20 नवम्बर को "राष्ट्रीय नायक" दिवस और रेज़िस्टेंस मोर्चे की फ़तह तथा दाइश के ख़ात्मे की सालगिरह के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब कल्चरल रिसर्च सेंटर ने एक समारोह में रेज़िस्टेंस मोर्चे के तीन शहीदों की जीवनी पर आधारित किताबों का इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के रिव्यू के साथ लोकार्पण किया।इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का रिव्यू इस प्रकार हैः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का 'मजीद बरबरी' नामक किताब पर रिव्यू
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने, कुब्रा ख़ुदाबख़्श दहक़ी के क़लम से, रौज़े की रक्षा करने वाले आज़ाद स्वभाव शहीद मजीद क़ुरबान ख़ानी की ज़िंदगी के बारे में लिखी गयी किताब पर, रिव्यू लिखा है।
रिव्यू
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
हम यहाँ पाक फ़ितरत, पाकीज़ा दिल, दीन दुखियों की सेवा करने वाला एक इंसान देखते हैं कि इमाम हुसैन के सूरज के समान चमकते वजूद की एक किरन, उन्हें जेहाद और शहादत के पाकीज़ा रास्ते की ओर ले जाती है और उन्हें कमाल पर पहुंचाती है। मजीद क़ुरबान ख़ानी पर क़ुरआन की यह आयतः "तो जब अल्लाह किसी को हिदायत बख़्शने का इरादा करता है तो उसके सीने को इस्लाम के लिए खोल देता है...।"(सूरए अनआम, आयत-125) वह इस कमाल के लायक़ थे, वह पाक दिल और बलिदानी आत्मा के स्वामी थे, उनमें यह क्षमता थी...उन्हें मुबारक हो और अल्लाह हमें उनसे मिला दे इंशाअल्लाह।
जुलाई 2023
मैंने इस अज़ीज़ शहीद के घरवालों से यहाँ मुलाक़ात की।
किताब पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का रिव्यू
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 'बीस्त साल-व-से रूज़' नामक किताब पर रिव्यू लिखा है जो शहीद मुस्तफ़ा मूसवी की ज़िंदगी पर समाना ख़ाकबाज़ान द्वारा लिखी गयी है।
रिव्यू
अल्लाह के नाम से
यह जीवनी मुझ जैसों को रश्क और हसरत में डाल देती है। इस जवान और इसके जैसों का पाकीज़ा दिल हम जैसों को हैरत में डाल देता है और उस अंधकार की ओर ध्यान ले जाता है जिसमें हम घिरे हुए हैं। उस नजात दिलाने वाली भावना को सलाम जो सैयद मुस्तफ़ा जैसों को ऐसी ऊंचाई पर पहुंचाती है और उस सब्र व भरोसे को सलाम जो ऐसी संतान को खोने पर माँ बाप को सुकून देता है। अल्लाह का शुक्र कि हम ऐसे लोगों के दौर में ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।
जून 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का किताब पर रिव्यू
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 'हवा तो दारम' नामक किताब पर रिव्यू लिखा है जो रौज़े की रक्षा करने वाले शहीद इंजीनियर मुर्तज़ा अब्दुल्लाही की ज़िंदगी पर, मोहम्मद रसूल मुल्ला हसनी के हाथों लिखी गयी है।
रिव्यू
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
यह भी इंक़ेलाब के फलों में से हैः इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक का विवेक और 1980 के दशक के जज़्बात रखने वाला बहादुर जवान...जो "अच्छे और पाकीज़ा कलाम उसकी तरफ़ बुलंद होते हैं और नेक अमल उन्हें बुलंदी प्रदान करता है...।" (सूरए फ़ातिर, आयत-10) की मिसाल है...बेहतरीन राह में जेहाद और बेहतरीन अंजाम... नेमत पाने वालों को उनकी नेमत मुबरक हो...रवायत करने वाली (शहीद की बीवी) का सब्र और मारेफ़त तारीफ़ के क़ाबिल है...अज़ीज़ और सरबुलंद रहें।
23 जून 2023
किताब अच्छी तरह लिखी गयी है और जज़्बात के इज़हार के मौक़े बहुत प्रभावी हैं और ख़ास तौर पर प्रस्तावना की आख़िरी कुछ लाइनें बहुत अच्छी हैं।