ऐ मेरे अल्लाह! मैं तेरा कमज़ोर और गुनहगार बंदा और तेरी बारगाह में पलट आने और तौबा करने वाला ग़ुलाम हूं, मुझे ऐसे लोगों में क़रार न दे जिनसे तूने मुंह मोड़ा है और न ही उन लोगों की श्रेणी में, जिन्हें उनकी ग़लतियों ने तेरी माफ़ी की ओर ध्यान देने से ग़ाफ़िल रखा है। (शाबान की विशेष मुनाजात से)