हमारी मामूली आँखें उस पाक चेहरे को क़रीब से नहीं देख रही हैं लेकिन वह सूरज की तरह चमक रहा है, दिलों के साथ संपर्क रखता और इंसानों की आत्मा से जुड़ा है। एक आत्मज्ञानी के लिए इससे बड़ी कोई नेमत नहीं हो सकती कि वह महसूस करे कि अल्लाह का वली, सच्चा इमाम, नेक बंदा, दुनिया के सभी बंदों में चुना हुआ बंदा, जो ज़मीन पर अल्लाह का ख़लीफ़ा है, उसके साथ, उसके पास, उसको देख रहा और उससे जुड़ा हुआ है।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999