अल्लाह, हज़रत अली अकबर के सदक़े में आप नौजवानों की रक्षा करे इंशाअल्लाह आपको इस्लाम के लिए बचाए रखे और साबित क़दम रखे। नौजवान ध्यान दें कि वो सीधे रास्ते को पहचान सकते हैं।
सात मुहर्रम 1445 हिजरी की रात तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस हुई जिसमें रहबरे इन्क़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई भी शरीक हुए। इस मौक़े पर हुज्तुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन हाज अली अकबरी ने नौजवानों के लिए इस्लामी सतह की परवरिश के नमूने के तौर पर हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के अलग-अलग पहलुओं पर रौशनी डाली। इस तक़रीर का सारांश KHAMENEI.IR की हिंदी वेबसाइट पर पेश किया जा रहा है।
हज़रत अली अकबर ने बाबा से जंग के मैदान में जाने की इजाज़त चाही। इमाम हुसैन ने फ़ौरन इजाज़त दे दी। उस जवान को आपने हसरत और नाउम्मीदी से देखा कि मैदाने जंग में जा रहा है और अब वापस न लौटेगा। आप नज़रें झुका कर आंसू बहाने लगे।