इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर की स्पीच के अहम प्वाइंट इस तरह हैं:

  • कठिन लड़ाई में पुराने हथियारों से नहीं लड़ा जा सकता। आज तलवार, भाले से तोप और मीज़ाईल का मुकाबला नहीं किया जा सकता। सत्य को बयान करने का जेहाद भी ऐसा ही है।
  • मेरे ख़याल में आज जो चीज़ बेहतरीन तरीक़े से एक असर करने वाले हथियार की तरह काम कर सकती है वह अलग अलग मैदानों में इस्लाम के उच्च मूल्यों को बयान करना है।
  • इस्लाम की नज़र में शासन की बुनियाद, दुनिया में प्रचलित शासनों से अलग है। वह न राजशाही से मिलती है, न ही आज की दुनिया के राष्ट्रपतियों की तरह है, न ही हुक्म देने वाले कमांडर की तरह है, न ही बग़ावत का परचम लहराने वालों की तरह है, इनमें से किसी से नहीं मिलती। वह एक ख़ास चीज़ है जिसकी बुनियाद अध्यात्म है।
  • सत्य को बयान करने के जेहाद में राष्ट्र की भौतिक तरक़्क़ी का रास्ता ग़लत रास्ते से जुदा होना चाहिए। हमें यह बात पता होनी चाहिए कि अगर सत्य को सही तरह से बयान नहीं किया गया तो सत्ताधारी, धर्म को भी अपनी वासना व इच्छा की पूर्ति का ज़रिया बना लेंगे।

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