यही न्याय का विषय, आज़ादी का विषय, इंसानी इज़्ज़त व मर्यादा का विषय, ये बातें जो आज दुनिया में प्रचलित हैं, पैग़म्बरों की बातें हैं। अल्लाह की ओर बुलाने वालों का यह सिलसिला आज भी जारी है और हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का पाक वजूद अल्लाह की ओर बुलाने वाले सिलसिले की कड़ी है, जैसा कि ज़ियारत आले यासीन में आप कहते हैं: “सलाम हो आप पर हे अल्लाह की ओर बुलाने वाले और उसकी आयतों के आत्मज्ञानी” यानी आज आप वही इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दावत, वही मूसा अलैहिस्सलाम की दावत, वही ईसा अलैहिस्सलाम की दावत, वही सभी पैग़म्बरों की दावत, वही सभी औलियाओं और ख़ुद आख़िरी पैग़म्बर की दावत, इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वजूद में मुजस्सम देखते हैं। इमाम ख़ामेनेई 20/09/2005
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