उस वक़्त जब यह स्पष्ट हो जाएगा कि विश्व साम्राज्यवाद की भौतिक ताक़तों के मुक़ाबले में ऐसी ज़मीन समतल है कि हर एक शख़्स अपनी बात पर साबित क़दम रह सकता है, उस दिन इमाम के ज़ुहूर का दिन होगा। यह वह दिन होगा जब पूरी इंसानियत को नजात दिलाने वाला अल्लाह के फ़ज़्ल से ज़ाहिर होगा।उसका पैग़ाम पूरी दुनिया से सभी तैयार दिलों को अपनी ओर खींचेगा तो उस वक़्त ज़ालिम ताक़तें, ज़ोर ज़बरदस्ती का सहारा लेने वाली ताक़तें सच्चाई को, छिपाने या पीछे ढकेलने की हिम्मत नहीं कर सकेंगी। इमाम ख़ामेनेई 24/11/1999