शिया मत में पाए जाने वाले इस अक़ीदे की सबसे बड़ी ख़ासियत, उम्मीद पैदा करना है। शिया समाज सिर्फ़ अतीत में अपने इतिहास के अहम कारनामों पर निर्भर नहीं है बल्कि उसकी नज़र भविष्य पर है। शिया आस्थाओं के मुताबिक़ महदवीयत पर अक़ीदा रखने वाला इंसान अत्यंत कठिन हालात में भी अपने दिल को आशा से ख़ाली नहीं समझता और उम्मीद हमेशा बनी रहती है। वो जानता है कि अंधेरे का ये दौर, ये अत्याचार का ज़माना और असत्य के वर्चस्व का ये सिलसिला निश्चित रूप से ख़त्म हो जाएगा। ये इस अक़ीदे का एक अत्यंत अहम नतीजा और कारनामा है। अलबत्ता महदवीयत के बरे में शिया मत का अक़ीदा यहीं तक सीमित नहीं हैः उन्हीं की बरकत से लोगों को रोज़ी दी जाती है और उन्हीं के वुजूद से ज़मीन और आसमान क़ायम हैं। (मफ़ातीहुल जेनान, पेज नंबर 422) महदवीयत पर अक़ीदे का मामला कुछ इस तरह का है। ये रौशनी बिखेरने वाला नूर और अंधेरों में उजाला फैलाने वाली रौशनी अतीत में शिया समाजों में हर काल में मौजूद रहा है और हमेशा मौजूद रहेगा। इंशा अल्लाह, इंतेज़ार करने वालों के इंतेज़ार की घड़ियां ख़त्म होंगी।

 

इमाम ख़ामेनेई

3/6/2015