ऐ अबूज़र! अल्लाह की इस तरह इबादत करो मानो तुम उसे आँखों से देख रहे हो, जान लो कि अल्लाह की इबादत का पहला स्तंभ ये है कि उसकी पाक हस्ती की पहचान हासिल करो, उसकी मारेफ़त पैदा करो।
इस वक़्त ग़ज़ा में जो हो रहा है दोनों तरफ़ से अपनी इंतेहा को पहुंचा हुआ है। अपराध और वहशीपन के लेहाज़ से भी और ग़जा के अवाम के बेमिसाल सब्र के एतेबार से भी।
अपनी नौजवानी की क़द्र करें। हमारी जो मसरूफ़ियतें हैं, वो आम तौर पर सांसारिक फ़ायदों से जुड़ी हैं। हमें पूरे दिन में अल्लाह से अकेले में बात करने का मौक़ा नहीं मिलता, उन हस्तियों की बात अलग है जो हमेशा हालते नमाज़ में रहती हैं।
सरकारों, देशों और क़ौमों से हमारा कोई विवाद नहीं है। हमारा विरोध ज़ुल्म, अतिक्रमण और साम्राज्यवाद से है। हमारा विरोध उन घटनाओं पर है जो आप ग़ज़ा में देख रहे हैं।
ज़ैतून का पेड़ लगाने का मक़सद फ़िलिस्तीन के अवाम से एकजुटता और हमदिली का इज़हार है कि वह जगह ज़ैतून का केन्द्र है और हम दूर से इन मज़लूम, प्यारे और संघर्षशील अवाम को सलाम करना चाहते हैं और कहना चाहते हैं कि हम हर तरह से आपको याद करते हैं। जैसे यही कि आपकी याद में ज़ैतून का पेड़ लगाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
5 मार्च 2024
फ़िलिस्तीनियों के लिए ज़ैतून आर्थिक पहलू के साथ ही एक प्रतीक भी है। रेज़िस्टेंस का प्रतीक, संयम का प्रतीक और उस सरज़मीन से जुड़ाव का प्रतीक जिसका नाम फ़िलिस्तीन है।
अमरीका की अमानवीय नीतियां इतनी शर्मनाक हो चुकी हैं कि आपने सुना ही होगा कि एक अमरीकी फ़ौजी अफ़सर ने आत्मदाह कर लिया। इसका मतलब यह है कि इस कलचर में पलने वाले नौजवान के लिए भी यह बात बर्दाश्त के बाहर है।
इमाम ख़ामेनेई
28 फ़रवरी 2024
क़ुरआन कहता है किः “वो काफ़िरों पर कठोर और आपस में मेहरबान हैं।” क्या अमल में यह कठोरता दुष्ट ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ दिखाई जाती है? आज इस्लामी दुनिया के बड़े दर्द यह हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
क्या हम देख रहे हैं कि इस्लामी देशों के शासक और इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआन की शिक्षाओं और क़ुरआनी मारेफ़त के मुताबिक़ अमल कर रहे हैं?
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
एक बार इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा कि ये जो दुआएं हैं। इनमें आप किस दुआ को ज़्यादा पसंद करते हैं या किस दुआ से ज़्यादा लगाव है? उन्होंने कुछ लम्हें सोचा और फिर जवाब दिया कि दुआए कुमैल और मुनाजाते शाबानिया।
इमाम ख़ामेनेई
अल्लाह, हज़रत अली अकबर के सदक़े में आप नौजवानों की रक्षा करे इंशाअल्लाह आपको इस्लाम के लिए बचाए रखे और साबित क़दम रखे। नौजवान ध्यान दें कि वो सीधे रास्ते को पहचान सकते हैं।
तबरेज़ के 18 फ़रवरी 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के हज़ारों लोगों ने आज रविवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की पैदाइश का दिन अज़ीम दिन है। तीन शाबान की महानता को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की महानता की एक झलक के तौर पर देखने की ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई
12 जून 2013
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि पूरे इतिहास में इंसानियत के लिए दुनिया में होने वाला सबसे मुबारक और सबसे अज़ीम वाक़या नबी-ए-अकरम की बेसत है। उन्होंने कहा कि ग़ज़ा के मसले में सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि ज़ायोनी शासन को राजनैतिक, प्रचारिक, हथियारों और इस्तेमाल की चीज़ों की मदद रोक दें। क़ौमों की ज़िम्मेदारी इस बड़ी ज़िम्मेदारी को अंजाम देने के लिए सरकारों पर दबाव डालना है।
यह मुसीबत इस्लामी जगत की मुसीबत है बल्कि इससे भी बड़ी यह इन्सानियत की मुसीबत है। यह इस बात की ओर इशारा करती है कि मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर, कितना नाकारा सिस्टम है।
अहम हस्तियों, ओलमा, बुद्धिजीवियों, नेताओं और पत्रकारों की ज़िम्मेदारी है कि अवामी सतह पर मुतालबा पैदा करें कि सरकारें ज़ालिम ज़ायोनी सरकार पर ज़ोरदार वार करें।
इमाम ख़ामेनेई
5 फ़रवरी 2024
वायु सेना और आर्मी के एयर डिफ़ेंस डिपार्टमेंट के कमांडरों की इस्लामी क्रांति के नेता से मुलाक़ात, इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयतुल्लाह ख़ामेनेई का प्रवेश, क़ौमी तराना पढ़ा गया।
5 फ़रवरी 2024
रज़ब का महीना, दुआ का महीना है, तवस्सुल का महीना है। अल्लाह का शुक्र है कि चौदह मासूमों की ओर से इस महीने में जो विश्वसनीय दुआएं आयी हैं वो बहुत अच्छी और उच्च अर्थों वाली दुआएं हैं। इन्शाअल्लाह, इनसे फ़ायदा उठाया जाए।
हमारी सोचने की शक्ति की इतनी बुलंद उड़ान नहीं है, वह हिम्मत और हौसला नहीं है कि हम यह कह सकें कि इस महान हस्ती की जीवनशैली हमारा आदर्श है। हमारी यह हैसियत नहीं। लेकिन बहरहाल हमारे क़दम उसी दिशा में बढ़ें जिस दिशा में हज़रत ज़ैनब के क़दम बढ़े हैं। हमारा मक़सद इस्लाम का गौरव होना चाहिए, इस्लामी समाज की गरिमा होना चाहिए, इंसान की प्रतिष्ठा होना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
20 नवम्बर 2013
हज़रत अली (अ.स.) की शख़्सियत वह है कि अगर आप शिया हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, अगर सुन्नी हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, मुसलमान नहीं हैं तब भी अगर आप इस हस्ती से वाक़िफ़ हैं और उनकी ज़िंदगी के हालात से आगाही रखते हैं तो उनका एहतेराम करेंगे।
इमाम ख़ामेनेई
20 सितम्बर 2016
यमनी क़ौम और अंसारुल्लाह की सरकार ने ग़ज़ा के अवाम के सपोर्ट में जो काम किया वो सचमुच क़ाबिले तारीफ़ है। उन्होंने ज़ायोनी सरकार की जीवन की नसों पर वार किया, अमरीका ने धमकी दी और वो अमरीका से नहीं डरे।
ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के लोगों के बारे में दुनिया के लोग दो बातों को मानते हैं। एक ये कि ये मज़लूम हैं, दूसरे ये कि ये फ़ातेह हैं। इसे पूरी दुनिया मानती है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने जो आंकड़े पेश किए हैं उनके अनुसार सन 2010 से 2019 के बीच ज़ायोनी कॉलोनियों में रहने वालों ने 2955 हमले किए। इनमें 22 फ़िलिस्तीनी शहीद और 1258 घायल हुए।
तीन महीने से ज़ायोनी सरकार जुर्म कर रही है। इतिहास इन अपराधों को भूलेगा नहीं, अल्लाह की मदद से ज़ायोनी सरकार के अंत, उसके विनाश और ज़मीन से उसका वजूद मिट जाने के बाद भी ये जुर्म भुलाए नहीं जाएंगे।
क़ुम के हज़ारों लोगों ने इमाम ख़ुमैनी के समर्थन में 9 जनवरी 1978 को किए जाने वाले आंदोलन की सालगिरह के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
1973 की जंग में रिचर्ड निक्सन की ओर से इस्राईल को दी गयी मदद, बाइडन की ओर से इस्राईल की दो जाने वाली मदद की तुलना में कुछ नहीं है। अमरीकी राष्ट्रपति ईसाई धर्म और कैथोलिक मत को मानने का सिर्फ़ दिखावा कर रहे हैं, ज़ायोनीवाद उनका असली मत है।
ग़ज़ा के वाक़ए में अमरीका रुसवा हो गया, पश्चिमी सभ्यता का असली चेहरा सामने आ गया। फ़िलिस्तीनी क़ौम ने पश्चिम को, अमरीका को, मानवाधिकार के झूठे दावों को रुसवा कर दिया। वाइट हाउस की असलियत सामने आ गई, अमरीका और ब्रिटेन की सरकार का असली चेहरा सामने आ गया।