25/07/2024
अगर ओस्लो समझौते के बाद ज़ायोनी सरकार की गतिविधियों की समीक्षा की जाए तो हम देखेंगे कि यह सरकार किसी भी हालत में, टू स्टेट फ़ारमूले को मानने के लिए तैयार नहीं थी, बल्कि यह समझौता फ़िलिस्तीनियों के ज़्यादा से ज़्यादा इलाक़ों पर नाजायज़ क़ब्ज़े के लिए वक़्त हासिल करने की उसकी यह चाल थी। इस बारे में लेख पेश है।