फ़िलिस्तीन का मामला किसी भी तरह से एक ख़त्म हो चुका मामला नहीं है। ऐसा नहीं है जो आप लोग सोच रहे हैं कि फ़िलिस्तीनियों को, (हड़पी गई) ज़मीनों के मालिकों को, ख़ुद उन्हें भी और उनके बच्चों को अपने वतन से हमेशा बाहर रहना होगा या अगर वे इस भूमि में रह रहे हैं तो अल्पसंख्यक के रूप में ज़ुल्म सहते हुए ज़िंदगी गुज़ारनी होगी और अवैध क़ब्ज़ा करने वाले बाहरी तत्व हमेशा इस स्थान पर रहेंगे तो ऐसा नहीं है। ऐसे देश भी हैं जो सौ बरसों तक किसी शक्ति के नियंत्रण में थे। यह किर्ग़ेज़िस्तान है जिसे आप आज देख रहे हैं और यही जॉर्जिया है जिसे आप आज देख रहे हैं, मध्य एशिया के कुछ अन्य देश, जिन्होंने कुछ समय पहले ही स्वाधीनता हासिल की है, इनमें कुछ सोवियत संघ के कब्ज़े में थे और कुछ सोवियत संघ के गठन से पहले रूस के नियंत्रण में थे, उस समय तक सोवियत संघ भी अस्तित्व में नहीं आया था। ये सभी एक बार फिर स्वाधीन हो गए और अपने मूल निवासियों के अधिकार में लौट आये। इसलिए यह कोई असंभव बात नहीं है और निश्चित रूप से यह हो कर रहेगा और अल्लाह ने चाहा तो ऐसा ज़रूर होगा और फ़िलिस्तीन, फ़िलिस्तीनी जनता को वापस मिल कर रहेगा।

इमाम ख़ामेनेई

31 दिसम्बर 1999