि इस्लाम के दुश्मनों की इस साज़िश को, जिन्होंने हर जगह को अपने रंग में रंग लिया था या रंगना चाहते थे, नाकाम बना दिया जाए।
क़ुरआन ने पूरी इंसानियत को ख़िताब किया है। क़ुरआन का दावा है कि वह पूरी इंसानियत को सही रास्ता और ज़िंदगी गुज़ारने की सही डगर दिखाना चाहता है जो उसे सही मंज़िल तक पहुंचाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
14 अप्रैल 2022
बड़ी हस्तियों के सही रास्ते से हटने की शुरुआत
हक़ के समर्थक ख़वास की लड़खड़ाहट का दौर पैग़म्बर के इंतेक़ाल के लगभग सात आठ साल बाद शुरू होता है। वही महान सहाबी जिनके नाम मशहूर हैं, तल्हा, ज़ुबैर, साद इब्ने अबी वक़्क़ास वग़ैरा, इस्लामी दुनिया के सबसे बड़े पूंजीपति बन गए। उनमें से एक की मौत के बाद उसके छोड़े हुए सोने को उसके वारिसों में बांटने के लिए पहले उसे एक बड़ी सोने की ईंट में बदला गया और फिर कुल्हाड़ी से तोड़ कर टुकड़ों में बांटा गया।
ऐसा क्या हुआ कि इस्लामी उम्मत, जो इस्लामी नियमों और कुरआन की आयतों की बारीकियों पर इतना ध्यान देती थी, इतने स्पष्ट मामले में इस तरह ग़फ़लत का शिकार हो गई कि इतनी बड़ी त्रासदी सामने आ गई?
(स्वेडन में क़ुरआन की बेअदबी के मामले में) पर्दे के पीछे साज़िश करने वाले जान लें कि क़ुरआन मजीद का सम्मान और उसकी शान दिन ब दिन बढ़ती जाएगी और उसका मार्गदर्शन करने वाला प्रकाश ज़्यादा से ज़्यादा फैलेगा, इस साज़िश और इस पर अमल करने वाले इससे कहीं हक़ीर हैं कि वे इस दिन ब दिन फैलते प्रकाश को रोक सकें। और अल्लाह तो अपने हर काम पर ग़ालिब है।
इमाम ख़ामेनेई
22 जुलाई 2023
आज हज़ारों लोग आडियंस को प्रभावित करने वाले अलग अलग तरीक़ों की मदद से नौहा और मरसिया ख़ानी में मसरूफ़ हैं यह मामूली चीज़ नहीं है। आप सरकश, ज़ालिम, साम्राज्यवाद और करप्शन के ख़िलाफ़ संघर्ष का जज़्बा देश में आम कर सकते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
12 जनवरी 2023
इस्लामी जगत के लिए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पाठ यह है कि हक़ के लिए, इंसाफ़ के लिए, न्याय क़ायम करने के लिए, ज़ुल्म के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और इस लड़ाई के लिए अपना सब कुछ, पूरी ज़िन्दगी की पूंजी दांव पर लगा देनी चाहिए।
इमाम ख़ामनेई
12 जून 2013
अंजुमन, एक समाजिक इकाई है, जिसका गठन पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों से मुहब्बत के आधार पर होता है, इस की धुरी, अहलेबैत की मुहब्बत और उनके उद्देश्यों की ओर लोगों का मार्गदर्शन होता है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
सत्तर साल पहले की तुलना में आज ज़ायोनी सरकार के लिए हालात बदल चुके हैं और ज़ायोनी नेताओं की यह आशंका सही है कि यह शासन अपनी उम्र के 80 साल पूरे नहीं कर पाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
14 जून 2023
अल्लाह इस अज़ीम ईद और ज़िक्रे मौला की बरकत से आपके दिलों को अपने लुत्फ़ और सूकून से भर दे और यह तौफ़ीक़ दे कि हम इस मौक़े से और इस जैसे दूसरे मौक़ों से सही अर्थों में फ़ायदा हासिल कर सकें।
इमाम ख़ामेनेई
20 सितम्बर 2016
जो लोग इस्लाम को समाजी व सियासी मैदानों से बाहर रखना चाहते हैं और उसे व्यक्तिगत मामलों और निजी ज़िंदगी तक सीमित कर देना चाहते हैं उनका जवाब ग़दीर का वाक़या है।
इमाम ख़ामेनेई
13 अकतूबर 2014
रूहानियत का मतलब दीनी अख़लाक़ियात की बुलंदी है। धर्म को नकारते हुए नैतिकता को अपनाने की भ्रामक सोच का अंजाम, जिसका लंबे समय तक पश्चिम के वैचारिक हल्क़े प्रचार करते रहे, पश्मिच में अख़लाक़ का तेज़ पतन है जिसे सारी दुनिया देख रही है। रूहानियत और अख़लाक़ हज में अंजाम दिए जाने वाले अमल से, (हज के विशेष लेबास) अहराम की सादगी से, निराधार भेदभाव को नकारने से, (और तंगदस्त मोहताज को खाना खिलाओ की सीख) से, (हज के दौरान कोई शहवत वाला अमल, कोई बुरा अमल और कोई लड़ाई झगड़ा न हो की तालीम) से, तौहीद के मरकज़ के गिर्द पूरी उम्मत के तवाफ़ से, शैतान को कंकरियां मारने से और मुशरिकों से बेज़ारी के एलान से सीखना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
किसी भी दौर में इस्लामी दुनिया की सतह पर शियों का आपसी राबेता और नेटवर्क का दायरा इतना बड़ा कभी नहीं रहा जैसा इमाम मुहम्मद तक़ी, इमाम अली नक़ी और इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के ज़माने में वजूद में आया। इन दोनों इमामों के सामर्रा में नज़रबंद होने और उनसे पहले इमाम मुहम्मद तक़ी और एक अलग अंदाज़ से इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम पर बंदिशें होने के बावजूद अवाम से राबेता लगातार बढ़ता गया।
इमाम ख़ामेनेई
6 अगस्त 2005
हमारी सरज़मीं पर इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का रौज़ा स्थित होने और मुल्क के कोने कोने और अवाम के दिलों में उनकी रूहानी मौजूदगी की बरकतें नुमायां हैं। आठवें इमाम अलैहिस्सलाम हमारी क़ौम की रूहानी, फ़िक्री और दुनियावी नेमतों का मरकज़ हैं।
इमाम रज़ा अलैहिस्सलामः जो किसी ऐसी सभा में बैठे जहां हम अहलेबैत का ज़िक्र हो रहा हो, उसका दिल उस दिन मुर्दा नहीं होगा जिस दिन दिल मुर्दा हो जाएंगे।
बेहारुल अनवार जिल्द 49 पेज 90
दिलचस्प बात यह है कि क़ुम शहर की पैदाइश भी एक जेहादी ऐक्शन का नतीजा है जो बसीरत के साथ अंजाम दिया गया। यानी अशअरियों का ख़ानदान जब यहां आया और इस इलाक़े में बस गया तो अस्ल में उसने अहले बैत अलैहेमुस्सलाम की शिक्षाओं को फैलाने के लिए एक कल्चरल अभियान चलाया था। अशअरियों ने इससे पहले कि वे क़ुम आएं, जंग के मैदान में जेहादी कारनामे भी अंजाम दिए थे। अशअरियों के बुज़ुर्ग जनाब ज़ैद बिन अली (अलैहिस्सलाम) के नेतृत्व में जेहाद किया था। यही वजह थी कि हज्जाज बिन यूसुफ़ उनका दुश्मन हो गया और ये लोग यहां आने पर मजबूर हुए। उन्होंने अपनी कोशिशों से, अपनी बसीरत से, अपने इल्म से इस इलाक़े को इल्म का केन्द्र बनाया और यही चीज़ इस बात का कारण बनी कि हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा जब इस इलाक़े में पहुंचीं तो आपने क़ुम आने की इच्छा ज़ाहिर की। यहां उन्हीं अशअरियों के बुज़ुर्गों की वजह से लोग गए, उनका स्वागत किया,हज़रत मासूमए (क़ुम) को इस शहर में ले आए और यह आध्यात्मिक जगह उस दिन से इस महान हस्ती की वफ़ात के बाद से ही क़ुम शहर में रौशनी बिखेर रही है। क़ुम के लोगों ने जिनकी वजह से वह महा सांस्कृतिक आंदोलन वजूद में आया था, उसी दिन से इस शहर में अहले बैत अलैहेमुस्सलाम की शिक्षाओं को फैलाने का केन्द्र क़ायम किया और सैकड़ों विद्वानों, धर्मगुरुओं, मोहद्दिसों, मोफ़स्सिरों और इस्लाम व क़ुरआन के प्रचारकों को इस्लामी जगत के पूरब व पश्चिम में रवाना किया। क़ुम से ही ख़ुरासान के इलाक़े, इराक़ और सीरिया के विभिन्न हिस्सों में इल्म फैला। पहले दिन से क़ुम वालों की बसीरत इस सतह की है, क्योंकि क़ुम की पैदाइश ही जेहाद और बसीरत की बुनियाद पर हुई है।
इमाम ख़ामेनेई
19 अक्तूबर 2010
बीवी के रोल में औरत सबसे पहले तो सुकून की प्रतीक है। और उसी (की जिन्स) से उसका जोड़ा क़रार दिया ताकि (उसके साथ रहकर) सुकून हासिल करे। (सूरए आराफ़ 189) क्योंकि ज़िंदगी में उतार चढ़ाव होता है। मर्द ज़िंदगी के समंदर में कामों और थपेड़ों से रूबरू होता है। जब घर आता है तो उसे सुकून और चैन की ज़रूरत होती है। घर में यह सुकून औरत पैदा करती है।
इमाम ख़ामेनेई
4 जनवरी 2023
सही अर्थों में ज़ायोनी सरकार राजनैतिक अस्थिरता में घिरी हुयी है। उनके अधिकारी बार बार चेतावनी दे रहे हैं कि बहुत जल्द बिखराव होने वाला है। उनका राष्ट्रपति कह रहा है, उनका पूर्व प्रधान मंत्री कह रहा है, उनका सुरक्षा विभाग का प्रमुख कह रहा है, उनका रक्षा मंत्री कह रहा है, वे सभी कह रहे हैं कि जल्द ही बिखर जाएंगे और हम 80 साल के नहीं हो पाएंगे। हमने कहा था, ʺतुम अगले 25 साल नहीं देख पाओगेʺ लेकिन उनको तो (मिट जाने की) और भी जल्दी पड़ी है।
स्कूलों में दिलचस्प प्रशैक्षिक (तरबियती) प्रोग्राम होने चाहिए। राष्ट्रीय पहचान को मज़बूत बनाना, वतन दोस्ती के जज़्बे को मज़बूत करना, राष्ट्र ध्वज को मज़बूत करना और इस्लामी तर्ज़े ज़िंदगी सिखाना सबसे महत्वपूर्ण कामों में शामिल हैं जिन्हें अंजाम दिया जाना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
2 मई 2023
रमजान का महीना अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने का महीना भी है और जेहाद का महीना भी। इस्लाम के आग़ाज़ में जंगे बद्र और फ़त्हे मक्का रमज़ान में थी। हालिया बरसों में क़ुद्स दिवस ईरानी क़ौम के संघर्ष का दिन रहा और इस साल बड़े पैमाने पर दूसरे राष्ट्रों ने भी इसमें साथ दिया।
इमाम ख़ामेनेई
22 अप्रैल 2023
दुनिया की हर जंग में बड़ी ताक़तें लिप्त हैं। आज यूक्रेन, सीरिया, लीबिया और #सूडान की जंग के योजनाकार कौन हैं? इम्पेरियल ताक़तों के लोग हैं जो जंग शुरु करवाते हैं कि उसका फ़ायदा किसी और जगह हासिल करें। अमरीका ने इसी तरह इराक़ व अफ़ग़ानिस्तान में जंग शुरू की थी।
इमाम ख़ामेनेई
16 अप्रैल 2023