इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने तबरेज़ के अवाम के 18 फ़रवरी सन 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन की बरसी के मौक़े पर पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के हज़ारों लोगों से सोमवार 17 फ़रवरी 2025 को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की। उन्होंने इस मुलाक़ात में तबरेज़ की आज की जवान पीढ़ी के ईमान और जज़्बे को 18 फ़रवरी सन 1978 के आंदोलनकारियों की मीरास बताया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने उन समीक्षाओं को ग़लत बताया जिनमें यह कहा गया है कि ईरानी क़ौम ने ख़ुद से अपने लिए दुश्मन बनाए हैं। उन्होंने कहा कि निर्दयी अमरीका के राजनैतिक तंत्र की दुश्मनी की वजह "अमरीका मुर्दाबाद" कहना नहीं है, बल्कि इसकी जड़ इस हक़ीक़त में है कि ईरान अपने अवाम की हिम्मत और बलिदान से साम्राज्यवादियों के चंगुल से निकल आया और उनके दबाव में नहीं आया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अमरीकियों की धमकी भरी बातों और क़ब्ज़ा करने या मुल्कों के कुछ भाग को अपना बताने के मुतालबों को साम्राज्यवाद और ज़ायोनीवाद के जटिल नेटवर्क की घिनौनी, हिंसक, लूटेरी और वर्चस्ववादी अस्लियत का एक रूप बताया और कहा कि वे इस हक़ीक़त को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि ईरानी क़ौम ने अपने पांव पर खड़े होकर उनके ज़ुल्म और और हमलों का विरोध करते हुए एक ऐसी सरकार बनायी है जो 46 साल बीतने के बाद भी दिन ब दिन अधिक ताक़तवर हो गयी है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने हार्डवेयर धमकियों के मुक़ाबले में ईरान की रक्षा क्षमता को बहुत आला स्तर का बताया और कहा कि हमारे दोस्त और दुश्मन भी इस सच्चाई को जानते हैं और क़ौम भी इस लेहाज़ से सुरक्षा का आभास करती है, इसलिए आज हमारी समस्या दुश्मन के हार्डवेयर ख़तरे नहीं बल्कि सॉफ़्टवेयर ख़तरे हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने साफ़्टवेयर ख़तरों का अर्थ अवाम की सोच में हेराफेरी और "इस्लामी इंक़ेलाब की मूल नीतियों और दुश्मन के मुक़ाबले में डटने की ज़रूरत" के संबंध में संदेह पैदा करना बताया और कहा कि दुश्मन इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ईरानी क़ौम को क़ाबू करने और इस्लामी गणराज्य को उसकी मज़बूत स्थिति से पीछे ढकेलने की राह, साफ़्ट ख़तरों का उपयोग है कि जिसमें अबतक वे सफल नहीं हुए हैं और अपने भ्रामक विचारों से ईरानी क़ौम और जवान नस्ल को उसके इरादे और कोशिश से नहीं रोक पाए हैं।
उन्होंने इस साल 22 बहमन बराबर 10 फ़रवरी की रैलियों को सॉफ़्ट धमकियों के प्रभावी न होने की स्पष्ट निशानी बताया और कहा कि इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी के 46 साल बाद अवाम का बड़ी संख्या में इन रैलियों में इस शान से भाग लेना दुनिया में बेमिसाल है और लोगों ने दिखा दिया कि उनकी मुश्किलें और जायज़ अपेक्षाएं, इंक़ेलाब की रक्षा में हाज़िर होने से उन्हें नहीं रोक सकतीं।
उन्होंने मौजूदा हालात में सॉफ़्टवेयर रक्षा को हार्डवेयर रक्षा से ज़्यादा अहम बताया और इसकी अहमियत के उल्लेख में कहा कि हार्डवेयर रक्षा में कमी को सॉफ़्टवेयर रक्षा से पूरा किया जा सकते हैं जैसा कि अब तक कई बार यह हो चुका है लेकिन सॉफ़्टवेयर समस्याओं को हार्डवेयर उपकरणों से दूर नहीं किया जा सकता।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने साफ़्ट डिफ़ेंस को मज़बूत बनाने के लिए जवान नस्ल से इंक़ेलाब के विचारों, उसकी ख़ुसूसियतों और महान इमाम ख़ुमैनी के बयानों से लगाव पैदा करने की सिफ़ारिश की और कहा कि हमारा इंक़ेलाब सही मानी में प्रकाश के अंधकार और सत्य के असत्य के ख़िलाफ़ संघर्ष और ईरानी क़ौम के उत्थान, उसके भविष्य को उज्जवल बनाने और राष्ट्रीय पहचान को दर्शाने के लिए रहा है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इंक़ेलाब के लक्ष्यों को हासिल करने के रास्ते में मिलने वाली तरक़्क़ी की ओर इशारा किया और कहा कि इंक़ेलाब ख़ुद को एक स्वाधीन पहचान के रूप में, क्षेत्र की क़ौमों यहाँ तक कि क्षेत्र से बाहर की क़ौमों के लिए एक महान और उम्मीद देने वाली बेस के तौर पर बाक़ी रख सका और दुनिया के साम्राज्यवादी, दुनिया के उपनिवेशक और दुष्ट तत्वों की इस्लामी गणराज्य से क्रोधित होने वजह इस्लामी गणराज्य का बाक़ी रहना, डटे रहना और उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने की हिम्मत दिखा पाना है।
उन्होंने अपनी स्पीच के दूसरे भाग में आज़रबाइजान और तबरेज़ को विदेशियों के हमलों के ख़िलाफ़ एक मज़बूत बांध से उपमा दी और कहा कि तबरेज़ वालों ने अनेक मौक़ों पर अपने धैर्य, दृढ़ता और ईमान से दुश्मन को भागने पर मजबूर कर दिया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्लामी ईमान और धार्मिक ग़ैरत को तबरेज़ के अवाम के 18 फ़रवरी सन 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन के वुजूद में आने के दो अहम तत्व बताया और कहा कि इस आंदोलन की महानता सिर्फ़ यह नहीं है कि इसने भ्रष्ट शासन को सड़कों पर टैंक लाने पर मजबूर कर दिया बल्कि उस घटना की महानता इस बात में है कि यह पूरी क़ौम के लिए आदर्श बन गयी और मुख़्तलिफ़ शहरों के अवाम को संघर्ष के मैदान में ले आयी।