21/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! और मुझे अपनी इज़्ज़त के ख़ूबसूरत और आनंददायक नूर तक पहुंचा दे ताकि मैं तेरी पहचान हासिल कर सकूं और तेरे अलावा सबसे मुंह मोड़ लूं और तुझसे डरता और तेरी ओर मुतवज्जेह रहूं। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
20/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! तुझसे सवाल करता हूं और तेरी बारगाह में गिड़गिड़ाता हूं और तेरी चाहत रखता हूं और तुझसे इल्तेजा करता हूं कि मोहम्मद और आले मोहम्मद पर दुरूद भेज और मुझे उन लोगों में क़रार दे जो लगातार तेरा ज़िक्र करते और तुझे याद रखते हैं और तेरा अहद नहीं तोड़ते और तेरे शुक्र से ग़ाफ़िल नहीं होते और जो तेरे आदेश को हल्का नहीं समझते। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
19/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! मुझे तेरे अलावा हर चीज़ से पूरी तरह तवज्जो हटा लेने की तौफ़ीक़ दे ताकि ‎मैं पूरे वुजूद से तेरी बारगाह में पहुंच जाऊं और हमारे दिल की निगाहों को तेरी ‎तरफ़ ध्यान लगाए रखने के नूर से रौशनी देते रहना, यहाँ तक कि दिल ‎की आँखें नूर के परदों को पार कर लें और महानता के स्रोतों से जा मिलें और हमारी आत्माएं तेरे पाकीज़ा मक़ाम की बुलंदियों तक पहुंच जाएं। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
18/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! मैं तेरा कमज़ोर और गुनहगार बंदा और तेरी बारगाह में पलट आने और तौबा करने वाला ग़ुलाम हूं, मुझे ऐसे लोगों में क़रार न दे जिनसे तूने मुंह मोड़ा है और न ही उन लोगों की श्रेणी में, जिन्हें उनकी ग़लतियों ने तेरी माफ़ी की ओर ध्यान देने से ग़ाफ़िल रखा है। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
17/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! अपने ज़िक्र से लगाव से मुझे मुसलसल प्रेरित करता रह, मेरी हिम्मत को तेरे नामों की कामयाबी की समीर और तेरे यहाँ पाकीज़ा दर्जे में क़रार दे। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
16/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! बेशक जो तेरी ओर बढ़े उसका मार्ग स्पष्ट है, जो तेरी पनाह मांगे वह तेरी पनाह में है, मैं तेरी पनाह में आया हूं। ऐ मेरे माबूद! तेरी रहमत के बारे में मेरे गुमान को निराशा में न बदल और अपनी मोहब्बत से मुझे वंचित न कर। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
15/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! बेशक जो तेरे ज़रिए पहचाना गया वह गुमनाम नहीं रहता और जो तेरी पनाह में आया वह बे यार व मददगार नहीं होता और जिसकी ओर तूने रुख़ क़िया वह ग़ुलाम नहीं बनता। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
14/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! मुझे ऐसा दिल दे जिसका शौक़ उसे तेरे क़रीब कर दे और ऐसी ज़बान दे जिसकी सच्चाई तेरी ओर बढ़े और ऐसी निगाह दे जिसकी सच्चाई उसे तुझसे क़रीब कर दे। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
13/02/2025
ऐ वह क़रीब जो धोखा खाए हुए शख़्स से दूरी अख़्तियार नहीं करता और ऐ वह दानशील जो उससे अज्र की उम्मीद रखने वाले को दान देने में कमी नहीं करता। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
12/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! मैं क्योंकर तेरी बारगाह से मायूस होकर ख़ाली हाथ पलटूंगा हालांकि तेरी दानशीलता पर मेरी सद्भावना यह थी कि तू मुझे निजात देकर मुझपर रहम करके पलटाएगा। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
11/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! अगर तू मेरा अपमान चाहता तो मेरा मार्गदर्शन न करता और अगर मेरी रुसवाई चाहता तो मुझे नहीं बचाता।  शाबान की विशेष मुनाजात से
10/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! तेरे सामने मेरी मेरा माफ़ी मांगना उस शख़्स की तरह है जिसके पास माफ़ी क़ुबूल हो जाने के अलावा कोई चारा नहीं है, तो मेरी माफ़ी क़ुबूल फ़रमा ऐ सबसे ज़्यादा दानशीन जिसके सामने गुनहगार गुनाह की माफ़ी मांगते हैं। (शाबान की विशेष मुनाजात से)
09/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! मुझे अपने दीदार से आनंदित कर उस दिन जब तू अपने बंदों के बीच फ़ैसला करेगा।
08/02/2025
ऐ मेरे अल्लाह! तूने मुझपर एहसान किया कि दुनिया में अपने किसी भी नेक बंदे पर मेरे गुनाह ज़ाहिर नहीं किए, तू मुझे क़यामत के दिन लोगों के सामने रुसवा न करना। शाबान की विशेष मुनाजात से
07/02/2025
ऐ अल्लाह! मैं मरने के बाद तेरी नज़रे करम की ओर से कैसे निराश हूंगा जबिक ज़िंदगी में तूने सिर्फ़ नेकी के साथ मेरी सरपरस्ती की। (शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
05/02/2025
ऐ अल्लाह! मैं अपना पूरा वजूद लेकर तेरे सामने आ खड़ा हुआ हूं जबकि तेरी ज़ात पर भरोसे का साया मुझ पर छाया हुआ है, तूने वही किया जिसके योग्य तूही है और तूने मुझे माफ़ करके अपनी पनाह में ले लिया है।  (शाबान की विशेष मुनाजात का जुमला)
24/02/2024
एक बार इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा कि ये जो दुआएं हैं। इनमें आप किस दुआ को ज़्यादा पसंद करते हैं या किस दुआ से ज़्यादा लगाव है? उन्होंने कुछ लम्हें सोचा और फिर जवाब दिया कि दुआए कुमैल और मुनाजाते शाबानिया। इमाम ख़ामेनेई
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