हज़रत ईसा मसीह के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बयानों पर आधारित एक तख़्ती, ईसाइयों के वरिष्ठ धर्मगुरू पोप फ़्रांसिस को पेश की गयी।
इन बयानों को इस्लामी क्रांति सांस्कृति व अध्ययन केन्द्र द्वारा एक सुंदर व आकर्षक तख़्ती का रूप दिया गया और इतालवी अनुवाद के साथ इसे पेश किया गया। इस तख़्ती को वेटिकन में इस्लामी गणराज्य के राजदूत डाक्टर मुख़्तारी ने पोप फ़्रांसिस से ख़ुद मुलाक़ात कर उन्हें भेंट किया जिसका उन्होंने स्वागत किया और शुक्रिया अदा किया। उन्होंने बल दिया कि इस तख़्ती में बहुत ही अहम व नुमायां बिन्दु हैं जो ईसाई धर्म के अनुयाइयों पर अपना प्रभाव डाल सकते हैं।
इसी तरह उन्होंने क्षेत्र की स्थिति ख़ास तौर पर फ़िलिस्तीनी इलाक़ों पर ज़ायोनी शासन के हमलों के संबंध में चिंता जतायी और कहा कि मैं हर दिन फ़िलिस्तीन में अपने प्रतिनिधि से वहाँ की स्थिति और घटनाओं की जानकारी लेता हूं।
इस मुलाक़ात के अंत में पोप फ़्रांसिस ने वेटिकन में ईरान के राजदूत से दर्ख़ास्त की कि उनका सलाम इस्लामी क्रांति के नेता तक पहुंचा दें।
इस तख़्ती की इबारत कि जिसका इतालवी ज़बान में अनुवाद पेश किया गया है, इस तरह हैः
अगर हज़रत ईसा मसीह हमारे बीच होते...
निश्चित तौर पर हज़रत ईसा मसीह की अहमियत मुसलमानों की नज़र में, ईसाई मोमिनों की नज़र में उनकी अहमियत और क़द्र व क़ीमत से कम नहीं है। अल्लाह के इस बड़े पैग़म्बर ने, पूरी ज़िंदगी अवाम के बीच ज़ुल्म, अत्याचार, भ्रष्टाचार और उन लोगों का मुक़ाबला करते हुए गुज़ारी जिन्होंने ताक़त और पैसे के बल पर क़ौमों को बंधक बना लिया था और उनकी ज़िंदगी को लोक-परलोक दोनों में नरक बनाते थे।
इस महान पैग़म्बर ने बचपन से- अल्लाह ने उन्हें बचपन में ही पैग़म्बर बना दिया था- जो मुसीबतें बर्दाश्त की, वे सब इसी राह में थीं। अपेक्षा इस बात की है कि हज़रत ईसा मसीह के अनुयायी और वे लोग जो इस महान हस्ती को महानता व अध्यात्म के ऊंचे दर्जे पर मानते हैं, इस राह में उनका पालन करें।
अगर हज़रत ईसाम मसीह (अलैहिस्सलाम) आज हमारे बीच होते तो ज़ुल्म और विश्व साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष से एक क्षण के लिए भी हाथ न खींचते और बड़ी ताक़तों द्वारा अरबों लोगों को भूख, गुमराही, लूट, जंग, भ्रष्टाचार और सरकशी की ओर ढकेले जाने को बर्दाश्त न करते। आज इस पैग़म्बर पर ईमान रखने वालों यानी ईसाइयों और मुसलमानों को चाहिए कि दुनिया में उचित व्यवस्था क़ायम करने के लिए पैग़म्बरों की शिक्षाओं और उनके रास्ते पर चलें और मानवता के इन शिक्षकों की शिक्षा के मुताबिक मानवीय ख़ूबियों को फैलाएं। हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की शिक्षाओं के पालन के लिए, हक़ का साथ देना और हक़ विरोधी ताक़तों से बेज़ारी लाज़मी है और उम्मीद है कि दुनिया में जहाँ कहीं भी मुसलमान और ईसाई हैं, हज़रत ईसा मसीह के इस बड़े पाठ को अपनी ज़िंदगी में उतारेंगे।
क़ाबिले ज़िक्र है कि यह तख़्ती, वेटिकन के ऐतिहासिक म्यूज़ियम में रखी जाएगी और उसकी शोभा बढ़ाएगी।