मुख़्तलिफ़ ज़ियारतों में मौजूद तवस्सुल जो आप देख रहे हैं, जिनमें से कुछ का रिफ़्रेन्स बहुत अच्छा है, ये बहुत क़ीमती हैं। दूर से ऐसी महान हस्ती से तवस्सुल, ध्यान और लगाव। इस तवस्सुल (और वंदना) को इमाम सुनते हैं और इंशा अल्लाह क़ुबूल फ़रमाएंगे। अगरचे हम अपने मुख़ातब से दूर से बात कर रहे हैं, लेकिन कोई बात नहीं। अल्लाह, सलाम करने वालों का सलाम और संदेश देने वालों का संदेश उन तक पहुंचाता है, यह तवस्सुल और आत्मिक लगाव बहुत अहम व ज़रूरी है।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011