हिजरी शम्सी कैलेंडर के नए साल 1401 के आगाज़ पर इस्लामी क्रांति के लीडर का पैग़ामे नौरोज़ (19 मार्च 2022)
बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम
सारी तारीफ़ें कायनात के पैदा करने वाले अल्लाह के लिए हैं और दुरूद व सलाम हो पैग़म्बर मुहम्मद और उनके पवित्र परिजनों ख़ास तौर पर इमाम महदी पर।
हे दिलों व निगाहों को बदलने वाले! हे रात व दिन का संचालन करने वाले! हे साल और परिस्थितियों को बदलने वाले! हमारी स्थिति को बेहतरीन स्थिति में बदल दे।
ईद-ए-नौरोज़, नए साल, नई प्रकृति, नए दिन और नए दौर की शुरुआत की मुबारकबाद पेश करता हूं जो इस साल वुजूद की दुनिया के चमकते सूरज हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम से जुड़ी पंद्रह शाबान की तारीख़ के अवसर पर हुई है।
महान ईरानी क़ौम और समान सोच और जज़्बा रखने वाली सभी क़ौमों को मुबारकबाद पेश करता हूं।
ख़ास तौर पर मुबारकबाद पेश करता हूं शहीदों के मोहतरम, संयमशील और मूल्यवान परिवारों को। इंशाअल्लाह परवरदिगार ईरानी क़ौम के सिर पर इन परिवारों की छाया क़ायम रखे। इसी तरह जंगों में घायल हो जाने वाले अज़ीज़ों और उनके संयमी परिवारों, पूर्व सिपाहियों और अलग अलग मैदानों जैसे चिकित्सा के मैदान, सुरक्षा के मैदान, प्रतिरोध के मैदान और विज्ञान के मैदान में ईरानी क़ौम की दिल से ख़िदमत करने वालों, इन सभी अज़ीज़ों को इस मधुर दिन और बड़ी ईद की मुबारकबाद पेश करता हूं।
एक साल और गुज़ार गया। सन 1400 (21 मार्च 2021-20 मार्च 2022) भी अपनी तमाम कड़वी और मधुर घटनाओं और उतार चढ़ाव के साथ जो ज़िंदगी में स्वाभाविक हैं, ख़त्म हुआ। ज़िंदगी इसी उतार चढ़ाव, मधुर और कड़वी घटनाओं का संग्रह है। ईरानी क़ौम की चंद महत्वपूर्ण घटनाओं, कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तनों और कुछ मधुर विषयों की तरफ़ इशारा करना चाहूंगा जिनमें सबसे महत्वपूर्ण, चुनावों का विषय था। चुनाव वाक़ई बहुत अहम थे, बड़ा विषय था। सन 1400 की शुरुआत में व्यापक बीमारी, कोरोना की बीमारी की शिद्दत के समय लोग पोलिंग स्टेशनों पर पहुंचे और अपना वोट डाला। यह बहुत बड़ी बात है। उन हालात में दो लोगों का भी एक जगह जमा होना ख़तरनाक था, उन दिनों रोज़ाना सैकड़ों लोगों, शायद पांच सौ, छह सौ या इससे भी ज़्यादा की जानें जा रही थीं। इस तरह के हालात में चुनाव हुए। अवाम ने शिरकत की और ताज़ा दम सरकार बन गई जो लक्षणों से यही लगता है कि अवामी, जनता के कामों और लक्ष्यों से गहरा लगाव रखने वाली और पिछली माननीय सरकार से अलग डगर पर चलने वाली सरकार है। इसने अलहम्दो लिल्लाह अवाम के दिलों में उम्मीद की किरण जगाई है। यह ईरानी क़ौम की एक बड़ी घटना है।
एक और विषय कोरोना की महामारी का गंभीरता से मुक़ाबला था। वाक़ई सही अर्थों में संघर्ष हुआ, मुक़ाबला किया गया। इस ख़तरनाक बीमारी से होने वाली मौतें रोज़ाना कई सौ की दर से घटकर एक ज़माने में तो 20 तक और 18 तक पहुंच गईं। अलबत्ता यह दर फिर बढ़ गई है। लेकिन आज के हालात जब अलहम्दो लिल्लाह सबके लिए वैक्सीन मुहैया है, और उन दिनों के हालात में बहुत बड़ा फ़र्क़ है।
एक और बड़ा विषय साइंस व टेक्नालोजी के मैदान में प्रगति थी। कई प्रकार के वैक्सीन का प्रोडक्शन जिनमें कुछ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी मिली, इसी तरह वैक्सीन के निर्माण से लेकर सैटेलाइट के निर्मण तक साइंस व टेक्नालोजी के मैदान में कई बड़े कारनामे हुए, देश ने अलहम्दो लिल्लाह हर दिशा में बड़े अहम काम अंजाम दिए। यह सन 1400 की बड़ी उपलब्धियां हैं। मुल्क में इसके अलावा भी अनेक घटनाएं हुईं, कुछ दूसरे मधुर बदलाव भी आए।
विश्व स्तर पर भी यही स्थिति रही। सन 1400 की एक मधुर घटना यह थी कि अमरीकियों ने हाल ही में इक़रार किया कि हमें ईरान के ख़िलाफ़ अधिकतम दबाव की नीति में शर्मनाक शिकस्त हुई। शर्मनाक शिकस्त का लफ़्ज़ ख़ुद अमरीकियों का है। यह बड़ी घटना है। ईरानी क़ौम को फ़तह मिली। ईरानी क़ौम को कामयाबी हासिल हुई। कोई भी व्यक्ति अकेले इसका श्रेय नहीं ले सकता। पूरी ईरानी क़ौम के प्रतिरोध के नतीजे में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। दूसरी भी कई घटनाएं हुईं, हमारे क़रीब के इलाक़ों में भी और दूरदराज़ के इलाक़ों में भी जिनसे यह साबित हो गया कि साम्राज्यवाद के मुक़ाबले में ईरानी क़ौम जिस रास्ते पर चल रही है वह बिल्कुल दुरुस्त है। यह मधुर घटनाएं थीं।
कुछ कड़वे अनुभव भी हुए। इनमें सबसे कठोर और सबसे अहम चीज़ के बारे में आपको बताना चाहता हूं, वह है जनता की आर्थिक तंगी, महंगाई, बढ़ी हुई मुद्रास्फ़ीति, यह सारी चीज़ें हैं। इनका ज़रूर हल निकालना चाहिए। इन चीज़ों को हल करना संभव भी है। आर्थिक समस्याएं हैं और हमें आशा है कि इस साल इनमें से कुछ का हल निकल आएगा।
यह सारी मुश्किलें अचानक एक साथ हल नहीं होंगी। धीरे धीरे हल होंगी। यह हक़ीक़त पसंदी के ख़िलाफ़ है कि इंसान जल्दबाज़ी करने लगे और कहे कि जी नहीं, अभी फ़ौरन! मगर हम उम्मीद करते हैं कि इंशाअल्लाह इनमें से कुछ, सन 1401 में जो नई सदी, हिजरी शम्सी कैलेंडर की पंद्रहवी सदी का पहला साल भी है, इंशाअल्लाह हल हो जाएंगी।
पिछले बरसों में हम ने हर साल के नारे के तौर पर एक विषय चुना। मक़सद यह था कि अधिकारी, बुनियादी तौर सरकार और फिर उसके बाद संसद और न्यायपालिक, इसी तरह जहां मसला ख़ुद अवाम से जुड़ा हुआ हो वहां अवाम, इसी ख़ास लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ें। कुछ बरसों में इस मैदान में अच्छी कामयाबियां हासिल हुईं। अलबत्ता कुछ बरसों में कुछ जगहों पर कोताही भी हुई। सन 1400 में हमने पैदावार, समर्थन और रुकावटों के निवारण को विषय बनाया। अपेक्षाकृत रूप से अच्छे काम भी हुए जो अब भी जारी हैं और आगे भी जारी रहना चाहिए। इन बरसों में मैंने साल के नारे के लिए बुनियादी तौर पर “पैदावार” को किसी शर्त या ख़ासियत के साथ केन्द्र में रखा। वजह यह है कि पैदावार देश की आर्थिक मुश्किलों के हल की कुंजी है। पैदावार दरअस्ल देश के लिए आर्थिक कठिनाइयों और दुश्वारियों से बाहर निकलने का असली रास्ता है। यानी देश के अहम आर्थिक मसलों को पैदावार का विषय, क़ौमी पैदावार का चलन और क़ौमी पैदावार का विकास हल कर सकता है। पैदावार का स्वभाव यही है। इसीलिए हमने पैदावार के विषय पर ख़ास ताकीद की। इससे आर्थिक विकास भी बढ़ता है, रोज़गार पैदा होता है, इनफ़्लेशन में कमी आती है, प्रति व्यक्ति आमदनी बढ़ती है, आम हालात में भी बेहतरी आती है। इसके अलावा इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव हैं। इससे क़ौमी आत्मविश्वास बढ़ता है, क़ौम के भीतर गरिमा का एहसास पैदा होता है। पैदावार इस तरह की अकसीर है। अगर इंशाअल्लाह बेहतरीन रूप में अंजाम पा जाए तो पैदावार इस तरह की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसीलिए हमने इन बरसों में पैदावार के विषय पर इतनी ताकीद की जिसका असर भी हुआ। अलहम्दो लिल्लाह बहुत अच्छा असर हुआ। मैं इस साल भी पैदावार के विषय को सामने रखना चाहता हूं। मगर पैदावार की नई शक्ल और नए रूप को पेश करना चाहता हूं। मेरी मुराद वह पैदावार है जिसमें दो ख़ासियतें हों: एक तो रोज़गार के अवसर पैदा करने वाली हो और दूसरे नालेज बेस्ड हो। नालेज बेस्ड प्रोडक्शन, साइंस, नए विज्ञान और वैज्ञानिक प्रगति पर आधारित हो और वह पैदावर हो जो रोज़गार पैदा करे। बेशक हर प्रोडक्शन रोज़गार पैदा करता है लेकिन कुछ प्रोडक्शन हैं जिनमें भारी इन्वेस्टमेंट होता है मगर फिर भी ज़्यादा रोज़गार नहीं पैदा कर पाते, वहीं कुछ प्रोडक्शन हैं जो अलग हैं, रोज़गार पैदा करने वाले हैं। मैं कल की तक़रीर में इसका थोड़ा बहुत विवरण पेश करूंगा। अगर हम नालेज बेस्ड प्रोडक्शन को लक्ष्य बनाएं और उस प्रोडक्शन की तरफ़ बढ़ें जो नालेज बेस्ड हो और उसमें वह विशेषताएं भी हों जिन्हें मैं नए साल की अपनी तक़रीर में ज़िक्र करुंगा। तो मेरे ख़याल में हम अपने इन सारे आर्थिक लक्ष्यों में एक अच्छी हरकत, अच्छी और नज़र आने वाली प्रगति करेंगे। रोज़गार पैदा करने का विषय भी इसी तरह का है। लेहाज़ा इस साल हमारा नारा यह हैः “रोज़गार पैदा करने वाला नालेज बेस्ड प्रोडक्शन”। यह पैदावार है। अलबत्ता ताकीद के साथ मेरी गुज़ारिश है, मैंने पिछले साल भी कहा था कि सिर्फ़ यह हो कि संस्थाओं के लेटरहेड पर इस इबारत को लिखा दिया जाए! या बैनर और होर्डिंग बनाकर सड़कों पर लगा दिया जाए। यह काम नहीं है। अहम बात यह है कि सही अर्थों में इस पर नीति बनाई जाए। अलबत्ता मौजूदा सरकार जहां तक मैं देख रहा हूं और माननीय राष्ट्रपति और उनके सहयोगी जिस अंदाज़ से काम कर रहे हैं उससे लगता है कि इंशाअल्लाह प्रगति हासिल होगी। यानी यह नारा अल्लाह की मेहरबानी से उपेक्षित नहीं होगा। मगर जितना ज़्यादा काम हो, जितनी ज़्यादा मेहनत की जाए, उतना ही अच्छा है।
उम्मीद करता हूं कि इंशाअल्लाह परवरदिगार इस साल, इस ईद पर और इस एक साल की मुद्दत में ईरानी क़ौम के लिए नेकियां क़रार दे, अवाम को ख़ुशी प्रदान करे, ज़िंदगी को मधुर बना दे, लोगों के दिलों में ख़ुशियां भर दे और हमारे अज़ीज़ शहीदों की पाकीज़ा रूहों को, हमारे महान इमाम, इस दुनिया से जा चुके हमारे इमाम (ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह) की पाकीज़ा रूह को ख़ुश करे। हमारा सलाम और हमारी अक़ीदत इंशाअल्लाह हमारे इमाम ज़माना अलैहिस्सलाम के क़दमों में पहुंचाए।
वस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातोहू