पहलवी दौर का ईरान, अमरीकी हितों का मज़बूत क़िला था। इस क़िले के गर्भ से इंक़ेलाब निकला और फैल गया। अमरीकी समझ नहीं पाए, अमरीकी धोखा खा गए, अमरीकी सोते रह गए, अमरीकी ग़ाफ़िल थे, अमरीका की अंदाज़े की ग़लती का मतलब यह है।
आज बुनियादी काम, हमारे प्रचारिक तंत्र का अहम काम साइबर स्पेस पर हमारे सरगर्म लोगों का बुनियादी काम यह है कि दुश्मन की ताक़त के भ्रम को चकनाचूर कर दें, जनमत पर दुश्मन के प्रचार का असर न होने दें।
यहया इब्राहीम हसन सिनवार की दास्तान, सिर्फ़ एक इंसान की दास्तान नहीं है। यह नाजायज़ क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ संघर्ष, प्रतिरोध और एक लड़ाई की दास्तान है जिसका दशकों से प्रभाव न सिर्फ़ पश्चिमी एशिया के इलाक़े बल्कि दुनिया पर पड़ा है। उन्होंने हिब्रू ज़बान भी सीखी, वह अपनी क़ौम और अपनी सरज़मीन के दुश्मनों को पहचानते थे और उनके आस-पास के लोग उनका सम्मान भी करते थे।
जो आख़िर में विजयी होगा, वह ईमान की ताक़त है और ईमान वाले हैं। लेबनान, रेज़िस्टेंस का प्रतीक है, वही विजयी होगा। यमन भी रेज़िस्टेंस का प्रतीक है, वही विजयी होगा।
सीला फ़सीह, ग़ज़ा में हाल में ठंड से शहीद होने वाली नवजात शिशु है। ग़ज़ा में सिर छिपाने की जगह न होने और ईंधन की कमी की वजह से बेघर होने वालों के पास ठंडक और गर्मी से बचाव का कोई साधन नहीं है।
सीरिया की जवान नस्ल को चाहिए कि इच्छा शक्ति से उन लोगों के मुक़ाबले में, जो इस अशांति के योजनाकार और इसे फैलाने वाले हैं, डट जाए और इंशाअल्लाह उन्हें हरा देगी।
यमन, हिज़्बुल्लाह, हमास और इस्लामी जेहाद हमारी प्रॉक्सी फ़ोर्स नहीं हैं। अगर हमें किसी दिन कोई क़दम उठाना पड़े तो हमें किसी प्रॉक्सी की ज़रूरत नहीं है।
अल्लाह ने अनेक आयाम से मर्द और औरत को एक जैसा रखा है। आत्मोत्थान के लेहाज़ में इनमें आपस में कोई अंतर नहीं है कि इसका नमूना हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा हैं। नेतृत्व की क्षमता के लेहाज़ से इनमें आपस में कोई अंतर नहीं है कि इसका नमूना हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा हैं।
हज़रत ज़हरा ने अपने दौर की हक़ीक़त को बयान किया। जो मसले उस दिन पेश आए, वे उस दौर के मसले थे। उन्हें हज़रत फ़ातेमा ने बयान किया। अपने दौर के मुद्दों को पेश करना, बहुत अहम फ़रीज़ा है।
अमरीकी अधिकारियों में से एक कह रहा है जो भी ईरान में उपद्रव करेगा हम उसकी मदद करेंगे। मूर्खों को बिल्ली की तरह ख़्वाब में छीछड़ा नज़र आ रहा है। ईरानी क़ौम उस शख़्स को जो इस संबंध में अमरीका का पिट्ठू बनना गवारा करेगा, अपने पैरों तले कुचल देगी।
ज़ायोनी सरकार अपने विचार में, ख़ुद को सीरिया के रास्ते हिज़्बुल्लाह की फ़ोर्सेज़ को घेरने और जड़ से उखाड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन जो उखड़ेगा वो इस्राईल है।
आज हमारे समाज को इस बात को समझने की ज़रूरत है कि घरेलू ख़ातून होने का क्या मतलब है? हज़रत फ़ातेमा ज़हरा, उस शान, उस रुतबे, उस मक़ाम और उस महानता के साथ ही घरेलू ख़ातून भी हैं। उनकी एक शान, उनका एक काम दांपत्य जीवन गुज़ारना है, मातृत्व की ज़िंदगी गुज़ारना है और घरेलू ख़ातून होना है, इन बातों को इस आयाम से देखना चाहिए।
हम गए, हमारी फ़ोर्सेज़ दो वजहों से इराक़ भी गयीं, सीरिया भी गयीं। एक, पाक़ीज़ा रौज़ों की रक्षा करना था। दूसरी वजह सुरक्षा का विषय था। अधिकारी बहुत जल्दी, वक़्त पर समझ गए कि अगर अशांति को वहीं पर रोका न गया तो यह फैलेगी, यहाँ हमारे विशाल मुल्क में अशांति फैल जाएगी।
जो कुछ सीरिया में हुआ वह अमरीका और ज़ायोनी शासन की एक संयुक्त साज़िश का नतीजा है। सीरिया के ख़िलाफ़ अस्ल षड्यंत्रकारी तत्व और मुख्य कमांड रूम अमरीका और ज़ायोनी सरकार में है।
रेज़िस्टेंस मोर्चा ऐसा हैः जितना उससे लड़िएगा, उतना ही उसका दायरा फैलता जाएगा। अल्लाह की ताक़त से, अल्लाह की इजाज़त से ईरान ताक़तवर है और इससे ज़्यादा ताक़तवर होता जाएगा।
शक मत कीजिए ऐसा ही होगा। अल्लाह की तौफ़ीक़ और ताक़त से अमरीका की स्थिति मज़बूत नहीं होगी, अमरीका भी रेज़िस्टेंस मोर्चे के हाथों क्षेत्र से बाहर खदेड़ दिया जाएगा।
चूंकि उसके सामने बंद गली नहीं है, इसी वजह से, इन्हीं दलीलों की वजह से एक बसीज को इस बात का यक़ीन है कि आख़िरकार एक दिन वह ज़ायोनी शासन को निश्चित तौर पर उखाड़ फेंकेगा।
मैं आज यह बात कह रहा हूं कि रेज़िस्टेंस मोर्चे का दायरा आज जितना है, कल उसका दायरा कई गुना ज़्यादा फैल जाएगा। ये मूर्ख अपने हाथों से रेज़िस्टेंस मोर्चे का दायरा बढ़ा रहे हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सलाहकार डाक्टर लारीजानी के इंटरव्यू का ख़ुलासाः हिज़्बुल्लाह की मौजूदा ताक़त की अतीत से तुलना नहीं की जा सकती। इन्होंने अभी तो अपने अहम हथियारों को इस्तेमाल ही नहीं किया है और मेरे ख़्याल में अगर इस्तेमाल करे तो स्थिति बहुत बदल जाएगी। शायद उन्हें यह बात समझ में आ गयी जभी तो जल्द संघर्ष विराम की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सलाहकार डाक्टर लारीजानी के इंटरव्यू का ख़ुलासाः हिज़्बुल्लाह की दृढ़ता आशूरा के दिन जैसी है। उनका मनोबल बहुत ऊंचा है और वे भविष्य की ओर से आशावान भी हैं। यह दृढ़ता और आप्रेशन में यह बहादुरी इन्हें कामयाब करेगी।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सलाहकार डाक्टर लारीजानी के इंटरव्यू का ख़ुलासाः वे लोग सोच रहे थे कि कामयाब हो गए हैं और हिज़्बुल्लाह का काम तमाम हो गया है। 12-13 दिन गुज़रने के बाद, स्थिति बदल गयी। उसके बात तो वे लोग ख़ुद ही संघर्ष विराम के लिए हाथ पैर जोड़ने लगे। फिर प्रस्ताव तैयार हुआ। उससे पहले जो भी प्रस्ताव दिया जाता, उसे रद्द कर देते थे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के सलाहकार डाक्टर लारीजानी के इंटरव्यू का ख़ुलासाः हिज़्बुल्लाह ने आशूरा की तर्ज़ पर लड़ना शुरू किया जिससे स्थिति बदल गयी और पुराने कैडर की जगह नए लोगों ने संभाल ली।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार 20 नवम्बर 2024 को महिलाओं के मदरसे जामेअतुज़्ज़हरा के शिक्षकों और स्टूडेंट्स से तेहरान में मुलाक़ात में समाज के नए मसलों का जवाब देने के लिए मदरसों में बदलाव और अपटूडेट होने की ज़रूरत पर बल दिया।
बैरूत में ज़ायोनी शासन के पेजर हमलों के आतंकवादी कृत्य में घायल होने वाले ईरानी राजदूत जनाब मुजबता अमानी ने रविवार 17 नवंबर 2024 को तेहरान में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की, जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने उनका हाल-चाल पूछा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 30 दिसम्बर 2019 को फ़िक़्ह के दर्से ख़ारिज में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की आख़िरी बातचीत के बारे में एक हदीस की व्याख्या की।
सही मानी में एक रहनुमा, एक पैग़म्बर की तरह, पूरी इंसानियत की रहनुमा, इतने आला रुतबे पर सबसे पाकीज़ा हज़रत ज़हरा एक नौजवान महिला नज़र आती हैं। यह है इस्लाम के मद्देनज़र महिला।
यह संघर्ष जो बेहम्दिल्लाह आज पूरी ताक़त से जारी है लेबनान में भी, ग़ज़ा में और फ़िलिस्तीन में भी, इस संघर्ष के नतीजे में निश्चित तौर पर सत्य को कामयाबी, सत्य के मोर्चे को कामयाबी, रेज़िस्टेंस मोर्चे को कामयाबी मिलेगी।
साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ यही काम गांधी जी ने भारत में किया लेकिन मीरज़ाए शीराज़ी के 30 साल बाद, यानी इस बेनज़ीर साफ़्ट वार में इनोवेशन मीरज़ाए शीराज़ी ने पेश किया।
आक़ा मैं यह बताने आयी हूं कि हम्ज़ा जैसे बूट पहने हुए, ज़ीन कसे हुए, कांधे पर हथियार उठाए हुए तैयार हैं ताकि अपने मौला के हुक्म पर इस जाली और मनहूस शासन को भुगोल के नक़्शे से हमेशा के लिए मिटा दें।