मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि कोई बात कही जाए, किसी पर टिप्पणी की जाए, नहीं! एक आदमी टिप्पणी करता है और दूसरा उसका जवाब देता है। मुझे समाज में नाइंसाफ़ी के रवैये के आम हो जाने को लेकर चिंता है। अनगिनत काम होते हैं, इंसान सबको दरकिनार करके एक ही बात पर अटक जाता है, ये सही नहीं है। अलबत्ता ये बात सभी के लिए कही जा रही है। हम ये बात किसी ख़ास इंसान, किसी ख़ास ग्रुप, किसी ख़ास धड़े से नहीं कह रहे हैं, ये हम सभी से कह रहे हैं। सभी इस बात की तरफ़ से चौकन्ना रहें कि एक दूसरे की इमेज ख़राब न करें। इमेज बिगाड़ने का ये माहौल, अच्छा माहौल नहीं है। अवाम को भी अच्छा नहीं लगता। अगर आप सोचते हैं कि आप बैठ कर किसी अधिकारी या किसी धड़े की निंदा करेंगे तो लोगों को मज़ा आएगा और वो ख़ुश होंगे तो ये आपकी ग़लत फ़हमी है। लोगों को इमेज बिगाड़ने का माहौल अच्छा नहीं लगता।

इमाम ख़ामेनेई

19 सितम्बर 2008