31/01/2023
रजब के महीने की दुआएं मारेफ़त का ठाठें मारता हुआ समंदर हैं। दुआ में सिर्फ़ यह नहीं है कि इंसान अपने मन को अल्लाह के क़रीब कर लेता है, यह तो है ही, साथ ही मारेफ़त भी हासिल होती है। दुआ में शिक्षा भी है और मन की पाकीज़गी भी है। इमाम ख़ामनेई 9 जून 2009
28/01/2023
हर शख़्स अपनी क्षमता भर नमाज़ से फ़ैज़ हासिल करता है। अलबत्ता इसमें नौजवान और बच्चे सबसे आगे हैं। तवज्जो और ख़ुलूस से पढ़ी जाने वाली नमाज़ से उन्हें सबसे ज़्यादा फ़ायदा हासिल होता है। इमाम ख़ामेनेई 26/01/2023
28/01/2023
दुआ, मुश्किलों के हल की कुंजी, अल्लाह की याद और मन की पाकीज़गी का ज़रिया है और रजब का महीना उन लोगों की ईद है जो अपने मन को पाक करने का इरादा रखते हैं। इमाम ख़ामेनेई 9 अप्रैल 2018
25/01/2023
इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम और दूसरे इमामों, सभी ने इस रास्ते की ओर क़दम बढ़ाया कि ‎अल्लाह का हुक्म, अल्लाह का क़ानून समाजों में लागू हो। कोशिशें हुई हैं, जिद्दोजेहद हुयी है, तकलीफ़ें ‎उठायी गयी हैं। इस राह में जेल व जिलावतनी बर्दाश्त की गयी और नतीजाख़ेज़ शहादतें दी गई हैं।ʺ इमाम ख़ामेनेई ‎8 मई 1981‎
23/01/2023
ज़माने के बड़े बड़े ओलमा इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम से इल्म हासिल करते थे। (मशहूर सहाबी) इब्ने अब्बास के शिष्य अकरमा, एक मशहूर शख़्सियत हैं, जब इमाम ‎मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के पास आते हैं ताकि उनसे कोई हदीसे रसूल सुनें -शायद उनका ‎इम्तेहान लेने की नीयत से- तो उनके हाथ पैर थरथराने लगते हैं और वो इमाम के क़दमों में गिर ‎जाते हैं, बाद में ख़ुद ही ताज्जुब करते हुए कहते हैं कि फ़रज़ंदे रसूल! मैंने इब्ने अब्बास जैसी हस्ती ‎को देखा, उनसे हदीसें सुनीं लेकिन उनके सामने मेरी यह हालत नहीं हुयी जैसी आपके सामने हो गई ‎तो इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम उसके जवाब में साफ़ लफ़्ज़ों में कहते हैं, हे शामियों के ग़ुलाम! तुम ऐसी रूहानी अज़मत के सामने हो कि तुम्हारी यह हालत होना स्वाभाविक ‎है। अबू हनीफ़ा जैसा शख़्स, जो अपने ज़माने के बड़े धर्मगुरुओं में थे, इमाम मोहम्मद बाक़िर ‎अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में आकर उनसे दीन की तालीम हासिल करते हैं और दूसरे बहुत से ‎ओलमा, इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के शागिर्द थे और इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम के इल्म ‎का डंका पूरी दुनिया में इस तरह बजा कि बाक़िरुल उलूम (इल्म की तह तक पहुंच जाने वाले) के नाम से मशहूर हुए। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎17 जुलाई 1986‎
23/01/2023
रजब महीने का हर दिन अल्लाह की एक नेमत है। एक अक़्लमंद, होशियार व जागरुक इंसान इसके ‎लम्हों में से हर लम्हे में ऐसी चीज़ हासिल कर सकता है कि जिसके सामने दुनिया की सारी नेमतें ‎महत्वहीन हैं। यानी अल्लाह की मर्ज़ी, लुत्फ़, इनायत और तवज्जो हासिल कर सकता है। ‎   इमाम ख़ामेनेई 8 फ़रवरी 1991‎
14/01/2023
औरत इस्लामी माहौल में तरक़्क़ी करती है और उसकी औरत होने की पहचान बाक़ी रहती है। औरत ‎होना औरत के लिए फ़ख़्र की बात है। यह औरत के लिए फ़ख़्र की बात नहीं है कि हम उसे ज़नाना ‎माहौल, ज़नाना ख़ुसूसियतों और ज़नाना अख़लाक़ से दूर कर दें और गृहस्थी को, बच्चों की परवरिश ‎को, शौहर का ख़्याल रखने को उसके लिए शर्म की बात समझें। इमाम ख़ामेनेई 12 सितम्बर 2018
14/01/2023
वो समझ रहे थे कि अमरीका के किसी पिट्ठू के पेट्रो डालर से इस्लामिक रिपब्लिक के इरादे को तोड़ा जा सकता है। यह उनकी भूल थी। इस्लामी जुमहूरिया का इरादा दुश्मन की ताक़त के सभी तत्वों से ज़्यादा मज़बूत साबित हुआ।
10/01/2023
जब हमारे पास पाकीज़ा डिफ़ेंस के ज़माने जैसे नौजवान हों तो नतीजा यक़ीनी प्रगति के रूप में निकलता है। यानी दुनिया की सारी ताक़तें लामबंद हो गईं कि ईरान के टुकड़े कर देना है, मगर मुल्क की एक बालिश्त ज़मीन भी न ले सकीं। यह मामूली चीज़ है? यह छोटी कामयाबी है?
07/01/2023
आप अपने इल्म और स्पेशलाइज़ेशन के ज़रिए, समाजी, सियासी और काम के मैदानों में अपनी सेवा ‎के ज़रिए, माँ के किरदार को जो सबसे पाक और अच्छा रोल है, अपने ज़िम्मे लेकर, बच्चों की ‎तरबियत और परवरिश करके, अपनी आगे की ज़िन्दगी में मुल्क के भविष्य और इन्क़ेलाब की सबसे ‎बड़ी ख़िदमत कर सकती हैं। इमाम ख़ामेनेई 23 सितम्बर 1986‎
01/01/2023
अमरीका दुनिया पर हावी ताक़त थी मगर आज नहीं है। इलाक़े में अमरीका शिकस्त खा चुका है। हर कोशिश के बावजूद, हर हथकंडा इस्तेमाल करने के बावजूद बड़ा शैतान इस इलाक़े में अपना मक़सद हासिल न कर सका। इस काम के चैम्पियन सुलैमानी थे। इमाम ख़ामेनेई
28/12/2022
बहुत कम मुद्दत के अंदर पैग़म्बरे इस्लाम के दिल को हज़रत ख़दीजा और हज़रत अबू तालिब की वफ़ात से दो गहरे सदमे पहुंचे। पैग़म्बर को शिद्दत से तनहाई का एहसास हुआ। उन दिनों हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा सहारा बनीं और अपने नन्हें हाथों से पैग़म्बर के चेहरे पर पड़ी दुख और पीड़ा की गर्द हटाई। उम्मे अबीहा यानी अपने वालिद की मां, पैग़म्बर की ढारस बंधाने वाली। यह लक़ब उसी दौर का है। इमाम ख़ामेनेई 24 नवम्बर 1994
27/12/2022
रवायतों में नज़र आता है कि हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के पास बस नबूवत व इमामत की ज़िम्मेदारी नहीं थी वरना रूहानी बुलंदी के एतेबार से उनमें और पैग़म्बर व अमीरुल मोमेनीन अलैहिमुस्सलाम में कोई फ़र्क़ न था। इससे औरत के बारे में इस्लाम के नज़रिए का पता चलता है। एक औरत इस मक़ाम पर पहुंच सकती है वह भी इस नौजवानी की उम्र में। इमाम ख़ामेनेई 29 नवम्बर 1993
26/12/2022
अल्लाह के करम से इस्लामी इंक़ेलाब के बाद हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का नाम इंक़ेलाब से पहले के दौर की तुलना में दस गुना नहीं दर्जनों बल्कि सैकड़ों गुना ज़्यादा दोहराया जाता है। यानी समाज फ़ातेमी समाज बन चुका है। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2022
24/12/2022
अगर औरतों को क़ुरआन से लगाव हो जाए तो समाज की बहुत सी मुश्किलें हल हो जाएंगी, ‎इंशाअल्लाह क़ुरआन पर रिसर्च करने वाली महिलाओं की ट्रेनिंग के अज़ीम क़दम की बरकत से हमारे ‎समाज का मुस्तक़बिल आज से कहीं ज़्यादा क़ुरआनी हो जाएगा। इमाम ख़ामेनेई 20 अक्तूबर 2009
23/12/2022
अमरीकियों ने साफ़ लफ़्ज़ों में कहा कि दाइश का गठन उन्होंने किया और अब ह्यूमन राइट्स का परचम उठाए मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकारों के विषय पर बात करते हैं। यह सब शाहचेराग़ के आतंकी हमले में बेनक़ाब हो गए। इमाम ख़ामेनेई 20 दिसम्बर 2022
09/12/2022
इमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि शबे जुमा थी। मेरी वालेदा मुसल्ले पर खड़ी हुईं और पूरी रात सुबह तक इबादत करती रहीं। वालेदा रात की शुरुआत से सुबह तक इबादत, दुआ और मुनाजातें करती रहीं। इमाम हसन फ़रमाते हैं कि मैंने सुना की वो मुसलसल मोमेनीन और मोमेनात के लिए दुआ करती रहीं, लोगों के लिए दुआ करती रहीं, इस्लामी दुनिया के मसलों के लिए दुआ करती रहीं। सुबह हुई तो मैंने कहा कि आपने एक दुआ भी अपने लिए नहीं मांगी। शुरू से आख़िर तक पूरी रात दुआएं कीं दूसरों के लिए?! उन्होंने जवाब दिया कि मेरे बेटे पहले पड़ोसी फिर ख़ुद। यह अज़ीम जज़्बा है। इमाम ख़ामेनेई 16 दसिम्बर 1992
07/12/2022
हमारे बस की बात नहीं’ का कल्चर इस्लामी इंक़ेलाब से पहले समाज में मौजूद ग़लत कल्चर था। इंक़ेलाब ने आकर इस सोच को बदला जिसके नतीजे में बांधों, बिजलीघरों, हाईवेज़, तेल और गैस इंडस्ट्री की मशीनों और इंफ़्रास्ट्रक्चर के निर्माण के बहुत सारे काम स्थानीय नौजवान विशेषज्ञों के हाथों अंजाम पाए। इमाम ख़ामेनेई 6 दिसम्बर 2022
06/12/2022
ये लोग प्लानिंग के साथ मैदान में आए हैं। प्लान यह है कि ईरानी क़ौम को अपनी राह पर ले जाएं, ऐसा कुछ करें कि ईरानी क़ौम की सोच ब्रिटेन और अमरीका के सियासतदानों वग़ैरह की तरह हो जाए।दुश्मन की यह कोशिश है कि लोगों के दिल व दिमाग़ पर छा जाए। अगर उन्होंने किसी क़ौम के दिल व दिमाग़ पर क़ब्ज़ा कर लिया तो फिर वह क़ौम अपने मुल्क को अपने हाथों दुश्मन के हवाले कर देगी।इस मक़सद के तहत वह, जवानों के ऐक्टिव दिमाग़ के लिए फ़िक्री कन्टेन्ट बनाना शुरू कर देता है। ये सब झूठ, हक़ीक़त के बरख़िलाफ़ ये बातें, ये सब गुमराह करने वाली बातें, ये सब इल्ज़ाम, ये सब इसी लिए है। इमाम ख़ामेनेई 2 नवम्बर 2022 26 नवम्बर 2022
03/12/2022
इफ़्तेख़ार सिर्फ़ यह नहीं है कि हमारा क़ौमी तराना पढ़ा जाए। बेशक यह इफ़्तेख़ार है लेकिन इससे बड़ा इफ़्तेख़ार यह है कि मिसाल के तौर पर एक चैम्पियन ख़ातून चैम्पियन्ज़ के पोडियम पर चादर के साथ आकर खड़ी हो। यह इस लहराते क़ौमी परचम से भी ज़्यादा अहम है। यह मुसलमान ईरानी ख़ातून के मज़बूत जज़्बे का आईना है। इमाम ख़ामेनेई 2 जनवरी 2016
01/12/2022
मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे समाज की बच्चियां और महिलाएं हज़रत ज़ैनब की शख़्सियत में मौजूद आइडियल पर ग़ौर करें और अपनी शख़्सियत के लिए उसी को पैमाना बनाएं। बाक़ी चीज़ें तो हाशिए की हैं। इमाम ख़ामेनेई 16 जून 2005
25/11/2022
यह जो बात मैं अर्ज़ कर रहा हूं सभी इस बर ध्यान दें, दुश्मन प्लानिंग के साथ मैदान में आया है। ‎नौजवान समझ लें, वो प्रोग्राम के साथ मैदान में उतरे हैं। उनका प्रोग्राम यह है कि ईरानी क़ौम को ‎अपनी साज़िश में शामिल कर लें, ऐसा कुछ करें कि ईरानी क़ौम का अक़ीदा, ब्रिटेन और अमरीका ‎वग़ैरह के नेताओं जैसा हो जाए, यह साज़िश है। ‎ इमाम ख़ामेनेई 2 नवम्बर 2022
22/11/2022
इस्लामी जुम्हूरिया ईरान से वेस्ट और इम्पेरियल ताक़तों को तकलीफ़ यह है कि इस्लामी जुम्हूरिया लगातार आगे बढ़ रही है। इस तरक़्क़ी को सारी दुनिया देख रही है और मान रही है। यह चीज़ पश्चिम के लिए नाक़ाबिले बर्दाश्त हो गई है। इमाम ख़ामेनेई 19/11/2022
18/11/2022
शहीद और शहादत उन चीज़ों में है जो राष्ट्रीय पहचान को नुमायां मक़ाम पर ले जाती हैं और राष्ट्रीय पहचान को बुलंदी प्रदान करती हैं। अपने जज़्ब़-ए-शहादत की वजह से ईरानी क़ौम दूसरी क़ौमों की निगाहों में ख़ास अज़मत की मालिक बनी। इमाम ख़ामेनेई 17 नवम्बर 2022
13/11/2022
आप अमरीकियों ने 2009 के हंगामों में शामिल दंगाइयों का खुलकर साथ दिया। इससे पहले ओबामा ने मुझे ख़त लिखा था कि हम आप से सहयोग करना चाहते हैं, हम आपके दोस्त हैं। लेकिन जैसे ही 2009 के हंगामे शुरू हुए उन्होंने दंगाइयों का समर्थन शुरू कर दिया। इस उम्मीद पर कि शायद यह दंगे कामयाब हो जाएं और ईरानी क़ौम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दें। इमाम ख़ामेनेई 2 नवम्बर 2022
12/11/2022
इमाम ख़ुमैनी ने फ़रमाया कि अगर महिलाएं इस मूवमेंट में साथ न देतीं तो इंक़ेलाब कामयाब न हो पाता। अगर इंक़ेलाब के दौरान औरतों की वफ़ादारी, अलग अलग मैदानों में, जुलूसों में, चुनावों में औरतों की भागीदारी और उनके ज़ज्बात का सहारा न होता तो यक़ीनी तौर पर यह अज़ीम अवामी तहरीक यह शक्ल अख़्तियार न कर पाती और आगे न बढ़ पाती। यह इस्लाम का और इस्लामी सिस्टम का नज़रिया है। इमाम ख़ामेनेई 20 सितम्बर 2000
09/11/2022
हम शहीद सुलैमानी की शहादत हरगिज़ भूलेंगे नहीं। इसे वो याद रखें! इस सिलसिले में हमने एक बात कही है ‎और ‎उस पर क़ायम हैं। मुनासिब वक़्त पर, मुनासिब जगह इंशाअल्लाह उस पर अमल किया जाएगा। ‎ इमाम ख़ामेनेई 2 नवम्बर 2022
09/11/2022
‎शीराज़ में #शाहचेराग़ का वाक़या बहुत बड़ा मुजरेमाना क़दम था। इस मासूम बच्चे का क्या गुनाह था। छह साल का ‎बच्चा जिसने अपने मां बाप और भाई को खो दिया। उस पर ग़म का पहाड़ क्यों गिरा दिया?‎ इमाम ख़ामेनेई 2 नवम्बर 2022
07/11/2022
वतन को बचाने के लिए मोर्चे पर जाने वाले मुजाहेदीन की बीवियां दुखी हुयीं और वे रोईं कि वह ‎क्यों जंग के मैदान में नहीं जा सकतीं, उन्होंने सब्र किया और अपने घरों में बैठी रहीं और मोर्चे के ‎पिछले हिस्से को संभाल लिया, फिर जब वह मुजाहिद शहीद हो गया तो उन्होंने शुक्र अदा किया और ‎अपने शहीद की शहादत पर फ़ख़्र किया! यह वह चीज़ है जिससे किसी तहरीक का शोला मुसलसल ‎जलता रहता है। इमाम ख़ामेनेई 1 जनवरी 1992‎
06/11/2022
कुछ साल पहले तक आधुनिक मिसाइल और ड्रोन की तस्वीरें जब पब्लिश होती थीं तो यह लोग कहते थे कि फ़ोटोशाप से बनाई गई जाली तस्वीरें हैं। आज कह रहे हैं कि ईरानी ड्रोन बड़े ख़तरनाक हैं। यह ईरानी वैज्ञानिकों का कमाल है। इमाम ख़ामेनेई 19 अक्तूबर 2022
29/10/2022
मुझे जब भी कभी शहीदों के घरवालों से मुलाक़ात का शरफ़ हासिल होता है और मैं अक़ीदत से उनसे मुलाक़ात करने जाता हूं तो कुछ माँए कहती हैं कि हम रोते नहीं हैं ताकि दुश्मन हमें कमज़ोर न समझे। इन दिलों में कितनी अज़मत छिपी हुई है!? इमाम ख़ामनेई 31 अगस्त 1999
25/10/2022
यह हंगामे मंसूबे के साथ करवाए गए। बाहरी सरकारों को यह महसूस हो रहा है, नज़र आ रहा है कि मुल्क हर पहलू से मज़बूती की तरफ़ बढ़ रहा है और यह उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वो नहीं चाहतीं कि ऐसा हो। इस तरक़्क़ी को रोकने के लिए उन्होंने यह साज़िश रची थी। इमाम ख़ामेनेई 3 अकतूबर 2022
24/10/2022
कभी यह दुनिया दो बड़ी ताक़तों की मुट्ठी में थी। एक ताक़त अमरीका और दूसरी ताक़त पूर्व सोवियत युनियन। एक मसले पर यह दोनों मुत्तफ़िक़ थे और वह मसला था इस्लामी जुमहूरिया की दुश्मनी। इमाम ख़ुमैनी उनके मुक़ाबले में डट गए। झुकना गवारा न किया। साफ़ कह दियाः "न पूरब न पश्चिम" दुश्मन समझ रहे थे कि यह लक्ष्य पूरा नहीं होगा। सोच रहे थे कि इस पौधे को उखाड़ फेंकेंगे। मगर पौधा आज तनावर दरख़्त बन गया है। इसे उखाड़ फेंकने की बात सोचना उनकी हिमाक़त ही होगी। इमाम ख़ामेनेई 14 अकतूबर 2022
23/10/2022
जिस शियत का मरकज़ और पनाहगाह लंदन है उसे हम नहीं मानते। जिस शियत का वजूद तफ़रक़ा फैलाने और इस्लाम के दुश्मनों के लिए रास्ता साफ़ करने पर टिका है वह शियत नहीं। यह खुली हुई गुमराही है। इमाम ख़ामेनेई 17 अगस्त 2015
16/10/2022
अमरीका ताक़तवर ईरान का विरोधी है, इंडिपेंडेंट ईरान का विरोधी है। उन्हें इस्लामी जुमहूरिया से गहरी दुश्मनी है। इसमें कोई शक ही नहीं लेकिन इस्लामी जुमहूरिया के अलावा ख़ुद ताक़तवर ईरान के भी ख़िलाफ़ हैं, उस ईरान के ख़िलाफ़ हैं जो इंडिपेंडेंट हो। उन्हें पहलवी हुकूमत के दौर का ईरान पसंद है जो दूध देने वाली गाय हो। उनके हुक्म का पाबंद हो। मुल्क का बादशाह हर फ़ैसले के लिए ब्रिटेन और अमरीका के राजदूत की रज़मंदी लेने पर मजबूर हो। इमाम ख़ामेनेई 3 अकतूबर 2022
ताज़ातरीन