पहला व्यवहारिक सबक़ यह है कि विश्व स्तर पर ज़ुल्म का अंत न सिर्फ़ यह कि मुमकिन है बल्कि निश्चित है। यह बहुत अहम बात है कि इंसानी नस्लें आज ऐसा न सोचने लगें कि विश्व स्तर पर फैले ज़ुल्म के मुक़ाबले में कोई काम नहीं किया जा सकता, वह चीज़ जो इंसानों को व्यवहार और अमल के लिए प्रेरित करती और आगे बढ़ाती है वह उम्मीद की ताक़त है। इमाम महदी के ज़ाहिर होने का अक़ीदा दिलों में उम्मीद की किरण भर देता है।
इमाम ख़ामेनेई
22/10/2002