न सिर्फ़ हमारे दौर में दुनिया में बल्कि इतिहास में भी इस बात का कोई चिन्ह नहीं है कि इमाम हुसैन के अर्बईन जैसा कोई इज्तेमा, हर साल पिछले साल की तुलना में ज़्यादा गर्मजोशी से अंजाम पाता हो।
दुश्मन की मनोवैज्ञानिक जंग का यह हथकंडा जब फ़ौजी मैदान में पहुंचता है तो इसका नतीजा पीछे हटने का ख़ौफ़ है और क़ुरआन मजीद ने इस पीछे हटने को हक़ीक़त में अल्लाह के क्रोध का सबब बताया है और इसकी व्याख्या की है।
मुल्क के फ़ुलां मक़ाम, फ़ुलां शहर, फ़ुलां क़ौम और फ़ुलां प्रांत का रहने वाला जवान जो जाकर दुश्मन के मुक़ाबले में खड़ा हो जाता है। वह न तो सैन्य मैदान में डरता है और न उसकी राजनैतिक बातों से प्रभावित होता है और न उसके कल्चर को क़ुबूल करता है।
आज झूले में मौजूद बच्चे, पांच साल, छह साल के बच्चों पर, महिलाओं पर, अस्पतालों में भरती बीमारों पर, इन लोगों ने तो एक गोली भी नहीं चलायी होती है, लेकिन इन पर बम गिराए जा रहे हैं, क्यों?
अपनी शहादत से कुछ घंटे पहले जनाब इस्माईल हनीया के Khamenei.ir की अरबी सेवा से आख़िरी इंटरव्यू पर आधारित डाक्यूमेंट्री की कुछ झलकियां। यह डाक्यूमेंट्री जल्द ही रिलीज़ की जाएगी।
KHAMENEI.IR की अरबी सेवा को दिए गए शहीद इस्माईल हनीया के आख़िरी इंटरव्यू पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री फ़िल्म। यह इंटरव्यू उन्होंने अपनी शहादत से कुछ घंटे पहले दिया था।
उन्हें अल्लाह की राह में शहीद होकर अल्लाह के बंदों को नजात दिलाने से ख़ौफ़ नहीं था लेकिन हम इस सख़्त व कड़वी घटना पर, जो इस्लामी गणराज्य की सरहद में अंजाम पायी, उनके ख़ून के बदले को अपना फ़र्ज़ समझते हैं।
किसी भी आंतरिक मसले को किसी विदेशी मसलें पर निर्भर नहीं करना चाहिए। आप विश्व स्तर पर जो भी काम कर सकते हैं, कीजिए, अच्छे काम, इज़्ज़त बढ़ाने वाले काम, सज्जनता से भरे काम कीजिए लेकिन मुल्क की सलाहियत, मुल्क की ताक़त और मुल्क के इनोवेशन की ओर से ग़फ़लत न कीजिए।
इन लोगों ने जो काम किया है वह इतना बड़ा है कि दिखावा छोड़, अपनी अस्लियत पर उतर आया है अमरीका। दुनिया में अमरीका की फ़ज़ीहत हो गयी है, उसकी बातों को झुठलाया जा रहा है।
हम एहतियात और तकल्लुफ़ से काम लें और खुलकर यह बात न कहें या न कह सकें लेकिन दूसरे खुलकर यह बात कह रहे हैं कि ये वाक़ए जो दुनिया में फ़िलिस्तीन के हित में हो रहे हैं, उनमें से ज़्यादातर का स्रोत इस्लामी इंक़ेलाब की आत्मा और इस्लामी गणराज्य की आत्मा है।
सच्चाई बयान करने का मिशन, दुश्मन की चाल और उसकी कोशिशों को नाकाम बनाने वाला है। आप में से हर एक, एक ज़िम्मेदारी के तौर पर एक चेराग़ की तरह, एक प्रकाश की तरह अपने आस-पास के माहौल को रौशन कर दे।
क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की पीठ पर अमरीका जैसी एक बड़ी फ़ौजी, राजनैतिक और आर्थिक ताक़त, प्रतिरोध करने वाले एक गिरोह से लड़ रही है लेकिन वह उसे घुटने टेकने पर मजबूर न कर सकी। वे अपनी भड़ास आम लोगों पर निकाल रहे हैं।
सरकार के सामने मुख़्तलिफ़ मसलों में चुनौतियां हो सकती हैं, ऐसी स्थिति में संसद सरकार को भरपूर सहारा दे सकती है, सरकार के हाथ मज़बूत कर सकती है। स्ट्रैटेजिक ऐक्शन का क़ानून, संसद के बेहतरीन कामों में से एक था।
राष्ट्रपति रईसी सहयोग करने वाले इंसान थे लेकिन आत्मसम्मान के साथ, न इतना सख़्त और दूर कर देने वाला रवैया कि संबंध टूट जाएं और न ही फ़ुज़ूल में किसी को रिआयत देना और ख़ुद को कमतर समझना।
इंशाअल्लाह हमारे अज़ीज़ अवाम वोट देने और बेहतरीन उम्मीदवार का चयन करने में कामयाब होंगे और इस राउंड में अवाम का इरादा और हौसला ज़्यादा होना चाहिए ताकि वो इस काम को पूरा कर सकें और इंशाअल्लाह कल मुल्क को एक नया राष्ट्रपति मिले।
शहीद सुलैमानी ने अपनी ज़िंदगी में भी साम्राज्यवाद को शिकस्त दी और अपनी शहादत से भी उसे शिकस्त दी। शायद कुछ दोस्तों को न पता हो कि उन्होंने क्षेत्र की क़ौमों की मदद से वेस्ट एशिया के क्षेत्र में अमरीका की सभी अवैध योजनाओं पर पानी फेर दिया।
इमामत के सिलसिले को पैग़म्बरे इस्लाम अल्लाह के हुक्म से आगे बढ़ाते हैं, अलबत्ता इस इमामत के लिए सत्ता व शासन ज़रूरी है। इसीलिए ख़िलाफ़त का एलान करते हैं, विलायत के एलान के वक़्त फ़रमाते हैं: "जिस जिस का मैं मौला हूं उसके ये अली मौला हैं।"
18 ज़िलहिज्जा सन 10 हिजरी का दिन, ग़दीर के एलान और अमीरुल मोमेनीन की जानशीनी के एलान का दिन वह दिन है जब काफ़िर मायूस हो गए। इस बारे में कि वो दीने इस्लाम को मिटा सकेंगे। इस दिन से पहले तक उन्हें यह उम्मीद थी कि ऐसा कर ले जाएंगे। लेकिन इस दिन उनकी उम्मीद मर गई।
बुज़ुर्ग धर्मगुरू आयतुल्लाह नासिर मकारिम शीराज़ी के तेहरान के एक अस्पताल में भर्ती होने पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अस्पताल पहुंच कर उनका हाल-चाल पूछा।
जो लोग तुम्हें क़त्ल करते हैं, तुमसे जंग करते हैं, तुम्हें तुम्हारे वतन से भगा देते हैं या उन लोगों की मदद करते हैं जिन्होंने तुम्हें तुम्हारे घरों से निकाल दिया है तो उनसे संपर्क रखने या उन की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाने का तुम्हें हक़ नहीं है।
पूरे हज में अल्लाह का ज़िक्र है, अल्लाह की याद है। यह ज़िक्र, ज़िंदगी का स्रोत है, इसका हमारी ज़िंदगी पर, हमारे इरादे पर, हमारे संकल्प पर, हमारे बड़े बड़े फ़ैसलों पर असर पड़ेगा।
अज़ीज़ राष्ट्रपति ने ईरान को दुनिया की राजनैतिक हस्तियों की नज़र में ज़्यादा बड़ा और नुमायां कर दिया। इसीलिए आज राजनैतिक हस्तियां जो उनके बारे में बात करती हैं, उन्हें एक नुमायां शख़्सियत बताती हैं।
अलअक़्सा फ़्लड ऑप्रेशन ज़ायोनी सरकार पर एक निर्णायक वार था, एक ऐसा वार जिसका कोई इलाज नहीं है। ज़ायोनी सरकार को इस वार से ऐसे नुक़सान पहुंचे हैं जिनसे वह कभी नजात हासिल नहीं कर पाएगी