आज ज़ायोनी शासन बड़ी बेशर्मी से खुल्लम खुल्ला अपराध कर रहा है। इसकी वजह यह है कि हम अपनी आंतरिक ताक़त को इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। हमें इस्तेमाल करना चाहिए।
इस्लामी जगत की ताक़त कैंसर के इस दुष्ट फोड़े को इस्लामी समाज के दिल यानी फ़िलिस्तीन से निकाल सकती है, मिटा सकती है और इस इलाक़े से अमरीका की धौंस व धमकी भरे प्रभाव, कंट्रोल और हस्तक्षेप को ख़त्म कर सकती है। हम में ऐसा करने की ताक़त है!
आज हमें इस्लामी उम्मत के गठन की ज़रूरत है, यानी इसके लिए कोशिश होनी चाहिए। इस संबंध में कौन मदद कर सकता है। सरकारें प्रभावी हो सकती हैं। अलबत्ता सरकारों में जज़्बा बहुत ठोस नहीं है। जो लोग इस जज़्बे को ठोस कर सकते हैं वह इस्लामी जगत का विशिष्ट वर्ग है।
एक और चीज़ जो इस साल ओलंपिक मुक़ाबलों में नुमायां थी वह विश्व स्पोर्ट्स के मामलों को कंट्रोल करने वाले मुल्कों की दोहरी नीति है। वाक़ई उन्होंने दिखा दिया कि उनके रवैयों पर दोहरी और दुश्मनी भरी नीतियां छायी हुयी हैं।
अमरीकी अधिकारियों के दिमाग़ में आतंकवाद का अर्थ ग़लत रूप में है। वे आतंकवाद का ग़लत मानी निकालते हैं। एक रात में सबरा व शतीला के नरसंहार को, वे आतंकवाद नहीं मानते!
आज मेरी नज़र में निश्चित तौर पर अनिवार्य कामों में से एक ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के मज़लूमों का सपोर्ट करना है; अगर हमने इस फ़रीज़े पर अमल न किया तो क़यामत में अल्लाह हमसे सवाल करेगा।
इस साल का प्रदर्शन बहुत नुमायां था, बहुत अच्छा था। आपने क़ौम को ख़ुश कर दिया। ईरानी क़ौम में गौरव का एहसास पैदा किया। मैं मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ियों का दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करता हूं।
हालाँकि उनकी सरकार बेहद क्रूर थी और बड़ा ज़ालिमाना व्यवहार करती थी लेकिन इसके बावजूद इमाम इस तरह कामयाब रहे। मतलब यह है कि इमामों की वतन से दूरी के साथ ही इस वैभव और इस महानता को भी देखना चाहिए।
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम अंधेरी व घटाटोप रात में पैग़म्बर के बिस्तर पर सोने के लिए तैयार हो गए ताकि पैग़म्बर उस घर और उस शहर से बाहर निकल जाएं। उस रात, उस बिस्तर पर सोने वाले का मारा जाना क़रीब क़रीब निश्चित था।
मामून की इस राजैनितक व मक्कारी भरी चाल के मुक़ाबले में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने समझदारी से भरा एक पाकीज़ा प्रोग्राम तैयार किया और साज़िश को पूरी तरह उसके विपरीत दिशा में और सत्य व सच्चाई के हित में पलट देने में कामयाब रहे।
दुनिया के अवसरवादी और सत्ता लोलुप भविष्य में एआई की एजेंसी का गठन करेंगे, उस वक़्त आपको उसकी सीमा से आगे बढ़ने की इजाज़त नहीं देंगे। मुल्क में एआई की ढांचागत परतों तक पहुंचने की कोशिश कीजिए।
अल्लाह की लानत हो क़ाबिज़ ज़ायोनियों पर, माँ की गोद में बच्चे को क़त्ल कर रहे हैं। कहाँ हैं मानवाधिकार के बारे में अपनी कर्कश आवाज़ से दुनिया को बहरा कर देने वाले?
आज दुनिया कुफ़्र और साम्राज्यवाद के प्रभुत्व, भ्रष्टाचार के प्रभुत्व, ज़ुल्म के प्रभुत्व को देख रही है; इमाम हुसैन का संदेश, दुनिया की नजात का संदेश है।
न सिर्फ़ हमारे दौर में दुनिया में बल्कि इतिहास में भी इस बात का कोई चिन्ह नहीं है कि इमाम हुसैन के अर्बईन जैसा कोई इज्तेमा, हर साल पिछले साल की तुलना में ज़्यादा गर्मजोशी से अंजाम पाता हो।
दुश्मन की मनोवैज्ञानिक जंग का यह हथकंडा जब फ़ौजी मैदान में पहुंचता है तो इसका नतीजा पीछे हटने का ख़ौफ़ है और क़ुरआन मजीद ने इस पीछे हटने को हक़ीक़त में अल्लाह के क्रोध का सबब बताया है और इसकी व्याख्या की है।
मुल्क के फ़ुलां मक़ाम, फ़ुलां शहर, फ़ुलां क़ौम और फ़ुलां प्रांत का रहने वाला जवान जो जाकर दुश्मन के मुक़ाबले में खड़ा हो जाता है। वह न तो सैन्य मैदान में डरता है और न उसकी राजनैतिक बातों से प्रभावित होता है और न उसके कल्चर को क़ुबूल करता है।
आज झूले में मौजूद बच्चे, पांच साल, छह साल के बच्चों पर, महिलाओं पर, अस्पतालों में भरती बीमारों पर, इन लोगों ने तो एक गोली भी नहीं चलायी होती है, लेकिन इन पर बम गिराए जा रहे हैं, क्यों?
अपनी शहादत से कुछ घंटे पहले जनाब इस्माईल हनीया के Khamenei.ir की अरबी सेवा से आख़िरी इंटरव्यू पर आधारित डाक्यूमेंट्री की कुछ झलकियां। यह डाक्यूमेंट्री जल्द ही रिलीज़ की जाएगी।
KHAMENEI.IR की अरबी सेवा को दिए गए शहीद इस्माईल हनीया के आख़िरी इंटरव्यू पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री फ़िल्म। यह इंटरव्यू उन्होंने अपनी शहादत से कुछ घंटे पहले दिया था।
उन्हें अल्लाह की राह में शहीद होकर अल्लाह के बंदों को नजात दिलाने से ख़ौफ़ नहीं था लेकिन हम इस सख़्त व कड़वी घटना पर, जो इस्लामी गणराज्य की सरहद में अंजाम पायी, उनके ख़ून के बदले को अपना फ़र्ज़ समझते हैं।
किसी भी आंतरिक मसले को किसी विदेशी मसलें पर निर्भर नहीं करना चाहिए। आप विश्व स्तर पर जो भी काम कर सकते हैं, कीजिए, अच्छे काम, इज़्ज़त बढ़ाने वाले काम, सज्जनता से भरे काम कीजिए लेकिन मुल्क की सलाहियत, मुल्क की ताक़त और मुल्क के इनोवेशन की ओर से ग़फ़लत न कीजिए।
इन लोगों ने जो काम किया है वह इतना बड़ा है कि दिखावा छोड़, अपनी अस्लियत पर उतर आया है अमरीका। दुनिया में अमरीका की फ़ज़ीहत हो गयी है, उसकी बातों को झुठलाया जा रहा है।
हम एहतियात और तकल्लुफ़ से काम लें और खुलकर यह बात न कहें या न कह सकें लेकिन दूसरे खुलकर यह बात कह रहे हैं कि ये वाक़ए जो दुनिया में फ़िलिस्तीन के हित में हो रहे हैं, उनमें से ज़्यादातर का स्रोत इस्लामी इंक़ेलाब की आत्मा और इस्लामी गणराज्य की आत्मा है।
सच्चाई बयान करने का मिशन, दुश्मन की चाल और उसकी कोशिशों को नाकाम बनाने वाला है। आप में से हर एक, एक ज़िम्मेदारी के तौर पर एक चेराग़ की तरह, एक प्रकाश की तरह अपने आस-पास के माहौल को रौशन कर दे।
क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की पीठ पर अमरीका जैसी एक बड़ी फ़ौजी, राजनैतिक और आर्थिक ताक़त, प्रतिरोध करने वाले एक गिरोह से लड़ रही है लेकिन वह उसे घुटने टेकने पर मजबूर न कर सकी। वे अपनी भड़ास आम लोगों पर निकाल रहे हैं।
सरकार के सामने मुख़्तलिफ़ मसलों में चुनौतियां हो सकती हैं, ऐसी स्थिति में संसद सरकार को भरपूर सहारा दे सकती है, सरकार के हाथ मज़बूत कर सकती है। स्ट्रैटेजिक ऐक्शन का क़ानून, संसद के बेहतरीन कामों में से एक था।