03/01/2022
उनका जेहाद बहुत अज़ीम जेहाद था तो अल्लाह ने उनकी शहादत को भी बहुत अज़ीम शहादत बना दिया। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
02/01/2022
मैं अपने अज़ीज़ शहीद सुलैमानी को कभी भूल नहीं पाउंगा। इमाम ख़ामेनेई 16 दिसम्बर 2020 
02/01/2022
उनके ‎एक शहीद दोस्त के नवासे का ऑप्रेशन होने वाला था, शहीद ‎अस्पताल पहुंच गए और जब तक ऑप्रेशन पूरा नहीं हो ‎गया, वे वहीं मौजूद रहे। उस बच्चे की मां ने कहा कि जनाब ‎ऑप्रेशन पूरा हो गया, अब आप चले जाइये, जाकर अपने ‎काम निपटाइये। उन्होंने कहाः नहीं, तुम्हारे पिता यानी इस ‎बच्चे के नाना मेरी जगह जा कर शहीद हुए हैं, अब मैं उनकी ‎जगह यहां खड़ा रहूंगा। वे तब तक वहां खड़े रहे जब तक ‎बच्चा होश में नहीं आया। जब उन्हें पूरा इत्मेनान हो गया ‎तब वे वहां से गए।
01/01/2022
उनके चले जाने के बाद भी अल्लाह की मदद से उनका काम और उनका रास्ता जारी रहेगा, रुकेगा नहीं। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
01/01/2022
आम लोगों ने शहीद सुलैमानी की क़द्रदानी की, यह उनके ख़ुलूस का नतीजा है। इस अज़ीम इंसान के अंदर एक ख़ास निष्ठा थी। आयतुल्लाह ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
01/01/2022
शहीद सुलैमानी डिफ़ेंस के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे। इमाम ख़ामेनेई 8 जनवरी 2020
31/12/2021
आम लोगों ने शहीद सुलैमानी की क़द्रदानी की, यह उनके ख़ुलूस का नतीजा है। इस अज़ीम इंसान के अंदर एक ख़ास निष्ठा थी। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
23/12/2021
वह इल्म जो हम चाहते हैं उसके साथ रूह की पाकीज़गी भी ज़रूरी है। इसलिए कि ‎अगर पाकीज़गी न होगी तो इल्म भटक जाएगा। इल्म एक ज़रिया है, ‎एक हथियार है। यह हथियार अगर किसी बुरे स्वभाव, बुरी सोच वाले ‎दुष्ट और क़ातिल व्यक्ति के हाथ लग जाए तो वह केवल त्रास्दी खड़ी ‎करेगा। इमाम ख़ामेनेई ‎6 अक्तूबर 2010
21/12/2021
ईरानी महिलाएं, युद्ध के मोर्चों पर ईरानी सिपाहियों की मदद करती थीं। खाना तैयार करना, मेडिकल केयर, अलग अलग तरह की मदद और वर्दियां धोना, उनकी सेवाओं में शामिल था। जब यह ऐलान हुआ कि कुछ वर्दियां रासायनिक तत्वों से दूषित हो सकती हैं, तब सैनिक वर्दियों की कमी की वजह से और यह न मालूम होने की वजह से कि कौन सी वर्दियां दूषित हैं? इन औरतों ने स्वेच्छा से और बलिदान की भावना के साथ इन वर्दियों को धोना जारी रखा। बरसों बाद, उन कैमिकल तत्वों के प्रभाव सामने आए जिनके चलते उनमें से कई महिलाओं की शहादत हो गई।
18/12/2021
ख़ानदाने रसूल के अनमोल मोती फ़ातेमा ज़हरा, सिद्दीक़ए ताहेरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत। “75 दिन वाली रिवायत” के मुताबिक़ ये दिन हज़रत फ़ातेमा की शहादत के दिन हैं। इन दिनों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का दिल टूटा हुआ है, सीना ग़म और दर्द से भरा हुआ है। मगर उनके इरादे और हिम्मत व हौसले में कोई कमज़ोरी नहीं है। यह हमारे और आपके लिए सबक़ है। इमाम ख़ामेनई 24 फ़रवरी 2016
16/12/2021
कोशिश कीजिए कि नमाज़ को 'अव्वल वक़्त' पर अदा करें, ध्यान से पढ़े। मेरे प्यारो! क़ुरआन में दिल लगाइए, उसमें दिलचस्पी पैदा कीजिए। क़ुरआन की तिलावत रोज़ाना कीजिए, चाहे चंद आयतें ही पढ़ लीजिए! इमाम ख़ामेनेई 13 दिसम्बर 2016
13/12/2021
हज़रत ज़ैनब के शुभ जन्म दिन और नर्स दिवस पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीचः हज़रत ज़ैनब ने पूरी दुनिया को औरत की ताक़त से आगाह किया, पहाड़ को हिला देने वाली मुसीबतों पर हज़रत ज़ैनब का सब्र, हज़रत ज़ैनब ने बयान और अभिव्यक्ति का जेहाद किया।
10/12/2021
हमारी सोचने की शक्ति की इतनी बुलंद उड़ान नहीं है, वह हिम्मत और हौसला नहीं है कि हम यह कह सकें कि ‎इस महान हस्ती की जीवनशैली हमारा आदर्श है। हमारी यह हैसियत नहीं। लेकिन बहरहाल हमारे क़दम उसी दिशा ‎में बढ़ें जिस दिशा में हज़रत ज़ैनब के क़दम बढ़े हैं। हमारा मक़सद इस्लाम का गौरव होना चाहिए, इस्लामी समाज ‎की गरिमा होना चाहिए, इंसान की प्रतिष्ठा होना चाहिए।
07/12/2021
जंजान के शहीदों की याद मनाने वाली कमेटी के सदस्यों और कुछ शहीदों के घरवालों ने इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 16 अक्तूबर 2021 को मुलाक़ात की।
02/12/2021
ईरान की स्वयंसेवी फ़ोर्स, जिसे बसीज कहा जाता है, वह फ़ोर्स है जो देश की रक्षा से लेकर वैज्ञानिक, सामाजिक, ‎सांस्कृतिक और अवाम की ख़िदमत तक हर मैदान में सक्रिय है। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई 27 नवम्बर 2019 ‎की अपनी एक तक़रीर में कहते हैं कि ‘बसीज’ के दो पहलू हैं। एक फ़ौजी मैदान में संघर्ष का पहलू है। ‎दूसरा साफ़्ट वार के मैदान में जिद्दोजेहद का पहलू है। यह फ़ोर्स हर जगह मौजूद है और और इससे वह ‎हस्तियां जुड़ी हैं जो नौजवानों के लिए आइडियल हैं।
29/11/2021
एलिट वह है जो अपनी सलाहियत की क़द्र करता है। ग़फ़लत में डालना साम्राज्यवादी ताक़तों का हथियार। अंग्रेज़ों ने भारत का उद्योग तबाह कर दिया। ग़फ़लत छा जाए तो क़ौम आसानी से लुट जाती है। आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स पर ख़ास ताकीद।
25/11/2021
जो‏ ‏चीज़ ग़ैर मामूली सलाहियत वाले लोगों को एलिट बनाती है वह सिर्फ़ मानसिक क्षमता नहीं है। ‎बहुत से लोगों के पास सलाहियत है, मानसिक क्षमता है, लेकिन यह बर्बाद हो जाती है। जो चीज़ एलिट को एलिट बनाती है वह मानसिक क़ाबिलियित के अलावा इस सच्चाई और ‎इस नेमत की क़द्र को समझना है।
01/11/2021
शहीद चुने हुए लोग हैं, शहीद वे हैं जिन्हें महान अल्लाह चुनता है, शहादत चोटी है, हम में से बहुत ‎से हैं जो उस चोटी पर ‎पहुंचने की आरज़ू रखते हैं, तो हमें उस चोटी के दामन में रास्ता ढूंढना ‎होगा ‎उस रास्ते पर चलना होगा ताकि चोटी तक ‎पहुंच सकें।
23/10/2021
  इस्लामी एकता सप्ताह के अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम हुसैन महदी हुसैनीः  एकता सप्ताह ने सामराज्वाद के मंसूबों पर पानी फेर दिया। जब क़ुरआन एक है, कलेमा एक है, काबा एक है और ‎नबी एक हैं तो इसी को बुनियाद बनाकर सब को जमा हो जाना चाहिए। ‎
23/10/2021
पैग़म्बर की हस्ती वह है जिस पर अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दुरूद व सलाम भेजते हैं। हमें अपने पैग़म्बर की बात यानी क़ुरआन पर और इस्लाम पर क़ायम रहना चाहिए।
16/10/2021
चालीस दिन के आंदोलन से ‎अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम ने उस दौर में तूफ़ान बरपा कर दिया। ‎उस ज़माने में ‎इस आंदोलन ने कूफ़े में तौवाबीन को खड़ा कर दिया, मदीना को बदल कर रख ‎दिया, ‎शाम को उलट दिया। वह हालत हुई कि सुफ़ियानी हुकूमत ही ख़त्म हो गई। ‎ इमाम ख़ामेनई Oct 13, 2019‎
16/10/2021
चर्चिल ने भारत की त्रासदी और भुखमरी से मरने वालों की तस्वीरें देखकर मज़ाक़ उड़ाते ‎हुए कहाः अगर यह तस्वीरें सही हैं, तो गांधी अभी तक क्यों नहीं मरा? ‎ गांधी ने एक मुट्ठी नमक उठाया और कहाः इस नमक के साथ ब्रिटिश साम्राज्य के ‎मुक़ाबले में खड़ा हूं, आओ ताक़त पर सत्य की फ़तह के लिए मिलकर संघर्ष करें। 
16/10/2021
आयतुल्लाह ख़ामेनईः हाल ही में -कुछ महीने पहले- मुझे उस तुर्कमन (सुन्नी) महिला के परिवार का पत्र मिला ‎जो मिना की घटना में शहीद हो गई थीं, उनके परिवार ने लिखा कि वह शायद इसी सफ़र में या इससे पहले वाले सफ़र में, मक्का गईं और वहां उन्होंने ‎किसी को गवाह बनाया कि वह ‎मेरी तरफ़ से हज कर रही हैं।
26/08/2021
कर्बला की सरज़मीन पर भाई हुसैन की लाश के पास पहुंच कर हज़रत ज़ैनब ने पैग़म्बरे इस्लाम से दर्द भरे लहजे में कहा यह आपका हुसैन है जो ख़ून में लथपथ ज़मीन पर पड़ा है।
23/08/2021
मुबाहेला वह मौक़ा है जब पैग़म्बरे इस्लाम अपने सबसे चहेते लोगों को मैदान में ‎लेकर आते हैं। यही सूरत मुहर्रम में अमली शक्ल में पेश आई। यानी इमाम हुसैन ‎अलैहिस्सलाम भी हक़ीक़त बयान करने और पूरे इतिहास में हक़ को ज़ाहिर ‎करने के लिए अपने प्यारों को मैदान में ले आते हैं। इमाम ख़ामेनई ‎ Dec 13, 2009‎
23/08/2021
इमाम हुसैन ने प्यास को बर्दाश्त किया, अपने वफ़ादार साथियों की शहादत पर सब्र किया, यह सब्र के आसान मरहले थे। सब्र का इससे भी कठिन एक मरहला था।
17/08/2021
इतनी बड़ी क़ुरबानी की ज़रूरत थी जो इतिहास को और समाज को झिंझोड़ कर रख दे और ऐसा ही हुआ।
13/08/2021
इमाम हुसैन की तहरीक का एक अहम सबक़, हुसैनी तहरीक हदीसे पैग़म्बरे की रोशनी में, फ़र्ज़ अदा करने का मक़ाम हो तो अंजाम कुछ भी हो अच्छा ही होगा।
04/08/2021
इतनी बड़ी क़ुरबानी की ज़रूरत थी जो इतिहास को और समाज को झिंझोड़ कर रख दे और ऐसा ही हुआ।
01/08/2021
अल्लामा अमीनी मरहूम ने ग़दीर की रिवायत को 110 सहाबियों के हवाले से बयान किया है।...‎ इसके अलावा ख़ुद हज़रत अली अलैहिस्सलाम की बहसें भी बहुत अहम हैं। जैसे सिफ़्फीन में अमीरुल मोमेनीन अपने असहाब के सामने ख़ुतबा देते हैं और ग़दीर की घटना ‎बयान करते हैं।
29/07/2021
  ग़दीर के दिन ख़लीफ़ा मंसूब करने की घटना उसूल के निर्धारण की घटना है, क़ायदे के निर्धारण की घटना है। इस्लाम में एक उसूल तय पाया। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपनी उम्र के आख़िरी महीनों में, इस उसूल को पेश किया। वह उसूल क्या है? इमामत का उसूल, विलायत का उसूल। इंसानी समाज में प्राचीन समय से हुकूमतें थीं। इंसान ने अनेक तरह के शासन का अनुभव किया है। इस्लाम इस तरह की सरकार को, इस तरह के ताक़त के मकरज़ को नहीं मानता, इमामत को मानता है। यह इस्लाम का नियम व दस्तूर है। ग़दीर की घटना इसी को बयान करती है।
28/07/2021
आपका मन हज़रत अली के इश्क़ में डूबा हुआ है। अल्लाह उन पर अपनी कृपा की बारिश करे। यही शौक़, यही इश्क़, यही प्रेम और ध्यान इन्शा अल्लाह हमें उस सिम्त ले जाने का ज़रिया बने जो हमारे मौला के मद्देनज़र है।
27/07/2021
  इन्शा अल्लाह ख़ुदा वंदे आलम इस बड़ी ईद और मौला हज़रत अली अलैहिस्सलाम के ज़िक्र की बर्कत से आपके दिल को हमेशा अपने करम से और अपनी शांति से रौशन रखे और यह तौफ़ीक़ दे कि इस मौक़े और इस जैसे दूसरे अवसरों से हम इन्शा अल्लाह सही अर्थ में फ़ैज़ हासिल कर सकें।
ताज़ातरीन