अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान और सबसे ज़्यादा रहम करने वाला है

 

सलाम हो गुमनाम शहीदों पर, वह जो धरती वासियों के बीच गुमनाम लेकिन आसमान वालों के बीच मशहूर हैं, ऐसे बलिदानी जो अपनी शहादत के वक़्त से लेकर लंबी मुद्दत गुज़रने के बाद अध्यात्म व जेहाद की खुशबू से देश को महका रहे हैं और इस्लाम व क़ुरआन के मार्ग में बहाए गए ख़ून के गौरवशाली परचम को लहरा रहे हैं। घर लौटने वाले इन मुसाफ़िरों की शवयात्रा और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शहादत दिवस का एक ही दिन पड़ना, उनकी अमर याद और उस महान बरकत की शुभसूचना है जो उनकी ओर से इंशाअल्लाह इस देश को हासिल होगी जो मानवता के अंतिम मुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी का -उन पर हमारी जानें क़ुरबान- देश है।

इन शहीदों की पाक आत्मा और उनके माँ-बाप और बीवियों की इंतेज़ार करने वाली आँखों और दिलों पर दुरूद भेजता हूं और उनके लिए अल्लाह से मेहरबानी और कृपा की दुआ करता हूं।

सैयद अली ख़ामेनेई

5 जनवरी 2022