इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के इस अक़ीदे में कुछ ख़ुसूसियतें हैं जो किसी भी क़ौम की रगों में ख़ून और जिस्म में जान की तरह हैं। इनमें से एक उम्मीद है। कभी मुंहज़ोर और ताक़तवर हाथ, कमज़ोर क़ौमों को ऐसी जगह पहुंचा देते हैं कि वह उम्मीद का दामन छोड़ देती हैं। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, दिलों में उम्मीद जगाता है। वह इंसान कभी भी मायूस नहीं होता, जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम को ज़ाहिर होने पर अक़ीदा रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
16/12/1997