27 जूलाई सन 1988 को आयतुल्लाह ख़ामेनेई जो तत्कालीन राष्ट्रपति थे, अहवाज़ के एक सैन्य अस्पताल का 19 घंटे मुआयना करते हैं, जिसके दौरान वे केमिकल बमबारी के क़रीब 750 पीड़ितों में से हर एक से मिलते, उसकी ख़ैरियत पूछते और उसे तोहफ़ा देते हैं।